बड़ी अजीब है यहां की परंपरा, दूल्हा नहीं दूल्हे की बहन लेती है दुल्हन संग सात फेरे, जानिए क्या है मान्यता

विवाह का बंधन बहुत ही पवित्र माना जाता है। हमारे देश में कई तरह की शादियां होती हैं। हर समाज में शादी की अलग-अलग रस्में निभाई जाती हैं। अब तक आप सभी लोगों ने दूल्हा और दुल्हन को शादी करते हुए देखा होगा। लेकिन एक ऐसी भी जगह है, जहां पर दूल्हे की जगह उसकी बहन दुल्हन के साथ सात फेरे लेती है और सारी रस्में निभाती है। भले ही आपको यह सुनने में थोड़ा अटपटा लग रहा होगा, लेकिन यह बात सच है।

दरअसल, आज हम आपको जिस अजीबोगरीब परंपरा के बारे में बता रहे हैं यह मध्य प्रदेश की सीमा पर बसे हुए आदिवासी गांवों की परंपरा है, जहां पर शादी के लिए दूल्हे की बारात तो निकाली जाती है लेकिन बिना दूल्हे के ही और जब दूल्हा दुल्हन की शादी होती है, तो दूल्हे से पहले उसकी बहन दुल्हन के साथ फेरे लेते हैं।

बारात लेकर जाती है दूल्हे की बहन

आज हम आपको जिस अजीबोगरीब परंपरा के बारे में बता रहे हैं यह मध्य प्रदेश की सीमा पर बसे आदिवासी इलाकों अंबाला की परंपरा है। सुरखेडा व सनेडा गांवों में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। जब भी यहां पर किसी की शादी होती है और जब बारात निकाली जाती है, तो उसमें दूल्हा नहीं जाता है। बल्कि दूल्हे की जगह बारात लेकर उसकी बहन दुल्हन के घर पहुंचती है। इसके बाद दूल्हा, दुल्हन के साथ सात फेरे नहीं लेता है बल्कि दूल्हे की बहन अपनी भाभी के साथ सात फेरे लेती है। आज भी इस रिवाज को मध्य प्रदेश के सटे आदिवासी समुदाय में निभाया जा रहा है।

यह है इसके पीछे की मान्यता

अगर हम इस तरह से शादी करने के पीछे की मान्यता के बारे में जानें तो आदिवासी समुदाय के लोगों का ऐसा मानना है कि अंबाला गांव के पास दाहिनी और एक पहाड़ी पर देवता भरमादेव का निवास होता है और यह आदिवासी समुदाय के आराध्य हैं। ऐसा कहा जाता है कि भरमादेव कुंवारे थे और इसी वजह से अंबाला सुरखेडा व सनेडा गांव में कोई युवक अपनी बारात लेकर नहीं जाता है अन्यथा उसकी जान चली जाती है भरमादेव के प्रकोप से बचने के लिए दूल्हे की बहन बारात लेकर पहुंचती है और दूल्हे की जगह उसकी बहन दुल्हन के साथ सात फेरे लेती है और अपनी भाभी को घर आती है।

आमतौर पर देखा गया है कि शादी की रस्में जब शुरू हो जाती हैं, तो उसके बाद दुल्हन घर से बाहर नहीं निकलती है लेकिन इस समुदाय में जब शादी की तारीख तय हो जाती है तो उसके बाद दूल्हा घर से बाहर नहीं निकलता है। जब शादी होती है तो बहन के फेरे लेने के बाद जब गांव की सीमा पर दुल्हन पहुंचती है फिर दूल्हा उसके साथ विधिवत तरीके से शादी करता है, जिसके बाद वह दुल्हन को घर पर लेकर आता है।

तीन युवकों की जा चुकी है जान

गांव वाले ऐसा बताते हैं कि इस परंपरा को कुछ साल पहले तीन युवकों ने तोड़ दिया था और वह अपनी बारात लेकर पहुंच गए थे। लेकिन किसी कारणवश तीनों युवकों की जान चली गई थी। गांव वाले इसको भरमादेव का प्रकोप बताते हैं। इसके बाद से कभी भी कोई युवक अपनी बारात नहीं निकालता है। इसी के बाद फिर से ऐसी परंपराओं के अधीन ही इस गांव में शादी होने लगी।