आखिर गणेश जी को तुलसी चढ़ाना क्यों होता है वर्जित, जानें क्या है इसके पीछे की कथा

भगवान गणेश का त्योहार चल रहा है ऐसे में हर कोई यानि पूरा देश इनकी भक्ति में मग्न है, बताते चलें कि गणेश चतुर्थी का त्योहार कुल 10 दिनों तक मनाया जाता है। गणेश जी को हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य देवता माना गया है। यही नहीं इनके पूजा में कई सारे विधि विधान व नियम भी हैं जिनकी जानकारी होना काफी आवश्यक है, इसलिए आज हम आपको इसी से संबंधित जानकारी देने जा रहे हैं जो आपको पता होना चाहिए। जिस तरह से भगवान शिव जी की पूजा करते समय हम लोग उन्हें बेलपत्र जरूर अर्पित करते हैं क्योंकि शिव भगवान को बेलपत्र अतिप्रिय है लेकिन गणेश जी को तुलसी अप्रिय है इसलिए इन्हें तुलसी चढ़ाना वर्जित है।

अधिकतर आपने मंदिरों में देखा होगा कि तुलसी पंचामृत और भोग में तुलसी के पत्ते मिले हुए देखे होंगे, कहते तो यह भी है कि जब तक भोग में तुलसी के पत्ते नहीं होते तब तक देव उस भोग को स्वीकार नहीं करते हैं, लेकिन एक देव ऐसे भी हैं, जिनके भोग में तुलसी के पत्ते वर्जित है। जी हां हम बात कर रहे हैं गणेश जी की क्योंकि इनके भोग में भूल से भी कभी तुलसी के पत्ते का प्रयोग नहीं डाला जाता है। हालांकि तुलसी को देव वृक्ष के रूप में पवित्र माना जाता है। इसके बाद भी पौराणिक मान्यता के मुताबिक भगवान गणेश को पवित्र तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए।

शास्त्रों के अनुसार इसके पीछे भी एक कथा है, जिसमें बताया जाता है कि एक बार प्रथम पूज्य गणेश गंगा किनारे तप में लीन थे पर इसी दौरान देवी तुलसी वहां पहुंची। वह गणेश को देखकर मोहित हो गई और तो और इसी समय तुलसी ने विवाह की कामना से उनका ध्यान भंग कर दिया। ऐसे में भगवान तुलसी जी की इस हरकत से भगवान गणेश क्रोधित हो गए और इस तरह के कृत्य को अशुभ बताया। वहीं यह भी बता दें कि तुलसी की शादी की मंशा जानकर स्वयं को ब्रह्मचारी बताकर उससे शादी के प्रस्ताव को नकार दिया। इस बात से दुखी होकर तुलसी ने भगवान गणेश को दो विवाह होने का श्राप दे दिया। इस पर भगवान गणेश ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि तुम्हारी शादी असुर से होगी।

ये श्राप सुनकर तुलसी ने भगवान गणेश जी से माफी मांगी तब भगवान गणेश ने तुलसी से कहा कि तुम पर असुरों का साया तो होगा, लेकिन तुम भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को प्रिय होगी। उनको माफी के रूप में यह भी मिला कि तुलसी को कलयुग में पूजा जाएगा। इतना ही नहीं इसके अलावा उस समय यह भी कहा गया कि तुम देववृक्ष के रूप में जीवन और मोक्ष देने वाली होगी। मेरी पूजा में तुलसी का चढ़ाना शुभ नहीं माना जाएगा। मान्यता तो यह भी है कि तब से ही भगवान गणेशजी की पूजा में तुलसी वर्जित मानी जाती है और नहीं उनके भोग में तुलसी चढ़ाई जाती है। इसलिए गणेश जी की पूजा के दौरान इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए। हालांकि गणेश जी को दूर्वा की घास प्रिय है और पूजा के दौरान ये घास बप्पा को जरूर चढ़ाई जाती है।