घर पर तैयारी करके पहले ही प्रयास में दरोगा बनी अनिता, इनकी सफलता की कहानी है काफ़ी दिलचस्प

आज के इस बदलते दौर में बेटियां बेटों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं अब वह केवल चौकी और चूल्हे तक सीमित नहीं रही हैं बल्कि अपने कार्यों के चलते ऊंचाइयों को छू रही हैं. भले ही बात पढ़ाई लिखाई की हो या फिर खेलकूद की अब बेटियां हर क्षेत्र में सफल हो रही हैं. वही आज हम आपको बिहार की एक बेटी के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि अपनी मेहनत और कड़े संघर्ष के बलबूते पर अब दरोगा बन कर सामने आई है. इस बेटी का नाम असल में अनिता कुमारी है जो कि बिहार के जिले सोमेश्वर स्थान की रहने वाली हैं. गौरतलब है कि अनीता की इस सफलता कहानी की एक खासियत है और वह खासियत यह है कि अनीता ने अपने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली थी और दरोगा बन कर पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया.

पहले ही प्रयास में मिली सफलता

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बहुत से विद्यार्थी हर साल यूपीएससी और दरोगा बनने की परीक्षाएं दे रहे हैं ऐसे में बहुत कम लोग ही ऐसे हैं जिन्हें इस क्षेत्र में सफलता हासिल हो पाती है. वही बात अगर बिहार राज्य की अनीता की करें तो उन्होंने पहले ही प्रयास में दरोगा की परीक्षा में अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए थे. जैसे ही अनीता का रिजल्ट आया तो उनके शुभचिंतकों ने उन्हें बधाइयां देना शुरू कर दी. अनीता ने पहले अटेंप्ट में दरोगा बन कर अब अपने माता-पिता ही नहीं बल्कि पूरे सुमेश्वरस्थान का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है.

शादीशुदा है अनीता

बता दे कि अनीता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संत मैरी स्कूल से की थी जहां पर उन्होंने दसवीं की पढ़ाई की और इसके बाद उन्होंने केके मंडल महिला महाविद्यालय से स्नातक तक की पढ़ाई इतिहास विषय से की. अपनी डिग्री करने के बाद उन्होंने साल 2014 में शादी कर ली लेकिन शादी के बाद भी अनीता ने अपनी पढ़ाई लिखाई को जारी रखा और दरोगा बनने के लिए दिन रात एक करती रही. अनीता के पिता की बात करें तो वह भी देश की सेवा करते आए हैं और एक आर्मी के जवान रह चुके हैं. अनीता बताती हैं कि उनके पिता का हमेशा से यही सपना था कि उनकी बेटी बड़ी होकर दरोगा बने ऐसे में उन्होंने बेटी की पढ़ाई लिखाई का विशेष रूप से ख्याल रखा था वहीं अब अनीता ने अपने पिता के इन सपनों को पूरा कर दिखाया है.

शादी के बाद भी पढ़ाई रखी जारी

गौरतलब है कि बहुत सी महिलाएं शादी होने के बाद किताबों से दूरी बना लेती है और चाह कर भी पढ़ाई लिखाई में अपना ध्यान या फिर मन नहीं लगा पाती हैं लेकिन अनीता ने इन सभी तथ्यों को गलत साबित कर दिखाया है और शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई को जारी रख कर अब दरोगा बन गई हैं. अनीता के अनुसार उनके पति ने उनका इस दौर में काफी साथ दिया है और हमेशा उनका साहस बढ़ाया है. शादी के बाद अनीता का 5 साल का एक बेटा भी है जिसका लालन-पालन करने के दौरान और घर की सारी जिम्मेदारियां संभालने के बावजूद भी अनीता ने पढ़ाई लिखाई को जारी रखा और सफलता हासिल कर दिखाई. अनीता का कहना है कि अब वह आगे चलकर बीपीएससी में जाना चाहती हैं और यहां की अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहती हैं. अनिता ने साबित कर दिखाया कि जो महिलाएं शादी के बाद हार मान जाती हैं वह भी अगर सच्चे मन से ठान ले तो अपने जीवन में एक सही दिशा को ला सकती हैं.