क्या आप जानते हैं नहाने के असली विधि के बारे में, शास्त्रों में बताया गया है की ऐसे नहाने से मिलते हैं कई लाभ

खुद को साफ़ सुथरा और कीटाणुओं से बचाकर रखने के लिए रोजाना नहाना सबसे ज्यादा आवश्यक है. शायद कोई कोई ऐसा इंसान होगा जो नहाता नहीं होगा, नाहते तो सभी हैं लेकी क्या आपको मालूम हैं की हमारे शास्त्रों में नहाने के भी कुछ नियम बताये गये हैं जिन्हें यदि आप फॉलो करते हैं तो इससे आपको बिन मांगे ही बहुत से लाभ मिलते हैं. आज हम आपको हमारे शास्त्रों के अनुसार नहाने के सही नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप भी ईश्वर के आशीर्वाद के पात्र बन सकते हैं. तो आईये जानते हैं की आखिर क्या है नहाने के सही विधि.

एक स्वस्थ्य शारीर और पवित्र मन के लिए रोजाना नहाना सबसे ज्यादा जरूरी है ये तो आप सभी जानते ही होंगे. नहाने से ना केवल आपका मन शांत रहता है बल्कि शारीर में पनपने वाले तमान कीटाणु और बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है. जहां तक हमारे शास्त्रों में नहाने को लेकर सही विधि को फॉलो करने की बात है तो आपको बता दें की हमारे शास्त्रों के अनुसार नहाने का सबसे सही वक़्त सूर्योदय से पहले का होता है. इस समय उठकर अपने सभी क्रियाओं से निवृत होने के बाद नहाना सबसे कुशल मान जाता है, इसके आलवा नहाने के बाद सही विधि विधान से अपन कुल देवता की पूजा करना भी सबसे आवश्यक बताया गया है . लेकिन यदि आजकल के लोगों की बात करें तो पूजा पाठ करना तो दूर कई नहाने के लिए भी सुबह के बदले शाम को नहाते हैं तो कुछ लोग अपनी सहूलियत के अनुसार जब मन करे तब नहाते हैं.

अगर हमारे शास्त्रों में वर्णित नहाने के सही विधि के बारे में बताये तो ये आवश्यक रूप से कहा गया है की हमेशा सूर्योदय से पहले नहाये और इसके बाद अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना जरूर करें. जहां तक आजकल के लोगों की भागदौर भड़ी जिंदगी की बात है तो बता दें की आजकल लोगों के पास सच में इतना वक़्त नहीं है की वो नहाने के बाद पूजा पाठ करें और उसके बाद ऑफिस भी जाएँ. बता दें की ऐसे लोगों को नहाते वक़्त ही कुछ विशेष मन्त्रों का उच्चारण कर लेना चाहिए जिससे की उनके आत्मा की शुद्धि भी हो जाए और वो अपने इष्ट देव को याद भी कर लें. इसके अलावा हमारे शास्त्रों में ऐसा भी कहा गया है की जो लोग नहाते समय सबसे पहले अपने मष्तिस्क पर पानी ना डालकर शारीर पर डालते हैं वो नहाने का सही तरीका नहीं जानते हैं.

आपको बता दें की हमेशा नहाते वक़्त सबसे पहले अपने मष्तिस्क पर पानी डालें और उसके बाद पूरे शारीर. सबसे पहले सर के ऊपर पानी डालने से असल में मष्तिस्क के साथ साथ पूरे शारीर को भी शीतलता मिलती है, लेकिन यदि आप अचनक से सबसे पहले अपने शारीर पर ही पानी डाल लेते हैं तो इससे कोई लाभ नहीं मिलता है. तो ये थे हमारे शास्त्रों में बताये गए नहाने के सही विधि का वर्णन जिसे आपको भी अपनी जिंदगी में जरूर आजमाना चहिये क्यूंकि तभी आप अपने मन और तन से पवित्र हो सकते हैं और हर काम में आपका मन लग सकता है.