इन 16 श्रृंगारों के बिना स्त्री के लिए अधुरा है करवाचौथ का व्रत, इनमे से 7वां है सबसे अहम श्रृंगार

करवाचौथ का व्रत हमेशा की तरह इस साल भी स्त्रीयों के लिए कईं सारी उम्मीदें जगाए हुए है. बता दें कि इस बार का करवाचौथ 24 अक्टूबर 2021 को मनाया जाने वाला है ऐसे में इसके लिए शेष एक दिन बाकी है. हिंदू पंचांग की बात की जाए तो यह त्यौहार हमेशा कृष्ण पक्ष की कार्तिक मॉस की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है. त्योहार की एक ख़ास मान्यता यह है कि इसका व्रत यदि कोई स्त्री रखती है तो उसके पति की उम्र लंबी हो जाती है. बताते चले कि इस वर्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 24 अक्टूबर को सुबह 03: 01 मिनट पर होगी जबकि इसका अंत 25 अक्टूबर यानि सोमवार की सुबह 5: 43 मिनट पर होगा.

करवाचौथ पर हर महिला और लड़की बड़े विधि विधान से गौरी माँ और गणेश की पूजा करती हैं. पूरे दिन अन- जल त्यागने के बाद रात में जब चाँद निकलता है तो वह उसे अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं. पूजा के लिए स्त्रीयां विशेष प्रकार से साज श्रृंगार करती हैं. इसके लिए 16 श्रृंगार करने का विशेष महत्व है. आईये आपको बताते हैं इन 16 श्रृंगारों के बारे में और जानते हैं आखिर हिंदू धर्म में इनके क्या मायने हैं.

बिंदिया

बिंदिया शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्द बिंदु से हुई है इसके अलावा यह भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक भी मानी जाती है. कहा जाता है कि इससे घर परिवार की समृद्धि होती है ऐसे में यह हर नारी का एक अहम श्रृंगार भी माना जाता है.

सिंदूर

भारत देश में स्त्री का असली गहना सिन्दूर ही माना जाता है क्योंकि यह उसके सुहाग की निशानी भी होता है. हर स्त्री का पति उसे मांग में सिंदूर भरकर तमाम उम्र उसका जीवन साथी बनने का वचन समझ कर निभाता है.

काजल

आंखों का काजल नारी की आंखों को और भी सुंदर बनाता है. इससे ना केवल किसी महिला की सुंदरता में इजाफा होता है बल्कि यह घर परिवार को बुरी नजर लगने से भी बचाता है.

मेहंदी

लगभग हर लड़की और औरत को मेहंदी लगाने का शौक होता है इसके अलावा सुहागन के हाथों में सजी हुई मेहंदी उसके सुहाग की निशानी मानी जाती है. भारत देश में शादी के समय सुहागन स्त्री अपने हाथ और पैरों में मेहंदी लगाती हैं. मेहंदी को लेकर एक यह मान्यता भी है कि जिस महिला की मेहंदी का रंग ज्यादा गाढ़ा होता है उसका पति उससे उतना ही प्यार भी करता है.

लाल जोड़ा

भारतीय रीति-रिवाजों के अनुसार हर दुल्हन को शादी पर लाल जोड़ा बनाया जाता है इसे सुहागिन का जोड़ा भी कहा जाता है. हालांकि कुछ राज्यों में दुल्हन को फेरे लेते वक्त पीले या फिर हरे रंग की साड़ी पहनाई जाती है. लेकिन अधिकतर भारत में लाल जोड़े को ही औरतों का श्रृंगार समझकर परहनाया जाता है.

गजरा

जब तक किसी औरत के सर पर फूलों का सुगंधित गजरा ना हो तब तक उसका शृंगार फीका सा ही लगता है इसे सोलह सिंगार में से एक माना जाता है.

मांग टीका

फैशन का दौर चाहे कितना भी पलट क्यों ना जाए लेकिन औरत के सर पर सजा मांग टीका उसकी सुंदरता को हमेशा ही बढ़ाता है. इसके अलावा यह सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. नई दुल्हनिया को यह इसलिए पहनाया जाता है ताकि वे अपने आने वाले जीवन में हमेशा सीधे रास्ते पर और स्पष्ट निर्णय लेकर चल सके.

नथ

नाक में पहनी नथ इस बात की तरफ इशारा करती है कि इससे सुहागन स्त्री के पति का स्वास्थ्य ठीक रहता है साथ ही इससे घर मे धन की व्रद्धि होती है.

कान की बालियां

कानों में पहनी बालियां औरत का 16 में से एक श्रृंगार माना जाता है खास तौर पर यदि वह सोने की हों.

मंगलसूत्र

भारतीय स्त्री की शादी मंगलसूत्र कर बिना अधूरी मानी जाती है यह हर सुहागिन की निशानी माना जाता है.

आलता

अक्सर आलता नई दुल्हनों के पैरों में पहनाया जाता है जोकि करवाचौथ के दिन भी पहनना शुभ माना जाता है.

चूड़ियां

हरे और लाल रंग की चूड़ियां हर सुहागिन स्त्री का श्रृंगार है जोकि ना केवल उन्हें अच्छा लगता है बल्कि सौभाग्य का भी प्रतीक होती है.

अंगूठी

अंगूठी में सोलह सिंगार में से एक सिंगार मानी जाती है जो कि हर सुहागन स्त्री हाथों में पहनती हैं.

कमरबंद

किसी भी सुहागिन औरत की कमर पर बंधा कमरबंद इस बात को दर्शाता है कि वह अपने घर की स्वामिनी है.

बिछिया

जिस तरह से हाथों में अंगूठी पहनने का रे राजा ठीक वैसे ही पैरों में बिछिया पहनी जाती है.

पायल

कहते हैं कि किसी भी सुहागिन स्त्री का पैर खाली नहीं होना चाहिए ऐसे में पायल उसका सबसे कीमती आभूषण माना जाता है.