इस विधायक ने खाना खाकर पूरी रात बितायी श्मशान घाट पर ,वजह जान आपके भी उड़ जायेंगे होश

डर  एक ऐसी चीज होती है जिसे सच में तो हमने कभी देखा नहीं लेकिन फिर भी हमारे मन में किसी ना किसी चीज को लेकर डर बैठ ही जाता है |खासकर बहुत प्रेत ,आत्माओं का डर ज्यादातर लोगो के मन में बैठा होता  है |इसका कारण होता है हम जो बचपन में अपनी दादी नानी से बहुत प्रेत या श्मशान की कहनियाँ सुनते है और उसे ही सच मान बैठते है |

आपने कई बार लोग से ये कहते तो जरुर सुना होगा की रात के समय श्मशान घाट के पास से नहीं गुजरना चाहिए क्योंकि लोगो का मानना हटा है की रात के समय स्मशान घाट से गुजरने से भूतों का साया हम पर पड़ सकता है जिसके कारण लोगो के मन में ये खौफ बन चूका है |लेकिन नाज हम आपको एक ऐसा मामला बताने वाले है जिसे जानकर आपको भी विश्वास हो जायेगा की जितना डर हम सबके मन में श्मशान घाट को लेकर बना हुआ है   ऐसा कुछ असल में होता ही नहीं है |और इस बात का सुबूत दिया है खुद एक विधायक ने जिन्होंने  लोगो के मन से  भूतों का डर हटाने के लिए ऐसा कदम उठाया जो की बेहद ही कारगर साबित हुआ और उनका जो मकसद था ऐसा करने के पीछे  वो भी आसानी से पूरा हो गया |

दरअसल ये मामला है आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले  का जहाँ पर एक टीडीपी  विधायक ने   श्मशान घाट  के निर्माण में हो रही देरी से परेशान होकर शुक्रवार को एक अनोखा काम कर  डाला |टीडीपी विधायक ने शुक्रवार रात पलाकोले के ‘हिंदू स्मसना वटिका’ श्मशान घाट में गुजारी, ताकि श्मशान घाट में निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों को यह विश्वास हो सके कि भूत  जैसी कोई चीज नहीं होती.

पलाकोले से टीडीपी विधायक निमलला राम नायडू ने सोने से पहले रात का भोजन भी श्मशान घाट में ही किया. सुबह उठकर वह अपने घर गए और दिन में निर्माण कार्य का जायजा लेने के वापस लौटे.|मीडिया से बात करते हुए निमलला राम नायडू ने कहा, “मैं आने वाले दो-तीन दिनों तक उसी जगह पर सोने वाला हूं. ताकि श्रमिकों के मन से आत्मा का डर भाग जाए, वरना वे श्मशान घाट में आने से डरते हैं.” जब नायडू से पूछा गया कि उन्हें श्मशान में सोने में क्यो कोई परेशानी हुई तो उन्होंने कहा कि वहां बहुत अधिक मच्छर हैं. टीडीपी विधायक ने कहा कि वह आने वाले दिनों में मच्छरदानी लेकर श्मशान घाट में सोने के लिए जाएंगे.

दरअसल इस श्मशान घाट के आधुनिकीकरण के लिए एक साल पहले 3 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे, लेकिन श्रमिकों के मन में भूत का डर होने की वजह से निर्माण कार्य की रफ्तार बहुत धीमी है. श्मशान में अकेले सोने से पहले नायडू ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अधिकारियों और ठेकेदारों ने लंबे वक्त से अटके काम को बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.उन्होंने एक और कारण बताया कि श्मशान घाट में दिनभर मृत शरीर जलते रहते हैं, श्रमिक जब मिट्टी खोदते हैं तो आधे जले हुए अंग ऊपर दिखाई देते.

जिसकी वजह से उस श्मशान घाट में   काम  करने वाले श्रमिक  भी भयभीत रहते हैं कि यदि वे इस जगह पर ज्यादा दिनों तक काम करेंगे तो  बुरी आत्माएं उन्हें परेशान करेगी इस बात को सुनकर नायडू ये समझ गये की इन लोगो के मन में भूतों का डर बुरी तरह से बैठ चूका है जिसे बातों से दूर नहीं किया जा कसता और इसीलिए उन्होंने श्मशान में सोने का फैसला लिया ताकि उन्हें श्रमिकों को विश्वास दिलाया जा सके कि आत्मा जैसा कुछ भी नहीं होता.

नायडू बताते हैं,  “मैं रातभर श्मशान के परिसर में सोया रहा और इससे काम बन गया. शनिवार को काम शुरू करने के लिए 50 श्रमिक लौट आए.” इसके साथ ही उन्होंन आशा व्यक्त की कि अगले कुछ दिनों में अधिक लोग काम पर आएंगे.