हरियाणा की बिटिया ने किया कमाल, इंटरनेशनल कराटे प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत कर किया देश का नाम रोशन

आजकल के समय में बेटियां और बेटों में कोई भी फर्क नहीं है। आजकल बेटियां भी बेटों के कंधे से कंधा मिलाकर लगातार आगे बढ़ रही हैं। कई क्षेत्रों में बेटियां अपने देश के साथ-साथ माता-पिता का भी नाम रोशन कर रही हैं। बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी पढ़ाना लिखना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना वर्तमान समय में बहुत जरूरी है। बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं हैं। अगर हम हरियाणा की बेटियों की बात करें, तो यहां की लड़कियों में जोश, जज्बा, हिम्मत, जुनून और कुछ कर गुजरने की क्षमता है।

अगर हरियाणा की लड़कियां कुछ ठान लें तो वह अपनी जिंदगी में कुछ भी हासिल कर सकती हैं। जैसा कि हम लोग जानते हैं हरियाणा ने आज तक देश को कई बेहतरीन खिलाड़ी दिए हैं, जिसमें से आप नीरज चोपड़ा का ही उदाहरण ले लीजिए। लेकिन हरियाणा की एक और बिटिया ने इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल कर देश और हरियाणा का नाम रोशन किया है।

हरियाणा की बेटी ने इंटरनेशनल कराटे प्रतियोगिता में हासिल किया गोल्ड मेडल

जी हां, आज हम आपको हरियाणा की जिस बेटी के बारे में बता रहे हैं उसका नाम दिव्या है। 15 साल की दिव्या हिसार जिले के गांव बनभौरी की रहने वाली है। दिव्या ने नेपाल में आयोजित ओपन इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया है। कराटे खिलाड़ी दिव्या का कहना है कि नेपाल में इंटरनेशनल कराटे प्रतियोगिता में कंपटीशन काफी मुश्किल था। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और फाइनल मैच में नेपाल की खिलाड़ी को हराकर भारत देश के लिए गोल्ड मेडल जीता है।

अब कॉमनवेल्थ गेम्स में जाने का है सपना

दिव्या की इस जीत के बाद परिवार में काफी खुशी का माहौल है। दिव्या के परिजनों का कहना है कि आज के दौर में बेटियां बेटों से कम नहीं हैं। ऐसी बेटी को दिल से सलाम है। इससे पहले दिव्या नेशनल और स्टेट लेवल पर आयोजित कराटे प्रतियोगिता में कई मेडल भी हासिल कर चुकी हैं। दिव्या ने बताया कि कराटे खेल में आजाद सिंह कोच ने कराटे में हमेशा उसे आगे बढ़ाने का काम किया है।

अब दिव्या का अगला टारगेट कॉमनवेल्थ स्कूल गेम्स में हिस्सा लेकर मेडल हासिल करना है। उसने कहा कि मेरे माता-पिता ने कराटे खेल को आगे बढ़ाने के लिए पूरा सहयोग दिया और मेरा भाई भी कराटे खेल रहा है।

नेपाल जाने से पहले बुखार हो गया था

दिव्या अपने कोच आजाद सिंह को अपनी जीत का श्रेय देती हैं। दिव्या ने अपने परिवार को भी अपनी जीत का श्रेय दिया है। वह कहती हैं कि खेल में आगे बढ़ने के लिए उनके पिता ने हमेशा उनका साथ दिया है। बता दें कि ऐसा नहीं है कि दिव्या को हमेशा से कराटे में दिलचस्पी रही थी। दिव्या के पिता, जो सेना से रिटायर्ड हैं, वह बताते हैं कि दिव्या पांचवी कक्षा में हॉर्स राइडिंग करती थी लेकिन धीरे-धीरे उनकी रूचि कराटे में होने लगी। एक वक्त ऐसा आया जब दिव्या दिन-रात सिर्फ कराटे के बारे में सोचने लगी और उसकी प्रैक्टिस करने लगी।

बता दें कि दिव्या फ़िलहाल आर्मी स्कूल में कक्षा दसवीं में पढ़ रही हैं। दिव्या के पिता ने बताया कि नेपाल में प्रतियोगिता में जाने से पहले उन्हें बुखार हो गया था। लेकिन दिव्या रुकी नहीं। वह नेपाल गई और वहां गोल्ड मेडल जीता। दिव्या को अपने ऊपर पूरा भरोसा था कि वह हर परेशानी को पार करके गोल्ड मेडल जितेंगीं।

वहीं दिव्या की इस जीत पर उनकी मां मंजू बाला ने कहा कि उनकी बेटी दूसरों से कहीं ज्यादा मेहनती है। उन्होंने कहा कि मैंने मेरी बेटी के लिए काफी संघर्ष किया है। आज के दौर में बेटी बेटों में कोई अंतर नहीं है। बेटी भी अपने फील्ड में आगे बढ़कर नाम रोशन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अब तक नेशनल और स्टेट लेवल पर दिव्या कई सारे मेडल हासिल कर चुकी हैं।