नींद से जुड़ी ये 5 बातें पूरी तरह से मिथ हैं , डॉक्टर्स ने भी ठहराया इनको गलत

एक आदमी को अपनाजीवन जीने के लिए अपनी सेहत का ख्याल रखना बहुत ही जरूरी होता ही और एक अच्छी सेहत के लिए हमारे जीवा में नींद की बहुत बड़ी भूमिका होती है। हम दिन भर इतना काम करते है की पूरी तरह से थक चुके होते हैं और तब हमारा शारीर आराम मांगता है अच्छी नींद का अहसास न सिर्फ हमें फ्रेश महसूस कराता है बल्कि हम इससे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ रहते हैं। इसीलिए हमें काम के साथ साथ अपने जीवन में अच्छी नींद भी लेना चाहिए तभी हमारी सेहत अच्छे से काम करेगी| एक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि दुनियाभर में 10 करोड़ लोग स्लीप एप्निआ यानी अच्छी नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं।

और आपको बता दे की इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो इस बीमारी से ही अनजान हैं और 30 प्रतिशत लोग नींद लेते भी हैं तो उसे नियमित नहीं बना पाते हैं। आज हम आपको नींद से जुड़े कुछ ऐसे मिथ बता रहे हैं जिन पर भूलकर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। ऐसा करना हमारे स्वास्थ्य के लिए कभी अच्छा नही होता है| आज हम आपको ऐसे कुछ मिथ के बारे में बताने जा रहे हैं जो की हमारे जीवन में हमेशा सुनने को मिलते हसीन और कई बसा तो हम उसपर विश्वाश bh कर लेते हैं|

मिथ : रोजाना 8 घंटे की नींद लेना जरूरी होता है।

अक्सर आपने ये सुना होगा की हर व्यक्ति को रोजाना कम से कम आठ घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। जबकि मनोचिकित्सकों का कहना है कि यह जरूरी नहीं है कि सेहतमंद रहने के लिए आठ घंटे की नींद ली जाए। नींद का समय सीमा व्यक्ति की उम्र और शरीर टाइप पर निर्भर करती है। यदि कोई व्यक्ति 6 से 9 घंटे की नींद ले रहा है तो वह स्वस्थ है और आगे भी स्वस्थ रह सकता है।और इससे कम भी सोये तो भी वो स्वास्थ्य ही रहेगा|

मिथ : कम सोने वाले अक्सर तनाव में रहते हैं।

बहुत से लोगो का ये कहना है की हमें काम के हिसाब से ज्यादा सोना चाहिए और  कम सोने वाले लोग तनावग्रस्त रहें यह जरूरी नहीं है। डॉक्टर्स का मानना है कि ज्यादा सोना भी कभी कभार तनाव और सिर दर्द का कारण बनता है।इसलिए हमें ज्यादा न्कभी ही सोना चाहिए|

मिथ : वीकेंड में ज्यादा सोकर हफ्ते भर की थकान मिट जाती है।

बहुत से लोग य सोचते हैं की हफ्ते भर की थकान एक ही दिन में मिटा दी जाये तो ये भी तो नही हो सकता अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं कि वीकेंड में जी भर सो लेने से आप हफ्तेभर की थकान को मिटा सकते हैं तो बता दें कि ये सिर्फ एक मिथ है। मनोचिकित्सकों के अनुसार आज की जीवनशैली में हमारा यह रवैया बॉडी क्लॉक को बुरी तरह प्रभावित करता है जो सेहत के लिए कतई ठीक नहीं। इससे शरीर में दर्द और अन्य रोगों के होने का खतरा बढ़ जाता है|

मिथ : ज्यादा कॉफी पीने और नींद का कोई संबंध नहीं है।

ज्यादा चाय या कॉफ़ी भी हमारे नन्द को प्रभावित करता है ज्यादा कॉफी पीना पूरी तरह से नींद को प्रभावित करता है। यदि आप दिनभर आॅफिस में बैठकर 5 से 6 कप कॉफी पीते हैं तो निश्चित रूप से आपकी रात की नींद पर फर्क पड़ेगा क्यों की कॉफ़ी में मौजूद कैफीन के कण हमारे रक्त में 12 घंटों तक बने रहते हैं। जो नींद को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

मिथ : अच्छी नींद का संकेत हैं खर्राटे

बहुत से लोगो का ये कहना है की अगर कोई खर्राटे लेकर सो रहा है तो वो अच्छी नींद सो रहा है लेकिन ये पूरी तरह से गलत है खर्राटे का मतलब अच्छी नींद नहीं बल्कि नाक के छिद्र के सॉफ्ट टिशू में होने वाला कंपन या मस्तिष्क को पूरी तरह ऑक्सीजन न मिल पाने की स्थिति होती है।