बड़ा खुलासा: जनरल रावत का हेलिकॉप्टर कम ऊंचाई पर भर रहा था उड़ान, जानिए फिर कैसे क्रैश हुआ रूस में बना ये चॉपर

इतने दिन तमिलनाडु के कन्नूर में हुए हादसे से देश सदमे में है दरअसल हेलीकॉप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका के इलावा 11 लोगों की जान गई है. हर शख्स यह जानने का प्रयास कर रहा है कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ जो जनरल बिपिन हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया. ऐसे में हर कोई चश्मदीद के बयान के बारे में जानने को बेताब है जिसने हेलीकॉप्टर क्रैश होते जमीन पर आते हुए देखा. इस बयान से यह साफ जाहिर हुआ है कि जब वे चॉपर क्रैश हुआ तो वह धरती से थोड़ी ही दूरी पर उड़ान भर रहा था और ना ही वह किसी चीज से टकराया था. अब यह बात जांच का विषय बनी हुई है कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ जो जेड प्लस सिक्योरिटी के बावजूद भी बिपिन रावत का चॉपर क्रैश हो गया. बता दें कि जनरल रावत असल में तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज के कैडेट को संबोधन करने के लिए पहुंचने वाले थे ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए सड़क मार्ग पर कड़े इंतजाम भी किए गए थे. इस बीच बुधवार को 14 लोगों के साथ जनरल बिपिन रावत वायु सेना के mi-17 v5 हेलीकॉप्टर से तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज के लिए रवाना हुए थे. बताया जा रहा है कि सुलुर एयरफोर्स बेस पहुंचने के लिए उन्होंने इंडियन एयर फोर्स के एंब्रेयर एयरक्राफ्ट से यात्रा पूरी की थी. लेकिन जब वह कुन्नूर केवल इंटर्न के लिए निकले तो उन्होंने mi-17 v5 हेलीकॉप्टर मैं सफर किया था. कुन्नूर से वेलिंगटन का डिफरेंस 56 किलोमीटर का था जिसके अनुसार उन्हें 34 मिनट का वक्त पहुंचने के लिए लगना था.

90 सेकंड और मिलते तो आज जिंदा होते रावत

बता दें कि 34 मिनट के इस सफर में जनरल रावत के हेलीकॉप्टर ने 32 मिनट की उड़ान भी भर ली थी. ऐसे में लैंडिंग के लिए केवल 90 सेकंड का ही समय बचा था और वह डेस्टिनेशन से सिर्फ 10 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद थे. लेकिन तभी एक न होने के चलते कुन्नूर के जंगलों में उनका जो पर mi-17 v5 क्रैश हो गया. ऐसे में हर कोई यह कह रहा है कि यदि बिपिन रावत को 90 सेकंड का और समय मिल जाता तो वह आज हमारे बीच जिंदा बच जाते लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. इस सफर के दौरान उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी उनके साथ ही मौजूद थी वही ब्रिगेडियर एलएस लेदर और लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह भी उनके साथ उड़ान भर रहे थे. 14 लोगों के स्कूल बोर्ड के दौरान हेलीकॉप्टर में आग लग गई और फिर वह अचानक से क्रैश हो गया.

मौसम भी था साफ़

मिली जानकारी के अनुसार जिस हेलीपैड पर उन्हें उतरना था उससे केवल 10 किलोमीटर की ही दूरी बाकी थी ऐसे में हेलीकॉप्टर लगभग लैंड करने ही वाला था. हेलीपैड पर तमिलनाडु पुलिस भी तैनात थी वही हेलीकॉप्टर को गिरते हुए देखने वाले एक चश्मदीद गवाह ने बताया कि उस दिन मौसम भी पूरी तरह से साफ था अब कोई बादल भी नहीं थे इसके अलावा हेलीकॉप्टर भी काफी कम ऊंचाई पर उड़ रहा था लेकिन अचानक से वह मोड़ा और कटहल के पेड़ से टकरा गया जिसके बाद एक तेज धमाका हुआ. अब सवाल यह उठ रहा है कि हेलीकॉप्टर इतनी कम ऊंचाई पर क्यों उड़ रहा था और पायलट को एयर ट्रेफिक कंट्रोल ए आर बी कंट्रोल से मौसम को लेकर कोई अलर्ट मिला था यहां पर नहीं? हालांकि इन सब बातों के लिए अभी जांच के आदेश दे दिए गए हैं लेकिन अब जान से कुछ सामने आएगा या नहीं यह सवाल भी सबके दिलों में उठ रहा है.

20 साल पहले भी हुआ था ऐसा हादसा

बता दें कि mi-17 v5 बहुत ही विश्वसनीय चौक पर है जिसको रूस ने बनाया गया था और यह भारतीय वायु सेना में उच्च उड़ाने वाले हेलीकॉप्टर के तौर पर भी जाना जाता है जो कि अक्सर बचाव कार्यो में इस्तेमाल किया जाता है. जनरल रावत के लिए हेलीकॉप्टर का चुनाव बिल्कुल सही किया गया था लेकिन इसके बावजूद भी होनी को कुछ और ही मंजूर था. बिपिन रावत के गुजरने के बाद अब सोशल मीडिया पर 20 साल पहले हुए कैसे हादसे की चर्चा की जा रही है जो 2 दिसंबर 2001 को हुआ था. यह क्रैश आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी का था. उस समय मौसम खराब था फिर भी पायलट को उड़ान भरने के लिए मजबूर किया गया था और उसकी अभी तक कोई रिपोर्ट भी सामने नहीं आई है अबे रानी की बात यह है कि इन पूरब दुर्घटनाओं के बावजूद भी कोई सबक नहीं लिया गया है। हालांकि इस क्रैश के दौरान पायलट की क्षमता पर किसी तरह का कोई सवाल नहीं उठ रहा है लेकिन 4000 किलो की क्षमता वाले इस हेलीकॉप्टर में 24 लोग बैठ सकते थे लेकिन इसके बावजूद भी 14 लोगों के बैठने से ही आखिर यह धमाका कैसे हुआ और इसके पीछे की क्या वजह रही थी, इन सब बातों का जवाब पूरा देश जाना जाता है.