लॉकडाउन ने छीना बस कंडक्टर से उसका काम, तो साढ़े तीन वर्षीय बेटे को बना डाला चलता-फिरता “गूगल बॉय”

2020 में कोरोना महामारी के प्रकोप से लगे लाॅकडाउन ने सभी के जीवन को प्रभावित किया है. बहुत कम ऐसे लोग हैं जिनका यह साल अच्छा बीता हो, ज्यादातर लोगों के लिए यह वक्त बेहद मुश्किल भरा रहा. एक तरफ जहाँ लोगों को लाॅकडाउन के चलते घरों में कैद रहना पड़ा तो दूसरी तरफ ढेर सारे लोगों को अपने काम या नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा. बहुत से लोगों की नौकरी इस कठिन समय में चली गई. हालाँकि कुछ लोगों ने इस लाॅकडाउन के समय का भी अच्छा उपयोग किया है. चलिए बताते हैं आपको ऐसे ही व्यक्ति की स्टोरी. दरअसल कोरोना के चलते लॉकडाउन में जब एक ओर दुनिया थम सी गई थी तब भारत के दुर्ग शहर के एक गरीब बस ड्राइवर ने अपने साढ़े तीन साल के बेटे को घर पर पढ़ा लिखा कर चलता-फिरता गूगल ब्वॉय बना दिया है. महज साढ़े तीन साल की उम्र में हिमांशु सिन्हा आज एक दो नहीं बल्कि एक हजार से ज्यादा सवालों के जवाब बिना रूके दे सकते है.

दरअसल अद्भुत बौद्धिक क्षमता के धनी इस मासूम बच्चे को छत्तीसगढ़ के 90 विधायकों, राज्य और केंद्रीय मंत्रिमंडल से लेकर लगभग 50 से ज्यादा देशों के नाम और उसकी राजधानी मुंह जुबानी याद हो रखी है. बता दें कि आठवीं पास पिता राजू सिन्हा ने बेटे की इस प्रतिभा को परख कर उसे एक चलता-फिरता इनसाइक्लोपीडिया गूगल बना दिया है. वहीं ठीक से बोलना भी नहीं सीखा है बच्चा जब अपनी तुतलाती हुई आवाज में देश-दुनिया, खेल, राजनीति, भूगोल और गणित के कठिन सवालों के जवाब दे देता है तो लोग दांतों तले उंगलियां दबा कर उसे देखते हैं वहीं बस कंडक्टर पिता कहते हैं कि कोरोना लॉकडाउन में जब अचानक बस चलना बंद हो गई तब मैं बेरोजगार हो गया. उस समय मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था मैं हर दिन सोचता था क्या करूं, ऐसे में बेटा अपनी कहानी की किताब लाकर मुझसे पढऩे बोलता था बड़े ध्यान से सारी बातों को सुनता था फिर मैंने सोचा क्यों न इस समय का उपयोग बेटे को पढ़ाने में करूं और ये काम पर लग गया था.

पहले से दिख गई थी बच्चे की खूबियां

हालाँकि हिमांशु के पिता ने बताया कि उन्हें आठ महीने की उम्र से बेटे के आम बच्चों से खास होने का एहसास होने लगा था हिमांशु जिस बात को एक बार सुन लेता वह महीनों बाद तक उसे नहीं भूल पाता था क्रमवार दोहरा देता था. ऐसे में पहले छत्तीसगढ़ और फिर भारत की प्रसिद्ध चीजों के बारे में पढ़ाना शुरू कर दिया जब दूसरे दिन मैंने पूछा तो हिमांशु ने बिल्कुल सही जवाब दिया था. तब लगा क्यो ने एक ऐसा प्रश्न पत्र तैयार करें जिससे बेटे का ज्ञानकोष बढ़ता जाए. सिर्फ एक साल में यह प्रश्नपत्र एक हजार सवालों का बन गया था. वहीं हिमांशु को सोते-जागते इन सभी सवालों के जवाब याद रहते हैं. टीवी में चल रही खबरों को देखकर नए सवाल भी इसमें जोड़ देता हूँ.

बेटे को बड़ा मंच दिलवाने की लगाई गुहार

गौरतलब है कि अपनी उम्र के बच्चों से सौ गुना ज्यादा तेज दिमाग और मेमोरी पावर वाले हिमांशु के पिता ने बताया है कि उनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है. लॉकडाउन में जो बचाया तो वो भी खत्म हो गया है ऐसे में बेटे की प्रतिभा को सही मंच देने के लिए उनके पास कोई सुविधा नहीं बची है. यदि शासन-प्रशासन इस होनहार बच्चे की सहायता करे तो यह छत्तीसगढ़ का कौटिल्य बनकर प्रदेश का नाम देश-दुनिया में रोशन कर सकता है. जिससे देश का नाम भी रोशन होगा.