धीरुभाई अंबानी की लव स्टोरी है काफी मजेदार, पत्नी को ‘लकी’ मानकर उनसे करवाते थे हर नए काम का शुभारंभ

कहते हैं हर आदमी की कामयाबी के पीछे एक औरत का हाथ होता है. जब आदमी की पत्नी उसके अच्छे बुरे में साथ देती है तो आदमी हर मुश्किल से निकल कर निरंतर आगे बढ़ता जाता है. आज हम एक ऐसी ही कहानी जो कि मशहूर उद्योगपति धीरू भाई अंबानी की है आपको बताने वाले हैं. वैसे तो भारत ही नहीं विश्व के सबसे अमीर लोगों में अंबानी परिवार का नाम शामिल है. और रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी के बारे में तो आपने बहुत पढ़ा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी पत्नी कोकिलाबेन से उनके रिश्ते कैसे थे. कोकिलाबेन अपने पति के शुरुआती संघर्षों से साथ रहीं थी. आइए जानते हैं दोनों के रिश्तों से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे.

गुजरात के जामनगर में एक मध्यवर्गीय परिवार मे कोकिलाबेन का जन्म हुआ था, कोकिलाबेन की शादी धीरूभाई अंबानी से 1955 में हुई थी. शादी के कुछ वक्त बाद ही धीरूभाई अंबानी काम के सिलसिले में अदेन चले गए. बाद में इन्होंने कोकिलाबेन को वहां बुलवा लिया था. जब वो गुजरात के चोरवाड़ से अदेन ( यमन ) के लिए निकली , तभी धीरूभाई अंबानी का फोन आया. उन्होंने कहा, “मैंने तुम्हारे लिए गाड़ी ली है, मैं तुम्हें लेने आ रहा हूं. बताओ गाड़ी का रंग क्या होगा? मैं बताता हूं, इट इज़ ब्लैक लाइक मी.” कोकिलाबेन ने ये बातें एक इंटरव्यू के दौरान बताते हुए कहा था कि धीरूभाई के प्यार जताने का अंदाज़ मुझे बेहद अच्छा लगता था.

बता दें धीरूभाई अंबानी कोई भी नया काम शुरू करने से पहले कोकिलाबेन से सलाह मशविरा ज़रूर करते थे. अपनी पत्नी के लिए उनका सम्मान बहुत ज़्यादा था. किसी भी नए काम का शुभारंभ बो कोकिलाबेन से हीं करवाते थे. वह अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते थे.
कोई भी नए प्रोजेक्ट को शुरू करने पर वो कोकिलाबेन से इस बारे में चर्चा करते थे, लेकिन अंग्रेजी न जानने के कारण कोकिला को प्रोजेक्ट से जुड़ी बाते समझने में दिक्कत होती. धीरूभाई के पास इसका भी हल था. उन्होंने कोकिला को अंग्रेजी सिखाने के लिए एक अंग्रेजी का टीचर रख लिया था. ताकि उन्हें समझने में दिक्कत न आए.

दरअसल, कोकिलाबेन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि किसी भी नए शहर जाने से पहले धीरूभाई अंबानी उन्हें उस शहर से जुड़ी हर जानकारी निकालने का ज़िम्मा सौंप देते थे और वो अपने प्रोजेक्ट पर फोकस करत थे. काम अधिक होता था तो फ्री टाइम कम ही मिलता था लेकिन जब भी मिलता तो धीरूभाई अंबानी उन्हें होटेल्स के बारे में भी बताते थे. कोकिलाबेन ने बताया था कि जब एक बार हमने नया एयरक्राफ़्ट लिया था तब उन्होंने मेरे दोस्तों को भी बुलाने की ज़िद कर दी थी. वो अपने दोस्तों को बाहर घूमने के लिए अक्सर बुलाया करते और मुझे भी इसके लिए प्रेरित करते थे. उनमें बिल्कुल भी घमंड नहीं था. वह स्वभाव के शांत व्यक्ति थे.

सन 2002 कोकिलाबेन के लिए एक मुश्किल साल साबित हुआ. धीरूभाई अंबानी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई. लेकिन जिस तरह शाहजहां और मुमताज़ के प्यार की निशानी ताजमहल है, उसी तरह 2009 में धीरूभाई और कोकिलाबेन के नाम से एक अस्पताल खोला गया.
मुंबई में स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल आज लोगों को नई जिंदगियां दे रहा है. लाखों लोग वहां से इलाज करवाते हैं.