पति ने पत्नी को ऑटो चलाकर पढ़ाया, बन गई डॉक्टर, 8 साल की उम्र में हो गई थी शादी

इंसान के जीवन में बहुत सी परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं। कभी जीवन ठीक प्रकार से चलता है तो कभी जीवन में परेशानियां आने लगती हैं। वैसे देखा जाए तो दुनिया में हर व्यक्ति का कोई ना कोई सपना जरूर होता है जिसको पूरा करने के लिए इंसान दिन-रात कड़ी मेहनत करता है परंतु इसके बावजूद भी बहुत कम लोग होते हैं जो अपने सपने को साकार करने में सफल होते हैं। वहीं ज्यादातर लोगों को असफलता का सामना करना पड़ता है।

ऐसा कहा जाता है कि इंसान की किस्मत में जो लिखा होता है वह उसे हर हाल में मिलता है परंतु किस्मत के साथ-साथ इंसान को अपनी मेहनत भी जारी रखनी चाहिए। बिना मेहनत के किस्मत भी साथ नहीं देती है। इसी बीच एक मामला सामने आया है जिसमें एक महिला की मेहनत और लगन रंग लाई और वह अपना सपना साकार करने में सफल हुई।

आज हम आपको राजस्थान के चौमू में रहने वाली रूपा यादव की कहानी के बारे में बताने वाले हैं। जिसने अपनी मेहनत से अपना लक्ष्य हासिल किया है। जहां पर एक लड़की को पढ़ाई करना काफी कठिन था परंतु उसने अपने सपने को पूरा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की और आज सफलता उसके कदम चूम रही है। राजस्थान की होनहार रूपा यादव ने अपनी मेहनत और लगन से अपनी मंजिल को हासिल करके ही दम लिया।

रूपा यादव की कहानी से हर किसी को अपने लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठ बने रहने की प्रेरणा मिलेगी। जब रूपा यादव तीसरी कक्षा में पढ़ रही थीं तो महज 8 साल की छोटी उम्र में ही उनका विवाह करवा दिया गया था। रूपा यादव पढ़ाई में बहुत होशियार थीं और उनका मन पढ़ने लिखने में बहुत लगता था। जब रूपा यादव से उनके जीवन के संघर्ष के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि “जब मैं तीसरी क्लास में थी, तब मेरी शादी करवा दी गई थी। तब मेरी आयु कुल 8 वर्ष की थी। तब मेरा स्कूल जाना काफी कठिन हुआ करता था।” रूपा यादव ने बताया कि मैं पैदल स्कूल के लिए बस अड्डे तक जाया करती थी फिर वहां से वह बस पकड़कर स्कूल के लिए जाती थीं।

रूपा यादव का बताना है कि बचपन से ही उनका सपना डॉक्टर बनने का था। डॉक्टर बनने के पीछे उनकी अतीत से जुड़ी एक घटना है। रूपा यादव का कहना है कि जब मेरे चाचा भीमा राम जी को हार्ट अटैक आया था और उनको समय पर इलाज नहीं मिल सका तो इसकी वजह से मैंने यह ठान लिया कि मैं डॉक्टर बनूंगी। उन्होंने बताया कि अगर समय पर उनके चाचा को इलाज मिल जाता तो शायद उनकी जान बच सकती थी। चाचा के निधन से रूपा यादव पूरी तरह से टूट गई और उन्होंने निर्णय ले लिया कि बायलॉजी लेकर डॉक्टर बनेंगी परंतु अपने इस सपने को पूरा करने के लिए रूपा को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

रूपा यादव ने हर कठिनाई को पार करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की और साल 2016 में नीट की परीक्षा पास कर ली परंतु अच्छी रैंक ना आने के कारण उन्हें महाराष्ट्र स्टेट मिला, जिसके बाद उनके ससुराल वालों ने उन्हें इतनी दूर पढ़ने जाने के लिए मना कर दिया था परंतु इतनी दूर जाकर पढ़ाई करने के लिए उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और साल 2017 में फिर से नीट की परीक्षा दी, जिसमें वह पास हुईं।

रूपा ने इस बार ऑल इंडिया में रैंक 2283 प्राप्त की थी। रूपा के पति शंकर लाल यादव ने भी उनके इस सपने को पूरा करने में पूरा साथ दिया। रूपा के पति ने ऑटो रिक्शा चलाते हुए उनकी पढ़ाई का खर्च उठाया। वहीं जीजा और जीजी के सामने जब उन्होंने अपनी बात रखी तो उन्होंने भी उनकी पैसों से थोड़ी सहायता की। रूपा यादव ने अपने लक्ष्य को पूरा करने का पूरा मन बना लिया था जिसके लिए लगातार कठिन मेहनत करती रहीं। और उन्होंने अपनी मंजिल हासिल की। रूपा की पढ़ाई के लिए इतनी लगन और चाहत देखकर उनके पति ने भी पढ़ाई का मन बना लिया है अब वह एमए प्रथम वर्ष के छात्र हैं।