मां और वर्दी का फर्ज निभा रहीं एक साथ, 7 महीने के बच्चे को गोद में लेकर ड्यूटी कर रही महिला सिपाही

इस दुनिया में मां के रिश्ते को सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। मां हमें जन्म देती है। इसके साथ ही हमारा लालन-पालन करती है। मां एक ऐसा शब्द है, जिसके महत्व के विषय में जितनी भी बात की जाए उतनी ही कम है। मां के बिना हम सभी अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। मां को प्रेम और करुणा का प्रतीक माना जाता है। एक मां ही होती है जो दुनिया भर के कष्ट सहकर भी अपनी संतान को अच्छी से अच्छी सुख-सुविधा देना चाहती है।

मां की ममता ऐसी होती है कि वह अपनी संतान को कभी भी दुखी नहीं देख सकती है। जरूरत पड़ने पर मां अपनी संतान के लिए अपनी खुशियों का भी त्याग कर देती है। जब कभी संतान पर मुसीबत आती है, तो मां सबसे आगे रहकर अपनी संतान की रक्षा करती है। मां ऐसी होती है कि वह अपनी संतान को किसी भी मुसीबत से बाहर निकाल लेती है।

मां की ममता उसे सबसे श्रेष्ठ बनाती है, इतना श्रेष्ठ के समय आने पर वह खुद को सबसे बड़ा और ताकतवर साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से असम की एक महिला कांस्टेबल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस बात का एक सुंदर और स्पष्ट उदाहरण है।

7 महीने के बच्चे को लेकर काम पर लौटी महिला सिपाही

दरअसल, आज हम आपको जिस महिला सिपाही के बारे में बता रहे हैं उनका नाम सचिता रानी रॉय है, जिनकी उम्र 27 वर्ष की है। यह अपने 7 महीने के बच्चे को लेकर काम पर लौटी हैं और इस बात की हर कोई तारीफ कर रहा है। दरअसल, उनकी मैटर्निटी लीव्स ख़त्म हो चुकी थी। उन्होंने इसे बढ़ाने का अनुरोध तो किया परंतु इसे खारिज कर दिया गया। इसी वजह से वह अपने बच्चे को साथ लेकर काम पर पहुंची हैं।

महिला सिपाही सचिता रानी रॉय रोज अपने बच्चे के साथ सुबह 10:30 बजे से अपने कार्यालय पहुंच जाती हैं और पूरे दिन काम करने के बाद ही घर जाती हैं। हर कोई इस महिला सिपाही की प्रशंसा कर रहा है।

छुट्टियां नहीं बढ़ाई गईं

सचिता रानी रॉय का ऐसा कहना है कि उनके पास अपने बच्चे को काम पर लाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है क्योंकि उन्होंने छुट्टी बढ़ाने का अनुरोध किया परंतु उसे खारिज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उनकी अनुपस्थिति में बच्चे की देखभाल करने के लिए घर पर कोई नहीं है। बता दें पुलिस कांस्टेबल सचिता रानी रॉय के पति केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान हैं और असम से बाहर तैनात हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सचिता रानी रॉय ने कहा कि “मेरे पास अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए घर पर कोई नहीं है इसलिए मुझे उसे अपने साथ लाना पड़ता है। यह कई बार असहज हो जाता है लेकिन मेरे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है।”

अपनी ड्यूटी जारी रखूंगी

सिलचर के मालूग्राम इलाके की निवासी सच्चिता रॉय अपने सहयोगियों की बेहद आभारी हैं, क्योंकि यह सब काम के दौरान उनके बच्चे की देखभाल करने में उनकी सहायता करते हैं। उन्होंने कहा कि “मैं थोड़ा जल्दी निकल जाती हूं, क्योंकि बच्चे के लिए पूरे दिन मेरे साथ रहना बहुत मुश्किल हो जाता है।”

उन्होंने कहा कि “मैंने आगे की छुट्टी के लिए आवेदन किया है, लेकिन जब तक इसे मंजूरी नहीं मिल जाती, मैं इस तरह से अपनी ड्यूटी जारी रखूंगी।” बात दें उनके समर्पण की कई लोगों ने सराहना की है लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि एक मां हमारी तरह ही एक इंसान होती है।