कोविड-19 के ये हैं सबसे अजीबोगरीब लक्ष्ण, इनके बारे में शायद ही आपने पहले कभी सुना हो

जैसा कि हम सब जानते ही हैं कि बीते 2 वर्षों से कोरोना महामारी ने देश और दुनियाभर में आफत मचा रखी है. हालांकि इस बीमारी को आए हुए अब 2 साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन इसके बावजूद भी आए दिन इसके लाखों मामले देखने को मिल रहे हैं. जैसे जैसे समय बीत रहा है वैसे ही कोविड-19 के नए वैरीअंट भी सामने आ रहे हैं जिनके लक्षणों में भी कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं. हालांकि इससे पहले बुखार, खांसी, स्वाद और सुगंध ना आने जैसे संकेतों को कोरोना के लक्षण माना जाता था;. लेकिन अब इस लिस्ट में कई नए लक्षण शामिल हो चुके हैं जिसके बारे में आप में से अधिकतर लोग शायद ही जानते होंगे. तो चलिए इस पोस्ट में हम आपकोकोरोना के उन लक्षणों से वाकिफ करवाते हैं जिनका समय रहते पता चलने पर आप कोविड-19 से बच सकते हैं.

त्वचा से जुड़ी प्रॉब्लम्स

साल 2021 में यूके द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में लिखा गया था कि 5 में से 1 रोगी को स्क्रीन पर चकत्ते जैसे लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं जो कि एक तरह से कोविड-19 संकेत है. बता दें कि कोविड-19 से त्वचा पर चकत्ते, त्वचा का रंग बदलना आदि जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं. इसके इलावा कुछ संक्रमित मरीजों को त्वचा पर जलन या फिर खुजली भी होने लगती हैं यदि आपको इनमें से कोई एक लक्षण दिखाई दे रहा है तो आप तुरंत अपने डॉक्टर से जांच करवाएं.

कोविड नाखून

आपको यह जानकर हैरत होगी कि शरीर में कोविड-19 संक्रमण को दिखाने के लिए शरीर के कई अंग हमें संकेत देने लगते हैं जिनमें से एक हमारा नाखून भी शामिल है. कुछ मरीजों को कोरोना संक्रमण के दौरान उनके नाखूनों में सफेद लाइने, आधा चांद जैसे अकार का दिखना और अनहेल्दी नाखून जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं.

बालों का झड़ना

कोरोना के संक्रमण के 1 महीने या फिर कुछ महीनों बाद बाल झड़ने जैसी समस्याएं सामने आती हैं. एक अध्ययन के अनुसार 6000 संक्रमित लोगों पर जब स्टडी की गई तो उनमें से 40% लोगों में बाल झड़ने वाला संकेत देखा गया था. लेकिन अच्छी बात यह भी है कि कुछ समय बाद ही सारे बाल वापस भी आ जाते हैं.

सुनने की शक्ति कम होना

इस वायरल संक्रमण में सुनने की समस्या में कमी आ सकती है जिसे हम टिनाइटिस भी कहते हैं. ऐसी अवस्था में कई बार कान से लगातार हमें अजीबोगरीब आवाजें भी सुनने को मिलती हैं. असल में इसके पीछे की वजह यह है कि आंतरिक कान में केश्कियाएं बुरी तरह से प्रभावित हो जाती हैं. अध्ययन में पाया गया कि 560 मरीजों में से तीन प्रतिशत मरीजों की सुनने की शक्ति प्रभावित हुई थी जबकि 4. 5% लोगों को टिनाइटिस का अनुभव था.