दिल्ली के अस्पताल में एडमिट मंकीपॉक्स के मरीज को मिली छुट्टी, डॉक्टर ने बताया इन बातों का रखें ख़ास ध्यान

कोरोना वायरस से राहत मिलने के बाद अब एक और वायरस लोगों के जहन में अपना दबदबा बना रहा है. दरअसल इस वायरस का नाम मंकीपॉक्स है और इसके चलते एक मरीज का निधन भी हो चुका है. हमारे देश की राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स के एक मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद लोगों को राहत मिली है. दरअसल राजधानी में मंकीपॉक्स का जो सबसे पहला मरीज मिला था वह अब हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो गया है. संक्रमित मरीज को दिल्ली के LNJP हॉस्पिटल में दाखिल करवाया गया था. लेकिन अब वह पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने घर वापस जा चुका है.

LNJP अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार का इस पूरे मामले पर कहना है कि यह उनके हॉस्पिटल के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. मंकीपॉक्स का इलाज कर रहे डॉक्टर टीम को बधाई क्योंकि उन्होंने दिन-रात इस मरीज की सेवा कर उसको ठीक कर दिया. मेडिकल केयर के साथ-साथ मरीज को साइकोलॉजी सपोर्ट की भी जरूरत थी हमारी टीम ने वह भी मरीज को दिया. जिसके चलते यह संक्रमित मरीज जल्द ही ठीक हो कर अपने घर वापस लौट गया. डॉ. सुरेश ने आगे बताया कि यह मरीज दिल्ली का ही रहने वाला है. लेकिन इसकी कांटेक्ट हिस्ट्री हिमाचल प्रदेश से निकली हमारे हॉस्पिटल में दाखिल होने से पहले यह 15 दिन से बीमार था. मरीज को 15 दिन से बुखार और स्किन प्रॉब्लम हो रखी थी.LNJP मैं वह 11 दिन तक दाखिल रहा और उसकी शुरुआती दो रिपोर्ट पॉजिटिव आई. लेकिन तीसरी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद हमने उसको हॉस्पिटल से डिस्चार्ज दे दिया.

डॉक्टर ने इस बात का भी खुलासा किया कि यह वायरस कोरोना वायरस से बिल्कुल अलग है मंकीपॉक्स एक डीएनए वायरस है. जो संक्रमित के सकिन आंखों और दिमाग पर असर डालता है. अगर मरीज की इम्युनिटी कमजोर है तो उसका खतरा बढ़ जाता है. करोना वैक्सीनेशन इस पर कोई असर नहीं करती. गौरतलब है कि डॉक्टर का कहना है मंकीपॉक्स के मरीज का इलाज करते समय ध्यान रखा जाता है कि उसको बुखार ना आए और शरीर में पानी की कमी ना हो इन्फेक्शन होने के कारण बार-बार टेस्ट किया जाता है. डॉक्टर ने आगे बताया कि मंकीपॉक्स नाम के इस वायरस से संक्रमित उस मरीज का इलाज LNJP आइसोलेशन वार्ड में किया गया था. फिलहाल इस वार्ड में उनके पास 6 बेड मौजूद है और अस्पताल में 20 डॉक्टर्स की टीम तैनात है. और इस डॉक्टर्स की टीम मेंस्किन स्पेशलिट, फिजिशियन, माइक्रो बायोलॉजी के साथ साथ नर्सिंग स्टॉफ, हेल्थ वर्कर्स शामिल है.

डॉ. सुरेश आगे बताते है कि अफ्रीकी मूल का एक पेशेंट भी मंकीपॉक्स से जूझने के कारण 2 दिन पहले ही उनके अस्पताल में दाखिल हुआ है. दरअसल यह अफ्रीकी काफी लंबे समय से दिल्ली में ही अपनी जिंदगी व्यतीत कर रहा है. उसकी उम्र 31 साल है और हॉस्पिटल में एडमिट होते समय उसको बुखार था चेहरे पर निशान थी और शरीर पर निशान थे. उसके पूरे बदन में दर्द था. उसकी बॉडी का तापमान कुछ कम हुआ था लेकिन अब वह मरीज एकदम सही है. इसके अलावा कुछ दिन पहले भी अस्पताल में दो मंकीपॉक्स का संदिग्ध भर्ती हुए थे फिलहाल हॉस्पिटल में एक पॉजिटिव और दो संदिग्ध मरीज एडमिट है.