गरीबों के मसीहा बने कांस्टेबल धर्मवीर जाखड़, भीख मांगने वाले बच्चों को दे रहे शिक्षा, हाथ से कटोरा छीन पकड़ा दी कलम

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं शिक्षा हर किसी के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा के जरिए हम किसी भी चुनौती का सामना आसानी से कर सकते हैं। अक्सर देखा गया है कि शिक्षा तो लोग पाना चाहते हैं परंतु जीवन के हालातों के आगे लोग शिक्षा नहीं ले पाते। मौजूदा समय में भी ऐसे बहुत निर्धन परिवार हैं, जो अपनी गरीबी के चलते अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दे पाते। वहीं कुछ परिवार इतना गरीब है कि जैसे तैसे उनका गुजारा चलता है। ऐसे में अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के बारे में वह सोच भी नहीं पाते हैं।

लेकिन ऐसा नहीं है कि इन गरीबों के लिए कोई भी सामने नहीं आया है। आज हम आपको राजस्थान के एक पुलिस कॉन्स्टेबल के बारे में बताने वाले हैं, जिनकी दरियादिली को हर कोई सैल्यूट कर रहा है। राजस्थान के एक पुलिस कॉन्स्टेबल ने भीख मांग रहे बच्चों के हाथों से कटोरा हटाकर कलम पकड़ा दी। जो हाथ कूड़ा बिनकर पेट भरते थे, उन्हें खाना खिलाया। इतना ही नहीं बल्कि पुलिस कांस्टेबल ने गरीब लड़कियों की शादी भी कराई। इस नेक दिल पुलिसवाले को हर कोई सलाम कर रहा है।

दरअसल, आज हम आपको जिस पुलिस कांस्टेबल के बारे में बता रहे हैं उनका नाम धर्मवीर जाखड़ है, जो गरीबों के मसीहा बने हुए हैं। धर्मवीर जाखड़ राजस्थान पुलिस विभाग में कांस्टेबल हैं। वह साल 2011 में पुलिस में भर्ती हुए। धर्मवीर जाखड़ राजस्थान के चूरू में “आपणी पाठशाला” चलाते हैं, जिसके जरिए ड्यूटी करने के साथ-साथ सैकड़ों गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं।

गरीब बच्चों के लिए कुछ करने की ठानी

आपको बता दें कि धर्मवीर जाखड़ चूरू में तैनात थे। साल 2015, दिसंबर में द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के एग्जाम के लिए उन्होंने छुट्टी ली हुई थी। वह चूरू पुलिस लाइन में अपने क्वार्टर पर परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए थे। दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड में सुबह के समय कुछ बच्चों की आवाज उन्हें सुनाई दी। यह आवाज पास की झुग्गियों से पुलिस लाइन में भीख मांगने वाले बच्चों की थी। जब बच्चों को ठंड से ठिठुरते हुए धर्मवीर जाखड़ ने देखा, तो उन्हें तरह आ गया।

उन बच्चों के हाथों में रूखी सूखी रोटी के कुछ टुकड़े ही थे। धर्मवीर जाखड़ से बच्चों के यह हालात देखे ना गए और उन्होंने उन बच्चों को अपने पास बुलाकर भीख मांगने का कारण पूछा। उन गरीब बच्चों ने धर्मवीर जाखड़ को बताया कि वह गरीबी के चलते भीख मांगने पर मजबूर हैं। वहीं कुछ बच्चों ने बताया कि उनके माता-पिता इस दुनिया में नहीं रहे, वह अनाथ हैं। तभी कांस्टेबल धर्मवीर जाखड़ ने यह ठान लिया कि वह इन गरीब बच्चों के लिए कुछ करेंगे।

बच्चों की जिंदगी संवारने का ले लिया निर्णय

धर्मवीर जाखड़ के मन में बहुत से सवाल आ रहे थे, जिसका जवाब उन्हें जानना था। फिर धर्मवीर जाखड़ अपने कुछ साथियों के साथ झुग्गी-झोपड़ियों वाले इलाकों में पहुंचे। वहां उन्होंने पता लगाया तो बच्चों की बात सच निकली। वहां पर कई बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी थी, जिसकी वजह से वह मजबूर होकर गरीबी के कारण भीख मांग रहे थे। इतना ही नहीं बल्कि कुछ कूड़े बिनकर अपना गुजारा चला रहे थे। यह सब देखने के बाद धर्मवीर जाखड़ ने उन बच्चों की जिंदगी संवारने का निर्णय ले लिया और उन्होंने यह फैसला किया कि वह उन्हें शिक्षा देकर उनकी जिंदगी संवारेंगे।

बच्चों के हाथों में थमा दी कलम

धर्मवीर जाखड़ ने अपने दोस्तों की मदद से बच्चों के लिए कुछ किताबें, कापियां, पेंसिल और ब्लैक बोर्ड खरीदा। नया साल 2016 उन बच्चों के लिए नई रोशनी बनकर आया। गरीब बच्चों के लिए कॉन्स्टेबल धर्मवीर जाखड़ मसीहा बनकर सामने आए। 1 जनवरी को “आपणी पाठशाला” की शुरुआत हुई।

जिन बच्चों के हाथों में कटोरा था, अब उनके हाथ में कलम थी। उन बच्चों से कहा गया कि जो रेगुलर स्कूल आएगा, मन लगाकर पढ़ाई पर करेगा, उसे कपड़े और खिलौने दिए जाएंगे। धर्मवीर जाखड़ ने उन बच्चों के लिए पुलिस लाइन में रहने वाले परिवार के बच्चों के पुराने खिलौने, कपड़े इत्यादि जुटाए।

खुद की सैलरी से उन्हें खिलाते हैं खाना

धर्मवीर जाखड़ अपनी खुद की सैलरी और लोगों की आपसी फंडिंग से गरीब बच्चों को खाना खिलाते हैं। धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी। 2 महीने में 40 बच्चे “आपणी पाठशाला” पढ़ाई करने के लिए पहुंचने लगे थे। वहीं शहर के लोग भी उनका सहयोग करने लगे। जन्मदिन या अन्य खुशियों के मौके पर लोग उन बच्चों के लिए उपहार लाते और उनके साथ मिलकर अपनी खुशियां बांटते।

बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती गई और पढ़ाई में भी उन्हें मजा आने लगा था। ऐसे में महिला पुलिस थाना चूरू के तत्कालीन थानाधिकारी विक्रम सिंह मदद के लिए सामने आए। उन्होंने थाने में ही बच्चों को पढ़ाने की अनुमति दे दी और बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने लगे।

जब गर्मियों का सीजन आया तब बच्चों की संख्या 100 के करीब पहुंच चुकी थी। वहीं एक व्यक्ति ने उन बच्चों के लिए टेंट लगवा दिया था परंतु तेज आंधी तूफान की वजह से टैंट फट गया था। बारिश का मौसम भी करीब ही था। ऐसी स्थिति में शहर के औषधि भंडार के डॉक्टर सुनील ने उन बच्चों के लिए अपना औषधि भंडार का हॉल खुलवाया। बच्चों की संख्या 200 तक पहुंच गई।

बच्चों की पढ़ाई और भोजन का इंतजाम लोगों के सहयोग से होता रहा। आगे उनमें से कुछ बच्चों को पूर्व पुलिस अधीक्षक की सहायता से जाकिर हुसैन कॉलेज में एडमिशन करवा दिया गया। अब तक “आपणी पाठशाला” की सहायता से 500 के करीब बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

गरीब लड़कियों की शादी करवाई

कांस्टेबल धर्मवीर जाखड़ निर्धन लड़कियों का विवाह भी करवा रहे हैं। नगद राशि से लेकर उनके दहेज तक का इंतजाम खुद करते हैं। जहां गरीब लड़कियों की शादी का कार्यक्रम होता है, वहां पर उनकी टीम उस घर भात लेकर पहुंचती है। समाजिक कार्यों में भी धर्मवीर बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। कांस्टेबल धर्मवीर जाखड़ के द्वारा किए जा रहे नेक काम की हर कोई तारीफ करता हुआ नहीं थकता है।