कभी रिक्शा चला कर बने थे टीचर, अब रिटायर होने के बाद गरीबों बच्चों में दान की अपनी 40 लाख की सैलरी

दुनिया में दरियादिल लोगों की कोई कमी नहीं है लेकिन हम लोग चाहे तो कुछ अच्छा करके लोगों की मदद कर सकते हैं. यही कहना है मध्य प्रदेश के रहने वाले विजय कुमार चौरसिया का. जिन्होंने मानवता की एक नई मिसाल पेश की है. जानकारी के लिए बता दे कि विजय कुमार एक सरकारी स्कूल के रिटायर्ड टीचर है. जिन्होंने अपनी रिटायरमेंट के बाद कुछ ऐसा किया जिसको सुनने के बाद सभी लोग इनकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पा रहे हैं. सरकारी स्कूल के टीचर ने अपने बच्चों और पत्नी की सहमति से रिटायरमेंट पर मिलने वाली अपनी सारी राशि स्कूल के छात्रों को दान को दान कर दी.

जानकारी के लिए बता दे जब विजय कुमार छोटे थे तो उन्होंने काफी ज्यादा मुसीबतों का सामना किया. उन्होंने अपने बचपन के दिनों में काफी सारे संघर्ष किए. ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सके अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए उन्होंने रिक्शा तक चलाया और दूध बेच बेच कर अपनी पढ़ाई पूरी की. अपनी मेहनत और परिश्रम के दम पर वह सन 1983 में शिक्षक बन गए. आपने शिक्षक बनने के बाद उन्होंने उन छात्रों को देखा जो अभाव में अपनी जिंदगी व्यतीत कर रहे थे. यहां तक कि कुछ बच्चों की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें पढ़ाई भी बीच में ही छोड़नी पड़ती थी.

उन्होंने जब भी शिक्षक के रूप में अपने विद्यार्थियों की मदद की तो उनके चेहरे की खुशी देखते बनती थी. उन्हें अपने विद्यार्थियों की मदद करके अलग तरह की खुशी महसूस होती थी. फिर क्या था उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद भविष्य निधि के रूप में मिलने वाले 4000000 रुपए उन्होंने अपने विद्यार्थियों के लिए स्कूल को दान में दे दिए. बस उनके इसी काम के कारण लोग उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं. सच में विजय कुमार के द्वारा किया गया यह काम काबिले तारीफ है.

जानकारी के लिए बता दे एक शिक्षक की पत्नी हेमलता और बेटी महिमा का कहना है कि विजय कुमार चौरसिया ने यह फैसला पूरे परिवार के समर्थन में लिया है. दरअसल उनके रिटायरमेंट के दिन उनके साथी अध्यापकों ने उनके लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इसी कार्यक्रम के दौरान विजय ने अपनी रिटायरमेंट की राशि दान में देने का फैसला किया. उनके इस कारनामे को जिसने भी पड़ा और सुना वह विजय कुमार की काबिले तारीफ कर रहा है और उनके समर्पण को प्रणाम कर रहा है. आज के समय में शिक्षकों द्वारा अपना लोन चुकाना भी संभव नहीं है. वहीं भारत की भूमि पर विजय कुमार जैसे महान शिक्षक भी जमा जन्म लेते हैं. जो अपने छात्रों की पढ़ाई को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. जिन्होंने गरीब छात्रों के रिटायरमेंट के रूप में मिलने वाली ₹40 लाख की राशि को स्कूल को दान में दे दिया. ताकि उनके विद्यार्थी किन्हीं भी कारणों से अपनी पढ़ाई ना छोड़े और अपनी पढ़ाई पूरी कर आगे बढ़े.