शादी के 54 साल बाद भगवान ने भर दी झोली, 70 साल की महिला ने दिया बच्चे को जन्म

मां और बच्चे का रिश्ता बहुत ही खास होता है। मां अपने बच्चे की खुशियों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है। जीवनभर हमारी मां हमारे लिए जो करती हैं, उसके कर्ज को कभी चुकाया नहीं जा सकता।

मां से हर बच्चे का रिश्ता दुनिया के किसी भी रिश्ते से पुराना होता है, क्योंकि मां और बच्चे का जुड़ाव गर्भ में ही हो जाता है, तभी से मां को बच्चे की फिक्र होने लगती है और बच्चा भी मां के एहसासों को समझने लगता है।

जब कोई महिला शादी के बाद अपने पहले बच्चे को जन्म देती है तो उसकी खुशी का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। मां बनने का सुख क्या होता है, बस मां ही समझ सकती है। अक्सर कई मामलों में शादी के बाद कई महिलाएं बहुत ही जल्द मां बन जाती हैं। लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं, जो जीवन भर औलाद के लिए तरसती रहती हैं।

लेकिन कहा जाता है ना कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। इसी बीच राजस्थान के अलवर से एक मामला सामने आया है, जहां पर शादी के 54 साल बाद बीते सोमवार को 70 वर्षीय महिला ने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया है।

शादी के 54 साल बाद आंगन में आई खुशियां

राजस्थान के अलवर जिले में बीते सोमवार को शादी के 54 साल बाद बुजुर्ग दंपत्ति के घर में किलकारी गूंजी। मां की उम्र 70 साल है और पिता की उम्र 75 साल है। डॉक्टर का दावा है कि राजस्थान में यह अकेला मामला है कि इतनी उम्र की महिला ने बेटे को जन्म दिया है। डॉक्टर का कहना है कि आईवीएफ तकनीक की मदद से महिला को संतान पैदा हुई है।

हालांकि, आईवीएफ तकनीक की बदौलत दुनियाभर में कई बुजुर्ग जोड़े 70 से 80 वर्ष की आयु में माता-पिता बन गए हैं। बच्चे के जन्म के बाद पिता गोपीचंद की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। गोपीचंद झुंझुनू के नुहनिया गांव के एक पूर्व सैनिक हैं, जिन्हें बांग्लादेश युद्ध के दौरान पैर में गोली लगी थी। गोपीचंद को सेना से सेवानिवृत्त हुए 40 साल हो चुके हैं। डॉक्टर पंकज गुप्ता का ऐसा कहना है कि बच्चा और मां दोनों ही ठीक हैं। बच्चे का वजन करीब साढ़े 3 किलो बताया गया है।

डॉक्टर ने कहा- इस उम्र में बच्चों के पैदा होने के कुछ ही मामले

डॉक्टर का ऐसा कहना है कि “देशभर में इस उम्र में बच्चों के पैदा होने के कुछ ही मामले हैं। राजस्थान का यह संभवत; पहला मामला है जब 75 साल का पुरुष और 70 साल की महिला को बच्चा हुआ है।” गोपीचंद ने पहले बच्चे के घर में आने पर यह कहा कि “खुशी है कि हम अपने परिवार को आगे ले जा सकते हैं, क्योंकि मैं अपने पिता नैनू सिंह का इकलौता बेटा हूं।”

आपको बता दें कि गोपीचंद ने अपनी पत्नी चंद्रावती को देशभर के कई डॉक्टरों से जांच कराया। लेकिन उनको संतान सुख नहीं मिला। इसके बाद करीब डेढ़ साल पहले एक रिश्तेदार के माध्यम से फर्टिलिटी क्लीनिक से संपर्क किया था। अपनी तीसरी आईवीएफ साइकिल में चंद्रावती देवी 9 महीने पहले गर्भवती हुईं।

माता के वृद्ध होने की वजह से चिंता और खुशी समान भाव से थी। हालांकि, उन्होंने आखिरकार बीते सोमवार को एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है। उनके आंगन में इतने सालों बाद किलकारी गूंजी है, जिसकी वजह से बुजुर्ग दंपत्ति की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।

जून 2022 में आईवीएफ को लेकर आया ऐसा कानून

डॉक्टर गुप्ता के मुताबिक संसद द्वारा हाल ही में अधिनियमित एक कानून जून 2022 में प्रभावी हुआ। इसमें कहा गया कि कोई भी आईवीएफ प्रजनन संस्थान 50 से ज्यादा रोगियों का इलाज नहीं कर सकता है, जिसमें पुरुष और महिला दोनों शामिल हैं। लेकिन कानून लागू होने से पहले ही महिला गर्भवती हो गई थी, ऐसे में यह दंपत्ति बहुत भाग्यशाली साबित हुए।