45 साल बाद हुआ बेटी का जन्म तो खुशी से झूम उठा परिवार, नन्हीं परी को डोली में बिठाकर लाए घर

बेटी भगवान का दिया गया एक ऐसा तोहफा है, जो हर किसी को नहीं मिलता है। बेटियों को घर की लक्ष्मी माना जाता है। जिस घर में बेटियां होती हैं, उस घर में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। बेटियां ही होती हैं, जो अपने परिवार के अच्छे बुरे समय में साथ खड़ी रहती हैं। एक बेटी कई जिम्मेदारियों को बखूबी तरीके से संभालती हुई नजर आती है परंतु कहीं ना कहीं मौजूदा समय में भी बेटियों के प्रति समाज में रूढ़िवादी सोच हावी हो रही है।

आज भी जब बेटी का जन्म होता है तो कुछ लोग खुश होने के बजाय दुखी हो जाते हैं परंतु समय के साथ-साथ अब लोगों की सोच भी बदलती हुई नजर आ रही है। लोग बेटी के जन्म पर खूब जश्न मनाते हैं। कुछ ऐसा ही नजारा बिहार में देखने को मिला है, जहां पर 45 साल के बाद खानदान में बेटी का जन्म हुआ तो उसका शानदार तरीके से स्वागत किया गया। बेटी के जन्म से परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा, पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। बेटी को मां के साथ अस्पताल से घर तक डोली में बैठा कर लाए।

45 साल बाद खानदान में बेटी का हुआ जन्म

दरअसल, आज हम आपको जिस खबर के बारे में बता रहे हैं यह बिहार के छपरा की है, जहां पर एक खानदान में 45 साल के लंबे अंतराल के बाद बेटी का जन्म हुआ तो पूरा परिवार खुशी से झूमने लगा। उसे घर लाने के लिए डोली सजाई गई और बैंड-बाजों का इंतजाम किया गया। नन्ही बिटिया रानी के अस्पताल से घर आने पर उसके स्वागत में किसी उत्सव की तरह इंतजाम किया गया।

बता दें कि छपरा के एकमा नगर पंचायत क्षेत्र के निवासी धीरज गुप्ता की पत्नी ने एकमा के एक निजी अस्पताल में बेटी को जन्म दिया। बेटी पैदा होने पर परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं था। परिजन नन्ही बिटिया रानी को पालकी में बैठाकर गाजे-बाजे के साथ घर लेकर आए। बेटी पैदा होने से खुश पिता ने अस्पताल से अपनी बेटी को घर लाने के लिए एंबुलेंस के बजाय डोली सजाई। महिलाएं स्वागत में मंगलगीत गाती रहीं, तो अन्य परिजन ढोल-ताशों की धुन पर थिरकते रहे।

बेटियां होती हैं साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप

45 साल के बाद इस परिवार में बेटी का जन्म हुआ है, इससे यह परिवार बहुत ज्यादा खुश है। परिवार ने खुशी से अस्पताल में नोटों की बारिश कर दी। इसके बाद अस्पताल के सभी कर्मचारियों का मुंह मीठा कराया। परिजनों ने गांव में मिठाइयां बांटी और जब बेटी को अस्पताल से छुट्टी मिली, तो उसे डोली में बिठाकर लाया गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धीरज गुप्ता के बड़े भाई बबलू गुप्ता ने कहा कि वह चार भाई हैं, लेकिन किसी के घर बेटी नहीं थी। सभी इस बात के लिए तरस गए थे कि कब इस परिवार में बेटी का जन्म हो। उन्होंने बताया कि करीब 45 साल के बाद उनके परिवार में बेटी ने जन्म लिया है।

परिवार के मुखिया और इस नन्हीं बिटिया के दादा शिवजी प्रसाद ने कहा कि बेटियां साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप होती हैं। आपको बता दें कि इस परिवार ने बेटी का नाम सावनी रखा है।