भाई ने बहन को अपनी किडनी देकर बचाई जान, रक्षाबंधन से पहले दिया अमूल्य तोहफा

भाई बहन का रिश्ता बहुत अनोखा माना गया है। भाई बहन हमेशा किसी न किसी बात को लेकर आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं परंतु दोनों की लड़ाई ज्यादा समय तक नहीं चलती है। कुछ देर में ही दोनों आपस में ऐसे बातें करने लगते हैं जैसे कुछ हुआ ही ना हो। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं रक्षाबंधन भाई बहन का त्यौहार माना जाता है। बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी आयु की कामना करती है। वहीं भाई भी अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। इसी बीच रक्षाबंधन से पहले एक भाई ने एक अनोखी मिसाल पेश की है। दरअसल, भाई ने अपनी बहन को किडनी दान कर रक्षाबंधन से पहले अमूल्य तोहफा दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार गुजरात में तापी जिले के व्यारा तहसील निवासी लता (42) की किडनी 4 साल पहले फेल हो गई थी, जिसके चलते वह बहुत ज्यादा बीमार रहने लगी थी। किडनी फेल होने की वजह से वह डायलिसिस पर अपनी जिंदगी व्यतीत कर रही थी। उन्होंने अंगदान प्राप्त करने के लिए भी नाम लिखवाया था परंतु उनके ब्लड ग्रुप से मैच करती हुई किडनी नहीं मिल रही थी।

जब बहन लता की परेशानी को उसके भाई हितेश ठाकुर (37) ने देखा तो उससे रहा नहीं गया। डेढ़ साल से लता की हालत बहुत ज्यादा गंभीर बनी हुई थी और उसको कम से कम सप्ताह में तीन बार डायलिसिस करवाना पड़ता था। घरवाले भी लता की तकलीफ नहीं देख पा रहे थे, जिसके चलते वह बहुत चिंतित रहते थे। इसी बीच लता के भाई हितेश ने अपनी बहन को अपनी एक किडनी दान करने का फैसला कर लिया।

हितेश के इस फैसले से परिवार वाले थोड़े हैरान हो गए परंतु हितेश ने अपने घर वालों को समझाया और उनको भी मना लिया। हितेश के परिवार वाले उसके द्वारा उठाए गए इस कदम से भाव-विभोर हो गए। घरवालों ने लता को सूरत के मिशन अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग की डॉ वत्सा पटेल को दिखाया था, जिसके बाद अंगदान की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई।

आपको बता दें कि लता और हितेश के बीच अंगदान और ट्रांसप्लांट का सफल ऑपरेशन करने के लिए डॉक्टरों की टीम तैयार की गई। इसमें नेफ्रोलॉजी डॉ. वत्सा, डॉ. अनिल पटेल, यूरोलॉजी के डॉ. चिराग पटेल, डॉ. कपिल ठक्कर, डॉ. नरेन्द्र पारेख, डॉ. राम पटेल, एनेस्थेसिया डॉ. राजीव प्रधान, डॉ. युवराज सिंह, डॉ. धवल वावलिया, आइसीयू डॉ. मिलन मोदी, डॉ. आशिष पटेल, पैथोलॉजी डॉ. हर्निष बदामी, रेडियोलॉजी डॉ. हिमांशु मंदिरवाला और माइक्रोबायलॉजी डॉ. फ्रेनिल मुनीम समेत अन्य नर्सिंग समेत 50 जनों का स्टाफ तैयार किया गया था।

मिली जानकारी के अनुसार 27 जुलाई को हितेश की किडनी दान लेकर लता में ट्रांसलेट किया गया। यह ऑपरेशन करीब 7 घंटे तक चला और यह सफल हुआ। डॉक्टरों का ऐसा बताना है कि किडनी ट्रांसप्लांट का खर्च 4.75 लाख रुपए आता है। अंगदान से पहले शारीरिक जांच रिपोर्ट में ही करीब एक लाख का खर्च लगता है और ऑपरेशन के बाद 1 साल तक हर महीने 12 से 15 हजार की दवाई लेनी होती है। इसके बाद हर महीने दवाई का खर्च 6 से 7 हजार आता है।

बता दें ऑपरेशन के बाद लता और हितेश दोनों की हालत ठीक है। रक्षाबंधन से पहले भाई के द्वारा दिए गए इस अनोखे तोहफे से बहन लता बहुत खुश है। लता काफी लंबे समय से इस तकलीफ से गुजर रही थी जिसको उसके भाई हितेश ने दूर कर दी। सभी लोग भाई की खूब तारीफ कर रहे हैं।