अनुराग बसु ने फैंस को बताया अपनी जिंदगी का सबसे डरावना पल, बोले- ‘तब कीमोथेरेपी के बाद भी कंगना की फिल्म शूट कर रहा था मैं…’

हिंदी सिनेमा जगत के सितारों की जिंदगी हमें दूर से जितनी आसान और लग्जरी दिखती है, पास से उतनी ही खोखली भी होती है. इन सितारों को तमाम तरह के गम अपने दिल में समेटकर फैंस को अपनी मुस्कान दिखानी ही पड़ती है. कुछ ऐसी ही कहानी मशहूर फिल्म निर्देशक अनुराग बसु की भी है. बता दें कि अनुराग बसु ने ‘मर्डर’, ‘बर्फी’, ‘साया’, ‘लाइफ इन ए मेट्रो’ और ‘गैंगस्टर’ जैसी कई बड़ी फिल्मों का निर्देशन किया है जिसके चलते वह एक फेमस फिल्म निर्माता भी माने जाते हैं. हाल ही में अनुराग बसु ने अपनी जिंदगी के उस दौर को याद किया जब वह ब्लड कैंसर से लड़ रहे थे. उन्होंने अपनी कैंसर जर्नी को फैंस के साथ शेयर किया है और बताया है कि वह समय उनके लिए कितना भयानक और डरावना था. अनुराग ने बताया कि उस समय उनकी हालत इतनी खराब थी कि डॉक्टर ने साफ तौर पर उन्हें कह दिया था कि अब उनके पास बचने की कोई उम्मीद नहीं है और उनके पास जिंदा रहने के लिए केवल 2 हफ्ते ही शेष बचे हैं.

अपने इस कैंसर जने को अनुराग बसु ने समदिश भाटिया के यूट्यूब चैनल पर शेयर किया है. उन्होंने बताया कि उनके इन लक्षणों की शुरुआत तब हुई जब उनके मुंह में बड़े-बड़े छाले हो गए थे. जब मैं डॉक्टर के पास गए तो उनकी हालत देखकर डॉक्टर ने चेकअप करने की सलाह दी. लेकिन तब काफी बिजी शेड्यूल के चलते अनुराग बसु डॉक्टर को टालते रहे. अनुराग ने आगे बताया कि डॉक्टर ने उन्हें कह दिया था कि अब उनके पास जीने के लिए केवल दो ही हफ्ते बचे हैं और तभी उनकी पत्नी भी 7 महीने की प्रेग्नेंट थी.

आगे जानकारी देते हुए अनुराग ने बताया कि, ‘उन दिनों में मुझे सिर में काफी तेज दर्द रहता था और दिन भर कमजोरी व थकान महसूस होती थी. एक दिन मैं अस्पताल से बाहर निकलकर इमरान हाशमी और बाकी अन्य लोगों के साथ बीयर पीने गया था क्योंकि मुझ पर कोई भी दवा काम नहीं कर रही थी और मेरी तबीयत भी दिनों- दिन खराब होती चली जा रही थी. ब्लीडिंग ज्यादा होने के चलते बहुत से लोग मुझे ब्लड देने के लिए भी आते थे. उस समय मुझे लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया था लेकिन बाद में टाटा अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया था. हालांकि संजय दत्त के पिता सुनील दत्त की मेहरबानी से मुझे टाटा पताल में आसानी से बेड मिल गया था.’

आगे अनुराग बसु ने बताया कि, ‘मैं काफी खुशकिस्मत हूं जो मुझे सेलिब्रिटी होने के चलते इतनी आसानी से बेड और ट्रीटमेंट मिल गया. लेकिन फिल्म इंडस्ट्री के बहुत से लोगों ने उस समय मेरी मदद की और मुझे कई लोगों का खून भी चढ़ाया गया था. मैं अब तक इस बात से अनजान हूं कि कितने लोगों का खून मेरी रगों में दौड़ रहा है. मैं काफी समय तक वेंटिलेटर पर भी रहा था. लेकिन दुख की बात यह थी कि कीमोथेरेपी के दौरान भी मुझे काम करना पड़ता था क्योंकि मुझे अपने ट्रीटमेंट के लिए बहुत से पैसे चाहिए होते थे. तब मैंने कंगना रनौत और इमरान हाशमी की फिल्म गैंगस्टर को शूट किया था जब मैं कीमोथेरेपी के ट्रीटमेंट से गुजर रहा था.’ गौरतलब है कि अनुराग बसु को कीमोथेरेपी के बाद भी बहुत से टीवी शो में भी जाना पड़ता था जहां पर वह मुंह पर मास्क लगाए रखते थे. अपनी इस कठिन झरने के बारे में बात करते हुए अनुराग ने बताया कि उनको जिंदा रहने की हिम्मत केवल उनके परिवार ने दी क्योंकि उनके परिवार के लिए भी उन्हें अलविदा कहना तब काफी कठिन था.