दो जवान बेटों और पति की मौत से टूट गई थीं द्रौपदी मुर्मू लेकिन कभी नहीं मानी हार, संघर्षों से भरी रही जिंदगी

NDA की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) जीत गई हैं। उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हरा दिया है। तीसरे राउंड की गिनती में ही उन्होंने राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी 50 फ़ीसदी वोट पा लिए हैं। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हरा दिया है। द्रौपदी मुर्मू की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी समेत एनडीए के नेताओं ने द्रोपदी मुर्मू को जीत की बधाई दी।

बता दें कि द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू के लिए यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा। द्रोपदी मुर्मू के जीवन में कई तूफान आए, लेकिन उन्होंने किसी भी परिस्थिति के आगे हार नहीं मानी, वह सभी मुसीबतों का बड़ी ही बहादुरी के साथ सामना करती रहीं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी से जुड़ी हुई कुछ अनकही बातें बताने जा रहे हैं।

जानें कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?

द्रौपदी मुर्मू साल 2015-2021 के बीच झारखंड की गवर्नर रही हैं। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को संथाल परिवार ओडिशा में हुआ था। यह ओडिशा के मयूरभंज जिले की रहने वाली हैं। द्रौपदी मुर्मू के पिताजी बिरंची नारायण टुडू और दादा, दोनों ही अपने गांव के सरपंच रहे हैं। द्रौपदी मुर्मू की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई अपने गांव से ही हुई।

इसके बाद ग्रेजुएशन करने भुवनेश्वर आ गईं। द्रौपदी मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो ग्रेजुएशन करने घर से दूर भुवनेश्वर गई थीं। उन्होंने यहां रामा देवी वूमंस कॉलेज में एडमिशन लिया। जब द्रौपदी मुर्मू ने अपनी पढ़ाई पूरी की तो उसके बाद उनकी ओडिशा के सिंचाई और बिजली विभाग में बतौर क्लर्क नौकरी लग गई।

पार्षद से शुरू किया सियासी सफर

द्रौपदी मुर्मू ने कुछ सालों तक काम किया, इसके बाद उन्होंने राजनीति की तरफ अपना रुख मोड़ लिया। साल 1997 पार्षद का चुनाव उन्होंने जीता और इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। द्रौपदी मुर्मू साल 2000 में ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं। चुनाव जीतती रहीं, बीजेपी संगठन में अलग-अलग पदों को उन्होंने संभाला। उनको झारखंड का राज्यपाल साल 2015 में बनाया गया था।

पति और दो जवान बेटों की मौत से उजड़ गई थी जिंदगी

द्रौपदी मुर्मू की निजी जिंदगी बेहद संघर्षों से भरी रही है। जब द्रौपदी मुर्मू कॉलेज में पढ़ाई करती थीं, तो उन्हीं दिनों में श्याम चरण मुर्मू से उनकी मुलाकात हुई थी। बाद में दोनों विवाह के बंधन में बंध गए। शादी के बाद दोनों के कुल तीन बच्चे हुए, जिनमें दो बेटे और एक बेटी हुए। जिंदगी में सब कुछ ठीक प्रकार से चल रहा था परंतु एक दौर ऐसा भी था जब द्रौपदी मुर्मू के सामने दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और वह पूरी तरह से टूट गई थीं।

साल 2009 में द्रोपदी मुर्मू को सबसे बड़ा झटका लगा। उनके बड़े बेटे की एक रोड एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई थी। उस दौरान उनके बेटे की उम्र महज 25 साल की थी। यह सदमा झेलना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया। इसके बाद साल 2013 में उनके दूसरे बेटे की भी मृत्यु हो गई। फिर 2014 में उनके पति श्याम चरण का भी निधन हो गया। ऐसी स्थिति में द्रौपदी मुर्मू के लिए खुद को संभाल पाना बेहद मुश्किल था। महज 5 साल के अंदर ही दो जवान बेटों और पति को खोने वाली द्रौपदी मुर्मू इन हादसों से बहुत ज्यादा टूट गई थीं।

हालांकि, उनके जानने वाले कहते हैं कि वह हर चुनौती से डील करना जानती थीं। उन्होंने अपने घर को दान कर दिया और उसे स्कूल में बदल दिया। एक कार्यक्रम में वह अपनी आंखें दान करने का ऐलान भी कर चुकी हैं। बता दें द्रौपदी मुर्मू की बेटी इतिश्री ओडिशा में ही एक बैंक में कार्यरत हैं। द्रौपदी मुर्मू के परिवार में अब उनकी बेटी इतिश्री और दामाद गणेश हेम्ब्रम का परिवार है।