इस लड़की की जिद्द के आगे झुका भारतीय रेलवे परिषद, एक सवारी को छोड़ने के लिए 535 किमी. तक चलानी पड़ी राजधानी एक्सप्रेस

कहते हैं यदि कोई इंसान कुछ चाहत रखे तो फिर वह आगे बढने के लिए कुछ भी कर गुजरता है लेकिन कभी हार नहीं मानता है. जिद्द इंसान की जिंदगी का अहम हिस्सा है. बहुत सी बातें इंसान को जिद्दी बनाती हैं. वहीँ आज हम आपको एक लड़की की ऐसी अनोखी जिद्द के बारे में सच्ची घटना बता रहे हैं, जिसे जानकर आप भी एक बार सोच में पड़ जायेंगे. दरअसल, इस गज़ब की लड़की ने पूरे रेलवे विभाग को अपनी छोटी सी जिद्द के आगे झुका दिया और आख़िरकार ऑफिसर्स को भी उसकी बात मान कर केवल एक ही सवारी के लिए 535 किलोमीटर तक राजधानी एक्सप्रेस चलवानी पड़ी. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी जो रेलवे ने ऐसा फैसला लिया? तो आईये हम आपको बताते हैं यह पूरा मामला.

बता दें कि यह मामला बीएचयू में लॉ की पढ़ाई करने वाली अनन्या से जुड़ा हुआ है. दरअसल राजधानी एक्सप्रेस में कुल 930 यात्री सवार थे जोकि पहले ही या तो रास्ते में उतर चुके थे या रांची के लिए बस सुविधा ले चुके थे. लेकिन अनन्या ने बस का सफ़र करने से साफ़ मना कर दिया और ट्रेन में ही सवार होने की जिद्द पकड़ ली.

खबरों की माने तो सफ़र करने वाले सभी यात्री डालटेनगंज से ही बस से रांची की तरफ रवाना हो लिए थे. लेकिन अनन्या की जिद्द थी कि वह राजधानी से ही रांची तक का सफ़र तैय करेगी. उसने कहा कि यदि उसने बस में सफ़र करना होता तो वह ट्रेन का टिकेट ही आखिर क्यों करवाती.

बाकी सभी यात्रियों की तरह अनन्या ने बस से रांची पहुंचना स्वीकार नहीं किया. इसके बाद रेलवे विभाग ने उन्हें कार का आप्शन भी दे दिया लेकिन अनन्या नही मानी. आख़िरकार यह मामला रेलवे चेयर पर्सन के पास पहुँच गया. जिसके बाद चेयरमैन ने सुरक्षा के इंतजामों के साथ एक ही यात्री के साथ ट्रेन चलाने की इजाजत दे दी. ऐसा पहली बार हुआ होगा जब एक यात्री के लिए राजधानी एक्सप्रेस को 535 किलोमीटर तक का सफ़र करना पड़ा. यह ट्रेन रात के एक बजकर 45 मिनट पर रांची पहुंची.

लगातार 8 घंटों तक रेलवे ऑफिसर्स को मनाने के बाद आख़िरकार अनन्या की जिद्द जीत गई. इस लड़की से हमे आत्म निर्भर होने की सीख मिलती है. वह अपनी मांग पर डटी रही और रेलवे द्वारा दिए गए सभी ऑफर्स को भी ठुकरा दिया. अनन्या ने बताया कि वह रेलवे विभाग के इस फैसले से काफी नाराज़ भी थी कि उन्होंने सभी यात्रियों को बस से जाने के लिए बोल दिया. कोरोना महामारी के बीच नियमों का उलंघन होता हुआ देख कर अनन्या ने आवाज़ उठाना ही ठीक समझा. हालाँकि बाकी सभी यात्र्री बस से जाने के लिए चल दिए थे क्यूंकि वह सफ़र आसान था. लेकिन अनन्या अकेली अपनी जिद्द पर अडी रही.