हर भारतीय नागरिक को पता होनी चाहिए संविधान से जुड़ी ये जरूरी बातें

हम भारतवासी हैं और सभी भारतवासी के लिए आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि आज पूरा देश संविधान दिवस मना रहा है। संविधान जिसे आज ही के दिन सभा में पारित किया गया था। भारत सरकार ने आज के दिन सभी नागरिकों को संविधान की प्रस्तावना पढ़ने को कहा है ताकि हर भारतीय इसे समझ सके। लेकिन आज हम आपको संविधान से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो हर भारतीय को जरूर जान लेनी चाहिए। सबसे पहले तो आपको ये बता दें कि संविधान दिवस हमारे देश में बीते 5 साल से मनाया जाने लगा वरना इसका कोई अस्तित्व ही नहीं था, जी हां क्योंकि पीएम मोदी ने अधिसूचना जारी कर 19 नवंबर 2015 को ये घोषित किया कि 26 नवंबर को देश संविधान दिवस मनाएगा और देखते ही देखते आज पांचवां संविधान दिवस है।

वैसे आपने ये बात कई बार सुना होगा कि संविधान बनाने के लिए ही संविधान सभा का निर्माण किया गया था जिसके अध्यक्ष के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को चुना गया था। कहा जाता है कि संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठकें की। भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा संविधान है। इसमें 465 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं। आपको बताते चलें कि ये 22 भागों में विभाजित है। संविधान में साफ लिखा है कि देश का कोई आधिकारिक धर्म नहीं होगा। यह किसी धर्म को बढ़ावा नहीं देता न किसी से भेदभाव करता है।

इसके अलावा संविधान से जुड़ा एक और किस्सा है जिसमें बताया गया है कि संविधान पर जब हस्ताक्षर किया जा रहा था तो उस दिन खूब बारिश हो रही थी और सदन में बैठे सदस्यों ने इसे बहुत ही शुभ शगुन माना था। इतना ही नहीं भारतीय संविधान की वास्तविक प्रति प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा हाथों से लिखी गई थी। हालांकि इसे इटैलिक स्टाइल में बेहद ही खूबसूरती से लिखा गया था जबकि हर पन्ने को शांतिनिकेतन के कलाकारों ने सजाया था। हाथों से लिखे संविधान पर 284 संसद सदस्यों ने हस्ताक्षर किया था। जिसमें की 15 महिलाएं भी शामिल थी।

अब बात करते हैं संविधान की आत्मा कहे जाने वाली प्रस्तावना की जिसके बारे में आपने किताबों में भी पढ़ा होगा। कहा जाता है कि इस प्रस्तावना को को अमेरिकी संविधान से लिया गया है। हमारे संविधान में प्रस्तावना की शुरुआत ‘We the people’ से होती है। भारतीय संविधान में अब तक 124 बार संशोधन हुआ है। 26 जनवरी 1950 को ही अशोक चक्र को बतौर राष्ट्रीय चिन्ह स्वीकार किया था।

अब बात करते हैं कि संविधान में नागरिकों के लिए दिए गए मौलिक अधिकारों की जो कि लोकतंत्र को जीवित रखने का काम करते हैं। व्यक्ति के जीवन के लिए मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं। इनमें राज्य द्वारा हस्तक्षेप नही किया जा सकता। सबसे खास बात तो ये है कि इन अधिकारों को मौलिक इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन्हे देश के संविधान में स्थान दिया गया है। इसलिए ये अधिकार व्यक्ति के प्रत्येक पक्ष के विकास हेतु मूलरूप में आवश्यक हैं, इनके अभाव में व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास अवरुद्ध हो जाएगा।