7वीं में फेल होने के बाद पिता ने निकाला घर से, मुंबई पहुँच कर करनी पड़ी मजदूरी पर अब 50 करोड़ के है ये मालिक

बच्चों को परिवार और जायदाद से बेदखल करने के मामले कई बार सामने आते ही रहते हैं. इसके पीछे का कारण होता है या तो बच्चे स्कूल में फेल हो जाते हैं या फिर बुरी संगत में पड़ जाते हैं. कई बार बच्चे अपने परिवार वालों के साथ दुर्व्यवहार करने के कारण भी उनके परिवार वालों के द्वारा परिवार द्वारा ठुकरा दिए जाते हैं. इन बच्चों को समाज द्वारा भी स्वीकार नहीं किया जाता और ऐसे बच्चे को असफलता का सामना करना पड़ता है.

सातवीं में हुए फेल तो घरवालों ने किया बेघर

लेकिन इन्हीं बच्चों में से कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो अपनी गलती को समझने के बाद अपनी जिंदगी की नए सिरे से शुरूआत करने की कोशिश करते हैं. अपनी पिछली गलतियों से सीख ले कर कड़ी मेहनत करने की ठान लेते हैं. आज हम आपको अपनी इस पोस्ट के जरिए एक ऐसे ही शख्स की सफलता की कहानी सुनाने जा रहे है. यह कहानी राजस्थान के जाने माने बिजनेसमैन विमल पटेल की है. दरअसल सातवीं कक्षा में फेल होने के कारण और घरवालों के साथ दुर्व्यवहार करने के कारण विमल के घरवालों ने उसको घर से बेदखल कर दिया था. लेकिन घर से निकाल देने के बाद उसको अपनी गलती का अहसास हुआ और वह घर छोड़ मुंबई आ गया. उसके बाद विमल ने अपने काम का काम का जीवन की शुरुआत की अपने काम के लिए उन्हें महीने में ₹4000 मिलते थे. जिससे वह अपनी जीविका चला कर अपनी जिंदगी व्यतीत करने लगे.

पिता से सीखा था पॉलिशिंग का काम

विमल ने इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने अपने पिता से हीरों की पॉलिश करना सीखा था जो कि आगे चलकर उनके लिए दो वक्त की रोटी कमाने के लिए कारगर साबित हुआ. उन्होंने मुंबई के चिरा बाजार में डायमंड पॉलिशिंग का काम करना शुरू किया. हालांकि उनको इस बात की अच्छे से जानकारी थी कि यह काम करने से उनके जिंदगी कभी नहीं बदलेगी इसलिए वह अपनी मिलने वाली तनख्वाह में से कम से कम ₹4000 खर्च करते थे. इस दौरान विमल के कुछ दोस्त हीरो की दलाली का काम कर कमीशन खाके अच्छे खासे पैसे कमाते थे लगभग 1 साल तक काम करने के बाद विमल भी 1997 में अपने उन दोस्तों के साथ काम करने लगे. मार्च 1998 तक उद्योग के सभी वैल्यू सीखने के बाद विमल ने खुद का व्यवसाय शुरू कर दिया. उनके इस व्यवसाय में प्रतिदिन 1000 से ₹2000 कमाई करनी शुरू कर दी. उन्होंने मुंबई के उपनगर में प्रवेश किया जिसके बाद विमल ने 1999 में 50,000 निवेश के साथ विमल जेम्स नाम की एक कंपनी की स्थापना की.

फर्श से अर्श तक का सफ़र

बाद में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम आगे बढ़ाने के लिए अपनी कुछ भाइयों की मदद ली. साल 2000 के अंत में उनकी यह कंपनी चार लोगों की मदद से 15 लाख रुपए का कारोबार कर चुकी थी. लेकिन साल 2001 विमल के लिए काफी ज्यादा मुसीबतों भरा रहा. क्योंकि विमल का एक व्यापारी उनके 19 लाख रुपए के हीरे जेवरात लेकर भाग गया. जिसके के बाद विमल को अपना सारा निवेश बेचकर उस व्यापारी द्वारा किए गए नुकसान की भरपाई करने पड़ी. एक बार फिर से 0 पर आकर खड़े हो गए. लगातार मेहनत करने के बाद वह एक बार फिर से सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ने लगे लेकिन 2008 में आई मंदी ने उनको फिर से नीचे धकेल दिया.

लेकिन इस बार विमल पीछे हटने वाले नहीं थे अपनी मेहनत के दम पर वह फिर एक बार मंदी का सामना करते हुए ऊपर आए और उन्होंने 2009 में जलगांव में अपनी पहली ज्वेलरी की दुकान खोली. उन्होंने अपनी दुकान में साथ ही एक जो स्त्री को भी काम पर लगा दिया उनका कहना था कि जोशी से अपनी राशि के अनुसार रतन चुनकर लोग पहन सकते हैं और यह आइडिया इतना भी बुरा नहीं था पहले ही दिन उनकी दुकान ने लाखों रुपए की कमाई की. जिसके बाद विमल ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. महाराष्ट्र में विमल की 52 दुकानें है और इन दुकानों में 550 लोग कार्य करता है. की कंपनी का साल का टर्नओवर 50 करोड रुपए है और विमल अपनी कंपनी को 60 करोड़ की टर्नओवर कंपनियों में शामिल करने की पूरी कोशिश कर रही हैं.