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पिता को परेशान देख कर बेटे के दिमाग में आया गजब का आइडिया, अब खड़ी की खुद की 100 करोड़ की कंपनी

हाल ही में नेटफ्लिक्स पर कपिल शर्मा की सीरीज ‘आई एम नॉट डन येट’ को रिलीज किया गया था जिसके बाद से उनका एक डायलॉग सोशल मीडिया पर खूब तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि, ‘जब किसी बेटे को पता चल जाता है कि उनके पिता की कमाई उनके घर के खर्चों से बहुत कम है तो वह तभी मैच्योर हो जाता है.’ उनके इस डायलॉग ने हर किसी का दिल जीत लिया जिसके बाद से सोशल मीडिया पर लोगों की सक्सेस स्टोरीज लगातार सामने आ रही है. वही आज के इस खास पोस्ट में भी हम आपको एक ऐसे ही बेटे की कहानी बता रहे हैं जो अपने पिता की आर्थिक तंगी को और उन्हें परेशान होते हुए नहीं देख पाया और आखिरकार खुद कुछ कर दिखाने की ठानी. अब आलम ऐसा है कि इस बेटे के पास खुद की 100 करोड रुपए की कंपनी है. चलिए जानते हैं आखिर यह बेटा कौन है और इसकी क्या कहानी रही है.

दरअसल अगर कोई इंसान कामयाबी पाने की ठान लेता है तो वह अपनी उम्र नहीं देखता बल्कि बड़े सपने देख कर उन्हें साकार करने की सोच बना लेता है. कुछ ऐसी ही सोच मुंबई के रहने वाले 13 वर्षीय तिलक मेहता की भी रही होगी. आठवीं कक्षा के छात्र तिलक ने अपने पिता को हर दिन काम करते और घर थके हारे लौटते हुए देखा था और उन्हें निराश होते हुए भी देखा करता था. वह हमेशा यही सोचता था कि आखिर में अपने पिता की मदद कैसे करें? काफी रिसर्च करने के बाद उसने पिता से उनकी मदद करने की जिद की और पेपर एंड पार्सल पीएनपी नाम से लॉजिस्टिक कंपनी शुरू कर दी. तिलक ने बताया कि उन्हें पिछले साल कुछ किताबों की सख्त जरूरत थी जो उन्हें काफी समय से मिल नहीं रही थी ऐसे में उस पल एक आईडिया ने उसकी जिंदगी बदल दी.

तिलक ने बताया कि 1 दिन उसने पार्सल और लाइटवेट सामान बांटने वाली कंपनी को शुरू करने का आइडिया सोचा जिसके बारे में उसने अपने पिता को भी बताया जो कि पहले से लॉजिस्टिक कंपनी में चीफ एग्जीक्यूटिव थे. पिता को अपने बेटे तिलक का यह आईडिया काफी पसंद आया और इस बारे में उन्होंने सोचना शुरु कर दिया. बता दें कि इसी आइडिया के चलते 13 वर्षीय तिलक मेहता को अब हाल ही में इंडिया मैरिटाइम अवार्ड से नवाजा गया है. यहां उन्हें यंग एंटरप्रेन्योर अवार्ड से सम्मानित किया गया था क्योंकि उन्होंने एक ऐसी कंपनी की स्थापना की जो महज 24 घंटे के अंदर सस्ती कोरियर सर्विसेस प्रोवाइड करती है.

13 वर्षीय तिलक ने बताया कि 1 दिन वह अपने चाचा के घर किसी काम से गए थे लेकिन वहां से स्कूल की किताबें लाने भूल गए थे जबकि अगले ही दिन उनका एग्जाम था. ऐसे में उन्होंने कहीं कोरियर कंपनी से बात किए जो उनके किताबों वाले पार्सल को 24 घंटे के अंदर उन तक पहुंचा दें लेकिन काफी मेहनत के बाद भी उन्हें ऐसी कोई कंपनी नहीं मिली जो 24 घंटे के अंदर उन्हें डिलीवरी कर सकती हो थी. इसके इसके अलावा तिलक ने बताया कि वे इस बात से वाकिफ थे कि मुंबई शहर में डिब्बों में भोजन एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाया जाता है. ऐसे में उन्होंने सोचा कि क्यों ना मुक्केबाजों को भोजन के अलावा भी कुछ और पहुंचाया जाए जिनकी उन्हें आवश्यकता हो जैसे कोई जरूरी कागज या फिर किताबें आदि.

तिलक ने बताया कि उनके इस आइडिया से कई कोरियर कंपनीज को लेकर चिंतित लोगों की परेशानियां खत्म हो सकती थी. ऐसे में उन्होंने ‘डब्बावाला’ का रेवेन्यू बढ़ाने के लिए पहले ही कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों से बात करनी शुरू कर दी थी. अब तिलक की कंपनी बॉक्सर्स तक सामान पहुंचाने का काम करती है साथ ही में ब्रांडिंग और विज्ञापन का काम भी संभालती है. इस बारे में बातचीत करते हुए मुंबई ‘डब्बावाला’ टीम के प्रवक्ता सुभाष तालेकर ने बताया कि इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य कंपनी की आय बढ़ाना है और वह खाली समय में इस काम को करके अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं.

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