अमरीश पुरी को याद करके भावक हुए पोते वर्धन, फैंस संग शेयर किए उनके खूबसूरत किस्से

फिल्म जगत में जितनी अहमियत एक हीरो को मिलती है, उससे कहीं गुना अधिक अहमियत एक विलेन को भी मिलती है. क्यूंकि कि कोई भी कहानी बिना विलेन के अधूरी सी लगती है. ऐसे में बात अगर महान विलेन्स की करें तो दिमाग में सबसे पहला नाम जिस शख्स का आता है वह कोई और नहीं बल्कि अमरीश पुरी ही हैं. अमरीश पुरी बेशक आज हमारे बीच नही हैं लेकिन उनकी एक्टिंग और जबरदस्त डायलॉग आज भी हमारे ज़हन में बसे हुए हैं. कईं लोग उन्हें कॉपी करने की कोशिश करते हैं लेकिन उनके जैसा बन पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हैं. अमरीश पुरी एक बेहतर अभिनेता साबित हुए हैं उन्होंने अब तक जितनी भी फिल्मों में काम किया है, सबमें उनकी अदाकारी की तारीफ की गई है. जहाँ एक तरफ उनका बॉलीवुड सफ़र इतना सुनेहरा रहा वहीँ अब उनके पोते वर्धन पुरी का संघर्ष पीरियड ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है.

दादा के निधन पर वर्धन थे काफी छोटे

हाल ही में वर्धन पुरी ने दादा अमरीश पुरी को याद करते हुए कुछ अनसुने किस्सों को शेयर किया है. उनका कहना है कि उनका बॉलीवुड इंडस्ट्री में स्ट्रगल एक आम इंसान की तरह ही है क्यूंकि जब उन्होंने इंडस्ट्री में कदम रखा तब उनके दादा उनके साथ नहीं थे. वर्धन के अनुसार फिल्म जगत में अपनी अलग पहचान हासिल करना बेहद कठिन है. उन्होंने आगे कहा कि, “आज भी लोग विश्वास नहीं करते हैं कि जब दादा जी ने दुनिया को अलविदा कहा था तब मैं बहुत छोटा था लेकिन फिर भी उनका जाना मेरे लिए आसान नहीं था. वह तब मेरे साथ नहीं थे जब उनके कॉल से फिल्म निर्माता मुझे कम दे सकते थे.”

2019 में रखा था फिल्म जगत में कदम

आपकी जानकारी के लिए बताते चले कि वर्धन ने साल 2019 में आई फिल्म ‘ये साली आशिकी’ से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने हाल ही में अपने दादा अमरीश पुरी को याद किया और कहा, “हर कोई यह जानना चाहता है कि मेरे दादू मेरे लिए क्या थे, मेरे पास उनकी ढेरों अच्छी यादें हैं. मैं और दादू एकसाथ फिल्में देखा करते थे. मैं उन लम्हों को एक बार फिर से जीना चाहता हूँ. आज भी मुझे उनके साथ बिताया वक़्त याद आता है. हम तब साथ बैठ कर नाश्ता करते थे और फिर ब्रेक पीरियड में फैमिली गपशप किया करते थे.”

दादा देते थे इनाम

वर्धन ने दादा अमरीश पुरी की यादों को फैन्स संग शेयर करते हुए कहा कि, “उनके हर साल जन्म दिन पर अमरीश पुरी उनकी पार्टी का अहम हिस्सा हुआ करते थे. बचपन के समय में उनके दोस्त, परिवार और चाचा मिल कर खेत मड आईलैंड जाते थे और वहां पूरे दिन गेम्स खेला करते थे.” इन खेलों में दादा और दादी जज बनते थे और जीतने वाले को इनाम दिया करते थे. वर्धन के अनुसार वह पल उनकी जिंदगी का सबसे ख़ुशी वाला पल हुआ करता था. बता दें कि कोरोना काल के दौरान फ़िलहाल फिल्म इंडस्ट्री में पैर टिकाना वर्धन के लिए कठिन साबित हो रहा है. लेकिन अभी तक वह हिमत नहीं हारे हैं. उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में हम अमरीश पुरी के इस वारिस की और फिल्में बड़े पर्दे पर देख पाएंगे.