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लड़के ने खुद को बना डाला खूबसूरत लड़की, बोला- ‘मैंने खुद से खुद को ऐसा बनाया है…’

इन दिनों छत्तीसगढ़ सरकार का साल 2022 का कैलेंडर खासी चर्चा बटोरता हुआ नजर आ रहा है. दरअसल यहां की सरकार ने अपने 2022 के कैलेंडर के सितंबर महीने की कवर पेज को कुछ ऐसा रूप दिया है जिसे देखकर हर कोई हैरत में है. इस कवर पेज पर आप न्याय व स्वालंबन पर आधारित टीम को शासकीय कैलेंडर पर देख सकते हैं. गौरतलब है कि सितंबर 2022 के कवर पेज पर 22 पुलिसकर्मी दिखाई दे रहे हैं लेकिन सोचने की बात यह है कि यह सभी पुलिसकर्मी ट्रांसजेंडर है. बताया जा रहा है कि इन पुलिसकर्मियों की भर्ती साल 2021 में पुलिस विभाग में की गई थी ऐसे में छत्तीसगढ़ पुलिस का पहली बार ट्रांसजेंडर समूह हिस्सा बना है. इस समूह में विद्या राजपूत नामक एक लड़की खासी चर्चा बटोरती हुई नजर आ रही है जो कि अपने सम्मान और हक की लड़ाई के लिए हमेशा ही आगे रही है इसकी चर्चा ना केवल देश में बल्कि अब पूरी दुनिया भर में भी होने लगी है. पुलिस में भर्ती होने के लिए ट्रांसजेंडर विद्या राजपूत ने समूह का नेतृत्व करते हुए पुलिस भर्ती में अगुवाई की थी.

छत्तीसगढ़ शासन कि विद्या राजपूत का कहना है कि, अब पहली बार छत्तीसगढ़ के शासकीय कैलेंडर में ट्रांसजेंडर पुलिस की तस्वीर छपी है. उनका कहना है कि ट्रांसजेंडर पुलिस समूह में 12 लोग इस तस्वीर में दिखाई दे रहे हैं जो कि खाकी वर्दी पहनकर जनसेवा के लिए तैयार खड़े हैं. विद्या के अनुसार उन्हें गर्व है कि भारतीय सरकार ने उन्हें शासकीय कैलेंडर में स्थान दिया है क्योंकि यह उनकी कम्युनिटी के लिए पहली बार हुआ है जब किसी ने उनके लिए स्टैंड लिया हो. विद्या ने कहा कि जब जब लोग इस कैलेंडर को देखेंगे तब तक समाज में उनके प्रति सकारात्मक सोच सामने आने लगेगी. बता दे कि विद्या राजपूत ने अपनी पहचान स्थापित करने के लिए ना केवल घर परिवार से बल्कि पूरे समाज से लड़ाई करके काफी लंबा संघर्ष किया है.

अब सिर्फ बात ही नहीं होती

न्यूज़ 18 वेबसाइट से बातचीत करने के दौरान विद्या राजपूत ने बताया कि अब काफी सुकून मिलता है जब समाज में जेंडर इक्वलिटी के लिए काम किए जा रहे हैं और बातें सिर्फ बातें नहीं रही हैं इसके अलावा एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी भी अब खुलकर सामने आने लगी है. उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों में भी इन सब कम्युनिटीज को भगवान मकान और अन्य शासकीय लाभ दिए जाने लगे हैं यानी कि अब ट्रांसजेंडर भी आम इंसान के बराबरी पर आ रहे हैं और इन्हें आगे बढ़कर काफी कुछ करना है और कुछ कर भी रहे हैं.

खुद को खुद बनाया है

विद्या राजपूत ने अपने ट्रांसजेंडर होने की बातचीत को करते हुए कहा कि भले ही उन्होंने 1 मई 1977 को जन्म लिया और उन्होंने अपनी मां की कोख से ही इस धरती पर कदम रखा. लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें खुद के होने का एहसास तब हुआ जब उन्होंने खुद को खुद पैदा किया. विद्या ने बताया कि, ‘मैंने उस जिंदगी को जीना शुरु किया जो मैं अपने शरीर में हमेशा से महसूस करती आ रही थी मां की कोख से में लड़का पैदा हुई थी और मेरा नाम विकास राजपूत था लेकिन 10 साल की उम्र से ही मैंने खुद को पहचानने से इंकार कर दिया था और मेरे परिवार वाले और समाज वाले की नजर में मैं हमेशा से गिरता नज़र आ रहा था लेकिन मैंने खुद की पहचान स्थापित की और आज विद्या राजपूत बन कर देश की सेवा करने का मौका मिल गया है.’

मैंने हमेशा से खुद को लड़की माना

विद्या राजपूत ने बताया कि वह छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के फरसगांव में पैदा हुई थी हमेशा से ही वह घर समाज की नजरों में खटकती थी. उनकी चाल देखकर हर कोई उन्हें चिढ़ाता था. लेकिन विद्या ने अंदर ही अंदर खुद को लड़की मान लिया था ऐसे में उन्होंने बताया कि, ‘जब मैंने परिवार वालों से इस बारे में बातचीत करने की कोशिश की तो कोई भी मेरी बात को नहीं माना और फिर मैंने सोचा कि मैं अपनी जिंदगी खत्म ही कर लूं लेकिन काफी उन दिनों के बाद मैंने यह ठान लिया कि अब मैं फाइनली अपना सेक्स चेंज कर पाऊंगी मैं आत्मा से लड़की हूं इसलिए शरीर से भी लड़की ही बनूंगी. इसके लिए पैसे जमा करने के लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी मैं आगे की पढ़ाई के लिए रायपुर आई और यहां अलग-अलग फर्मों में नौकरी करके मैंने पैसे इकट्ठा किए और जानकारियां जुटा थी रही साल 2007 में मैंने आखिरकार खुद को चेंज करने की प्रक्रिया शुरू करवाई और 2020 तक अलग-अलग चरणों में चारो प्रश्नों के बाद नया आखिरकार विकास से विद्या राजपूत बनी.’

 

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