बुआ ने भिखारियों से छुड़ाकर दी नई जिंदगी, अपंग समझकर मां ने कर दिया था 20 हजार में सौदा

दिल्ली के तेजिंदर सिंह के जीवन की कहानी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणादायक है। जन्म के समय उनके मां-बाप ने उन्हें बेच दिया था। क्योंकि उनका एक हाथ नहीं था। लेकिन तेजिंदर सिंह की किस्मत ने उन्हें बचा लिया। जब तेजिंदर सिंह की बुआ को ये बात पता चली तो उन्होंने भिखारियों से उन्हें बचा लिया। वहीं आज तेजिंदर सिंह अपनी बुआ का नाम रोशन कर रहे हैं और अपनी जिम्मेदारियां अच्छे से निभा रहे हैं।

तेंजिंदर सिंह 26 साल के हैं। जन्म के समय से ही उनका एक हाथ नहीं था। ऐसे में मां बाप ने उन्हें अपने से दूर कर दिया था और उन्हें भिखारी को बेच दिया था। लेकिन जब तेजिंदर की बुआ को इस बात का पता चला तो उन्होंने बड़ी मुश्किल से तेजिंदर को वापिस लिया और उनको पालने की जिम्मेदारी उठाई। तेंजिंदर सिंह को बुआ ने किसी चीज की कमी नहीं होने दी और अच्छी परवरिश दी।

तेंजिंदर सिंह की बुआ के अनुसार उनका 1 हाथ था। जिसकी वजह से मां ने ही अपने बच्चे को बेच दिया। तेजिंदर को पैदा होते ही 20 हजार रूपये में बेचा गया। बुआ के घर की आर्थिक स्थिति खुद ठीक नहीं थी। लेकिन फिर भी उन्होंने तेजिंदर को पालने का फैसला किया और भिखारियों से उन्हें छोड़ा लिया।

आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से तेजिंदर को आगे की पढाई छोड़नी पड़ी। उन्होंने घर खर्च उठाने के लिए काम ढूढ़ना शुरू कर दिया। नौकरी के साथ साथ तेजिंदर वर्कआउट भी करते थे। पैसे न होने की वजह से उन्होंने सरकारी जिम जॉइन किया था। जब कुछ पैसे जमा हुए तो उन्होंने प्राइवेट जिम जाना शुरू कर दिया था।

साल 2016 में तेजिंदर के कोच ने उन्हें दिल्ली प्रतियोगिता में अपना नाम रजिस्टर करवाने का सुझाव दिया। कोच की बात को मानते हुए तेजिंदर ने अपना नाम रजिस्टर करवाया और टाइटल भी जीता। उन्होंने साल 2016 और साल 2018 का टाइटल अपने नाम किया। धीरे-धीरे घर की आर्थिक स्थिति में सुधार आने लगा और तेजिंदर ने एक फिटनेस कोच बनकर लोगों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया।

लेकिन लॉकडाउन के दौरान तेजिंदर का काम बंद हो गया। जिम बंद हुआ और उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। लॉकडाउन खत्म होने पर उन्होंने अपने एक ट्रेनर से 30 हजार रूपये उधार लिए और दिल्ली में एक चिकन पॉइंट खोल दिया। ये काम खूब चलने लगा और आज ये अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।

तेजिंदर अपने स्टोल पर हाफ चिकन टिक्का प्लेट 150 में तो फूल 250 में बेचते हैं। तेजिंदर केवल एक हाथ से सारा काम करते हैं और खुद ही चिकन टिक्का बनाते हैं। इनके स्टॉल पर रोजाना लोगों की खासा भीड़ देखने को मिलती है। हालांकि कोविड के कारण उनके बिजनेस पर थोड़ा फर्क तो पड़ा। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर से अपना काम दोबारा शुरू किया। तेजिंदर का कहना है कि मां बाप ने तो अपंग समझकर मुझे बेच दिया था। बुआ ने नई जिन्दगी दी है। अब ये अपने बुआ के घर की पूरी जिम्मेदारी अच्छे से निभा रहे हैं।