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CDS बिपिन रावत से प्रभावित युवक ने छोड़ दी फाइव स्टार होटल की नौकरी, बना सैन्य ऑफिसर

हाल ही में एक बेहद दुखद खबर सामने आई थी। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। सीडीएस जनरल बिपिन रावत का जुड़ाव उत्तराखंड था और लगभग हर देशभक्त इस बात को अच्छी तरह से जानता है। उत्तराखंड के युवाओं में देश सेवा का जज्बा बचपन से ही उनके रगों में दौड़ता है। इस बात में कोई दोहराय नहीं है।

सीडीएस जनरल बिपिन रावत के व्यक्तित्व और क्षमताओं से पूरी दुनिया अच्छी तरह से वाकिफ थी। वहीं देश के युवाओं की बात करें तो वह भी सीडीएस जनरल बिपिन रावत की कार्यकुशलता के कायल हैं। जी हां, इस बात का एक नमूना भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में देखने को मिली है।

बता दें कि नैनीताल के गौरव जोशी आखिरी पग भर भारतीय सेना की मुख्यधारा में बतौर ऑफिसर शामिल हो गए हैं। गौरव जोशी सीडीएस जनरल बिपिन रावत की शख्सियत से बहुत ज्यादा प्रभावित हुए थे, यह इतने प्रभावित हुए कि गौरव जोशी ने फाइव स्टार होटल की नौकरी करने के बाद विदेश जाने का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया और उन्होंने सेना में आने का चुनाव किया।

आपको बता दें कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने युवाओं को सेना के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपना पूर्ण योगदान दिया है। वहीं नैनीताल से गौरव जोशी सीडीएस बिपिन रावत से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने फाइव स्टार होटल की नौकरी छोड़ सेना में जाने की राह चुनी। प्राप्त जानकारी के अनुसार नैनीताल जिले के रामनगर निवासी गौरव कुमार जोशी शनिवार के दिन आइएमए पास आउट हुए।

अगर हम गौरव कुमार जोशी का सेना में शामिल होने के सफर के बारे में जानें तो यह बेहद रोचक रहा है। गौरव कुमार जोशी के पिताजी भी सेना में अफसर रहे हैं परंतु गौरव को होटल मैनेजमेंट के क्षेत्र में नाम कमाना था। गौरव का यही सपना था कि वह होटल मैनेजमेंट में अपना भविष्य बनाएं और गौरव की प्रारंभिक शिक्षा चंडीगढ़ के आर्मी पब्लिक स्कूल से हुई। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए गौरव बेंगलुरु चले गए। वहीं से गौरव होटल लाइन में ही रहकर विदेश भ्रमण करने के इच्छुक थे।

गौरव के पिता रिटायर्ड सूबेदार मेजर सतीश चंद्र जोशी का ऐसा बताना है कि बेटे की पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल चंडीगढ़ से हुई जिसके बाद उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए गौरव ने बेंगलुरु जाने का फैसला कर लिया। गौरव का यही सपना था कि वह होटल इंडस्ट्री में मुकाम हासिल करें और विदेश घूमना चाहते थे। परंतु अचानक ही उनकी सोच और जिंदगी दोनों ही बदल गई। इसके पीछे की वजह जनरल बिपिन रावत थे, जिनसे प्रेरित होकर गौरव ने सेना में जाने की अपनी राह चुनी।

आपको बता दें कि गौरव ने थल सेना प्रमुख रहते हुए जनरल बिपिन रावत को देखा था और वह उनके कायल हो गए थे। इसके बाद फिर क्या होना था, गौरव ने कुछ समय के लिए ही होटल इंडस्ट्री में जॉब की। उनको विदेश जाने का ऑफर भी मिला परंतु उसे भी उन्होंने ठुकरा दिया। वह सीडीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर भारतीय सैन्य अकादमी में चुने गए।

गौरव की मेहनत और लगन से प्रशिक्षक भी प्रभावित हो गए। गौरव कुमार जोशी की मां का नाम गीता देवी है और उनकी बहन रितु जोशी शर्मा हैं। इन दोनों को ही गौरव पर नाज है। गौरव जब सैन्य अफसर बन गए तो उसके बाद उन्होंने कहा कि आखिरकार उन्हें जिंदगी का मकसद मिल गया। गौरव जोशी की मां गीता देवी और बहन रितु जोशी शर्मा गौरव पर गर्व महसूस करती हैं।

 

 

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