मिलिए कलयुग के भीष्म पितामह से, इनकी उम्र जान रह जाएंगे हैरान ,80 सालों से कर रहे हैं मौत का इंतजार

कहते हैं हैं की इस दुनिया में सिर्फ एक ही चीज सत्य है और वो है मौत. जो इस दुनिया में आया है उसका इस दुनिया से जाना एक सास्वत सत्य है जसी कोई नहीं बदल सकता है. प्राचीन काल में हामरे इतिहास में कुछ ऐसे भी महापुरुष हुए जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान मिला हुआ था. कहने का मतलब ये है की वो अपनी इच्छा से जब चाहे इस दुनिया को छोड़ सकते थे, एस एही एक महान पुरुष थे भीष्म पितामह जिनका जिक्र आपने महाभारत में जरूर सुना होगा. लेकिन आज हम आपको कलयुग के एक ऐसे भीष्म पितामह के बारे में बताने जा रहे हैं जीनेक बारे में जानकर आपको भी भेद हैरानी होगी.

आपको बत दें की अज हम आपको जिस कलयुग के भीष्म पितामह के बारे में बताने जा रहे हैंउनका सम्बन्ध असल में महाभारत काल से बिलकुल भी नहीं है बल्कि वो इस कलयुग के भीष्म पितामह हैं क्यूंकि उनकी उम्र 183 साल होने के वाबजूद भी आजतक मौत उन्हें अपने साथ नहीं ले जाय पायी. जैस अकी आप सभी जानते हैं की आजकल एक नार्मल इंसान की उम्र महज 60 से 70 होती है लेकिन इस बुजुर्ग की उम्र 183 साला हो चुकी है और इन्हें पिछले 80 साल से इन्तजार है तो सिर्फ अपनी मौत का लेकिन मौत है की वो उनके घर का रास्ता भूल चुकी है. इसके आलवा आपको बता दें की इस 183 साल के उम्र के बुजुर्ग का नाम महाष्टा मुरासी है, इनका जन्म 1835 में बंगलौर के एक गावं में हुआ था . इस बुजुर्ग की माने तो बंगलौर में जन्म लेने के बाद कुछ सालों के बाद इनका ही इनका पूरा परिवार उत्तर प्रदेश के वनारस में आकर बस गया था. आपको बता दें की इस बुजुर्ग शख्स ने करीबन 122 की उम्र तक अपने जीवनकाल में काम किया है लकिन अब उनका शारीर बूढा हो चूका है और इसलिए अब वो ना तो सही से चल फिर सकते हैं और ना ही किसी भी प्रकार से अपने कोई काम आकर सकते हैं

इन्हें जानने वाले लूग्न की माने तो मुरासी जी अब अकेले ही रहते हैं और उनके परिवार में कोई भी ऐसा नहीं है जो इस बूढ़े का सहारा बन सकें इसलिए अब इन्हें जिस एक चीज का इन्तजार है वो है मौत. लेकिन मौत भी ऐसी है की वो शायद इनके घर का रास्ता ही भूल चुकी है. बता दें की मुरासी जी को काफी वर्षों से अब अगर किसी चीज का इन्तजार है तो यो है मौत. लेकिन आपको बता दें की इन्हें जानने वाले तमाम लोगों का कहना है की मुरासी जी को भीष्म पितमह ने ये वरदान दिया था की जो जितने साल चाहे जी सकते हैं.

कुछ लोग इन्हें दैविक अवतार भी मानते हैं और कुछ लोगों का कहना है की मुराशी जी को मिले वरदान की वजह से अब उनकी मृत्यु कभी नहीं होगी. बता दें की मुराशी जी पिछले कई वर्षों ने बनारस में ही चप्पल बनाने का काम करते थे और अब लगभग 80 साल बीत जाना एके बाद जब उनके शारीर ने जवाब दे दिया है तो काम भी नहीं कर पाते हैं इसलिए उन्होनें दो कारीगर रखें हुए हैं जो उनकी देख रेख भी करते हैं और उनका काम भी संभालते हैं.