आखिर कैसे बने अमजद खान फिल्म “शोले” के गब्बर, इसके पीछे बेहद दिलचस्प है कहानी

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में ऐसी बहुत सी फिल्में हैं, जो यादगार साबित हुई हैं। उन्हीं फिल्मों से में से एक फिल्म “शोले” है, जिसको लोग देखना आज भी पसंद करते हैं। “ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर”, कितने आदमी थे” जैसे आईकॉनिक डायलॉग भला किसे याद नहीं होंगे। फिल्म “शोले” के ऐसे बहुत से डायलॉग हैं जो आज भी लोगों की जुबां पर है। पर्दे पर फिल्म “शोले” देखने में जितनी चट-पटी लगती है, इसके बनने की कहानी भी उससे भी अधिक मजेदार है।

फिल्म “शोले” का एक डायलॉग बहुत ज्यादा मशहूर है “कितने आदमी थे” यह डायलॉग बोलते वक्त अगर किसी एक्टर का चेहरा सामने आता है तो वह अमजद खान हैं। अमजद खान ने ब्लॉकबस्टर फिल्म “शोले” में अपने दमदार अभिनय से गब्बर के किरदार को अमर बना दिया। भले ही बॉलीवुड इंडस्ट्री के बेहतरीन एक्टर अमजद खान हमारे बीच में नहीं है परंतु उनके द्वारा निभाए गए किरदार आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है। आखिर अमजद खान फिल्म शोले के गब्बर सिंह कैसे बने, इसके पीछे एक बहुत मजेदार कहानी है।

आपको बता दें कि ब्लॉकबस्टर फिल्म “शोले” में गब्बर के किरदार के लिए मेकर्स पहले ही किसी और एक्टर को कास्ट कर चुके थे। शोले में गब्बर का किरदार निभाने के लिए अभिनेता डैनी को फाइनल किया गया था और स्क्रीन मैगजीन के कवर पेज पर डैनी के साथ फिल्म शोले की पूरी स्टारकास्ट की तस्वीर छप गई थी परंतु डैनी को गब्बर का किरदार छोड़ना पड़ गया। आपको बता दें कि डैनी उन दिनों फिरोज खान के साथ फिल्म “धर्मात्मा” की शूटिंग करने वाले थे। शूटिंग के लिए उनको अफगानिस्तान जाना था. इसी कारण से उन्होंने फिल्म शोले के लिए मना कर दिया।

जब डैनी ने फिल्म शोले के लिए इंकार कर दिया तो उसके बाद नए गब्बर की तलाश शुरू हो गई। फिल्म के राइटर सलीम खान को अमजद खान का ध्यान आया। तब उन्होंने इस बात का जिक्र जावेद साहब से किया था। आपको बता दें कि कई साल पहले जावेद और सलीम ने अमजद खान को दिल्ली के एक नाटक में एक्टिंग करते देखा था, जहां पर उन्होंने अमजद खान की खूब तारीफ भी की थी। सलीम खान के कहने पर ही अमजद खान को फिल्म शोले के लिए गब्बर सिंह का किरदार मिला। अमजद खान ने भी यह भूमिका स्वीकार कर ली थी। इस तरह से अमजद खान गब्बर के किरदार के लिए चुने गए थे।

फिल्म शोले के लिए जब गब्बर की तलाश पूरी हो गई तो उसके बाद बसंती के चुनाव की बारी आई परंतु बसंती चुनने में कोई खास दिक्कत नहीं हुई थी। हेमा मालिनी ने बसंती की भूमिका निभाई और फिल्म के लिए वीरू की तलाश हो रही थी तो इस भूमिका के लिए धर्मेंद्र से बात की गई परंतु धर्मेंद्र वीरू की बजाय ठाकुर वाली भूमिका निभाना चाहते थे परंतु ठाकुर की भूमिका के लिए संजीव कुमार पहले ही फाइनल हो चुके थे। उसके बावजूद भी धर्मेंद्र अपनी बात पर अड़े रहे। तब रमेश सिप्पी ने कहा कि ठीक है तुम्हें ठाकुर की भूमिका दी जाएगी तो संजीव कुमार वीरू वाली भूमिका निभाएंगे, जिसके बाद धर्मेंद्र चुपचाप वीरू वाली भूमिका के लिए मान गए थे। धर्मेंद्र के फाइनल होते ही फिल्म की शूटिंग शुरू कर दी गई।