एक प्यार ऐसा भी: मरने के बाद भी बजुर्ग दंपति का नहीं छूटा साथ, दोनों की एकसाथ उठी अर्थी

मुरैना: कहते है सच्चा प्यार हमे अनोखी ताकत दे देता है जो हमे साड़ी जिंदगी हमारे साथी के साथ बाँध कर रखता है. अक्सर फिल्मों में आपने हीरो हेरोइन को एकसाथ जीने-मरने की कसमें खाते हुए देखा होगा. लेकिन क्या आपने कभी ऐसा हकीक़त बनते हुए देखा है? अगर नहीं तो यह कहानी आपको हैरत में दाल देगी. दरअसल, आज हम आपको एक ऐसी सच्ची घटना के बारे में बता रहे हैं, जो आपकी आँखें भी नम कर्देगी. पति-पत्नी के प्रेम की असली उदहारण साबित करने वाले इस दंपति को हर कोई सलाम कह रहा है. आईये जानते हैं आखिर यह पूरा माजरा क्या है.

एकसाथ उठी इस बजुर्ग जोड़े की अर्थी

मुरैना जिले में एक अजीबोगरीब मामला देखने को मिला है. यहाँ रहने वाले एक बजुर्ग पति-पत्नी के जोड़े ने अपनी अंतिम सांसें एकसाथ ली. जिस पत्नी को वह घर की लक्ष्मी बना कर लाया था, आज उसी घर के आंगन में दोनों की अर्थी एकसाथ उठता देख कर हर कोई अपनी आँखें आंसुओं से भिगो रहा है. यह पूरा मामला मुरैना के चमरगवा गाँव का है. यहाँ के 85 वर्षीय भागचंद जाटव अब इस दुनिया में नहीं है वहीँ उनके पीछे ही उनकी पत्नी ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया है.

अस्पताल में पति ने तो घर में त्यागे पत्नी ने प्राण

बिमारी के चलते भागचंद को उनके बेटों ने अस्पताल इलाज के लिए भर्ती करवाया था. लेकिन इलाज के दौरान ही अस्पताल में भागचंद ने अपने प्राण त्याग दिए. वहीँ उनके निधन के ठीक दो घंटे बाद ही पत्नी छोटी बाई ने भी गाँव वाले घर में दम तोड़ दिया. जब पिता का शव बेटे घर लेकर आए तो माँ को मृत पा कर बेटों के पैरों तले से ज़मीन ही खिसक गई थी. आख़िरकार पूरे हिन्दू रीति-रिवाजों के साथ दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया है.

पूरा गाँव है गम में डूबा

खबरों के अनुसार दोनों बजुर्गों की अर्थी को एक साथ उठाया गया था. इतना ही नहीं बल्कि दोनों की चिता भी साथ ही जलाई गई. बेटों के अनुसार दोनों माता-पिता का एक-दूसरे से असीम प्यार था. वह हर जगह एकसाथ ही जाया करते थे. ऐसे में अंतिम यात्रा भी दोनों ने एक साथ ही पूरी की. दोनों की इस आखिरी यात्रा में पूरा गाँव नम आँखें लिए पहुंचा था. दोनों के ऐसे प्राण त्यागने की बात पूरे गाँव में फ़ैल चुकी है. हर कोई उनके पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित करके उन्हें श्रद्धांजलि भेंट कर रहा है.