शुरू हुई किसानो की नई मुहीम, दस दिन तक देश भर में बंद हो जाएगी इन जरुरी चीजों की सप्लाई, पढ़े पूरी खबर

इसमें कोई शक नहीं कि आज कल के तनाव भरे इस माहौल से किसान काफी परेशान हो चुका है. यही वजह है कि आये दिन कोई न कोई किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो ही जाता है. वही दूसरी तरफ कर्ज को पूरी तरफ से माफ़ करने और फसलों के कम मूल्य की लागत को डेढ़ गुना करने को लेकर अब किसान और सरकार के बीच आमने सामने की लड़ाई शुरू हो चुकी है. जी हां आपको जान कर ताज्जुब होगा कि इस लड़ाई के दौरान कई शहरों में उन चीजों की सप्लाई बंद कर दी जाएगी, जिनका इस्तेमाल देश की जनता अपने रोजाना जीवन में करती है. इसके इलावा इस मुहीम को सोशल मीडिया के द्वारा चलाया जा रहा है और इसकी कमान युवा किसानो के हाथ में है.

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि युवा किसानो ने इस मुहीम की शुरुआत ट्विटर से की है और केवल उन्नीस मिनट में ही ये मुहीम टॉप ट्रेंडिंग पर पहुँच चुकी है. इसके साथ ही मेरठ के युवा किसान भी इस मुहीम में शामिल है. बरहलाल इसमें वो युवा भी शामिल है, जो गावो से शहरों के कॉलेजो तक पढ़ाई करने के लिए आते है और शाम होते ही घर वापिस चले जाते है. गौरतलब है कि किसानो ने ट्विटर पर न केवल फसलों की बर्बादी, बल्कि कर्ज के कारण आत्महत्या करने वाले किसानो और किसानो की बुरी हालत से जुडी कई खबरों को पेश किया है. बता दे कि युवा किसानो द्वारा ट्वीट करने का सिलसिला लगातार जारी है, ताकि किसानो को इंसाफ मिल सके.

इसके साथ ही इस मुहीम में उप्र के अलग अलग हिस्सों से युवा किसानो के इलावा पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, केरल और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों के किसान भी जुड़े हुए है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मेरठ से ट्विटर पर किसान एकता मंच के नवीन प्रधान ने इसकी पूरी जिम्मेदारी संभाल रखी है. बरहलाल नवीन ने इस बारे में बात करते हए बताया कि यह आंदोलन किसानो की पूरी तरह से कर्ज माफ़ी और किसानो की आय निश्चित करने के लिए शुरू किया जा रहा है. वही इस बारे में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र टिकैत का कहना है कि किसानो के इस आंदोलन में वो भी उनके साथ है.

वैसे इन सब से एक बात तो साबित हो गई है, कि आज भले ही कलयुग का समय हो, लेकिन जीत हासिल करने के लिए आंदोलन से बढ़ कर रास्ता कोई नहीं हो सकता. अगर हम सच कहे तो पहली बार सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल हो रहा है. जी हां सोशल मीडिया पर इस मुहीम की शुरुआत वास्तव में किसानो के लिए मददगार साबित होगी. इससे ये भी साबित होता है कि अब किसानो के बच्चे भी अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो रहे है. वही अगर हम रोजाना की चीजों की बात करे तो एक जून से लेकर दस जून तक शहरों में दूध और सब्जियों की सप्लाई बंद रहेगी. यानि इस दौरान देश के किसी भी गांव से किसी भी शहर को दूध या सब्जियां सप्लाई नहीं की जाएँगी. बता दे कि ये सब केवल सरकार को चेतावनी देने के लिए किया जा रहा है.

हालांकि किसानो का ये तरीका सही है या गलत, इस बारे में तो हम कुछ नहीं कह सकते, लेकिन ऐसा लगता है कि इस बार किसान अपनी बात से पीछे नहीं हटेंगे.