700 कैदियों को मिलता था एक टीवी, हर टाइम बाहर से आता था खाना, कुछ ऐसे थे जेल में अर्नब गोस्वामी के दिन

बीती 4 नवंबर को रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. बताया जा रहा है कि अर्नब गोस्वामी पर आत्महत्या के लिए उकसाने के गंभीर आरोप लगाए गए थे जिसके चलते पुलिस तुरंत एक्शन में आ गई. उन्हें हिरासत में लेने के बाद गोस्वामी को तलोजा सेंट्रल जेल भेजा गया था. गौरतलब है कि इस जेल में अर्नब के इलावा कईं तरह के लोग सजा काट रहे हैं. जानकारी के अनुसार जेल में अंडरवर्ड से जुड़े कुछ गैंग्स्टर भी कैदी हैं. शायद यही वजह है जो तलोज सेंट्रल को अंडरवर्ड का दूसरा अड्डा भी कहा जाता है. हालंकि अभी उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार जमानत पर रिहाई दे दी गई है. लेकिन आईये जानते हैं आखिर जेल के उनके दिन कैसे बीते हैं.

ऐसे बीते थे 8 दिन

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अर्नब गोस्वामी को अब अदालत से रिहाई मिल चुकी है और वह वापिस घर लौट चुके हैं. हाल ही में रिपब्लिक टीवी पर प्रसारित होने वाले शो “पूछता है भारत” में उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई. उन्होंने इस शो में बताया कि उनके 8 दिन तलोजा जेल में कैसे बीते थे. उन्होंने कहा कि उन्हें हिरासत समय के दौरान दो अलग-अलग जेलों में रखा गया था. पहले उन्हें अलीबाग की जिला जेल में दो दिन तक रखा गया था. इसके बाद उन्हें तलोजा की जेल में शिफ्ट कर दिया गया था.

तोड़ने की थी नाकाम कोशिश

अर्नब गोस्वामी में शो के दौरान बताया कि तलोजा जेल में उनके साथ अबू सलेम और अबू जिंदाल जैसे मुजरिमों को रखा गया था. उनका कहना था कि, “अलग-अलग जेलों में रख कर वह मुझे तोड़ने की कईं कोशिशें करते रहे लेकिन मैं संघर्षों से भरा आदमी हूँ इसलिए इतनी आसानी से मुझे तोड़ पाना आसान नहीं है. मैं जेल में जा कर बल्कि और मजबूत हो गया हूँ.”

700 कैदियों का था एक टीवी

अर्नब ने बताया कि उन्हें जेल में 700 अन्य कैदियों के साथ रखा गया था ऐसे में 20 मित्र की दूरी पर एक टीवी लगा होता था जिसको देखने वालों की संख्या भी काफी अधिक थी. इस टीवी में दूर से उन्हें कुछ भी ना तो साफ़ सुनाई देता था और ना ही कुछ दिखाई देता था. लेकिन उन्हें इतना सप्पोर्ट मिला कि तीनों टाइम उनके लिए बाहर से खाना भेजा जाता था. क्यूंकि कुछ लोग उनके खाने को लेकर आया करते थे. अर्नब ने कहा कि यह सभी दिन उनके जीवन के सबसे सार्थिक दिन थे जोकि हमेशा के लिए उनके लिए एक यादगार बन कर साथ रहने वाले हैं.