अपनों को मरते देखा लेकिन नहीं छोड़ी पढ़ाई, पहले IPS फिर IAS बनीं नम्रता, ऐसी है उनकी सफलता की कहानी

हर इंसान अपने जीवन में एक कामयाब व्यक्ति बनने का सपना देखता है परंतु सभी लोगों का यह सपना पूरा नहीं हो पाता है। अगर आपको अपने सपनों को पूरा करना है तो इसके लिए कठिन मेहनत करनी पड़ती है। अक्सर देखा गया है कि लोग अपने जीवन में सफलता पाने के लिए तो खूब मेहनत करते हैं परंतु सफलता के मार्ग में बहुत सी कठिनाइयां उत्पन्न होती हैं, जिसके आगे ज्यादातर लोग हार मान जाते हैं परंतु जो सच्ची लगन के साथ बुरी से बुरी परिस्थितियों को पार कर लेता है वह एक ना एक दिन सफलता पाने में कामयाब हो जाता है।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की रहने वाली नम्रता जैन के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं ,जिन्होंने मुश्किल हालातों का सामना करते हुए अपने सपनों को पूरा कर दिखाया है। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा जिला सबसे बड़े नक्सल प्रभावित क्षेत्र में से एक माना जाता है। यहां आए दिन नक्सलियों द्वारा नक्सली वारदातों को अंजाम दिया जाता है, जिसकी वजह से यहां के लोगों के लिए पढ़ाई कर पाना बहुत ज्यादा कठिन का काम है। इसके बावजूद भी विपरीत परिस्थितियों में रहकर नम्रता जैन ने पढ़ाई की और आईएएस बनने का सपना साकार किया।

आपको बता दें कि 2019 बैच की नम्रता जैन की दूसरे फेज की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद अब उन्हें छत्तीसगढ़ के महासमुंद की एसडीएम बनाया गया है। आज भले ही नम्रता आईएएस अधिकारी बन चुकी हैं परंतु उनका यह सफर इतना आसान नहीं रहा था। नम्रता जैन को बचपन से ही अपने इस सपने को पूरा करने के लिए एक के बाद एक कई चुनौतियों से गुजर ना पड़ा परंतु वह किसी भी परिस्थिति के आगे नहीं हारी और लगातार हर उतार-चढ़ाव का सामना करती रहीं, जिसका नतीजा आज सभी लोगों के सामने आ चुका है।

नम्रता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दंतेवाड़ा जैसे नक्सल क्षेत्र से पूरी की है। नम्रता का ऐसा बताना है कि यहां आए दिन कोई ना कोई घटना होती रहती थी। उसकी वजह से ज्यादातर समय स्कूल बंद ही रहते थे। इसी कारण से नम्रता की पढ़ाई हमेशा बाधित होती थी परंतु उनके अंदर कुछ कर गुजरने का जुनून था, यही वजह रही कि उन्होंने अपने सपने के बीच किसी भी कठिनाई को बाधा नहीं बनने दी। नम्रता ने यहां से दसवीं की पढ़ाई की।

जब नम्रता जैन ने दसवीं पास की तो उनके सामने एक नई समस्या आ गई। आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें दंतेवाड़ा से बाहर जाना था परंतु परिवार वालों ने इसके लिए साफ मना कर दिया था। इस मुश्किल परिस्थिति में नम्रता को उनकी मां किरण का साथ मिला। माँ ने नम्रता का समर्थन करते हुए परिवार के अन्य सदस्यों को समझाने की कोशिश की और परिवार वाले मान गए। इसके बाद आईएएस बनने तक नम्रता का अधिकतर समय घर से दूर ही व्यतीत हुआ। वह भिलाई में 5 साल और दिल्ली में तीन साल तक रहीं।

आपको बता दें कि नम्रता जैन ने भिलाई इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकॉम इंजीनियर की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्हें एक पब्लिक सेक्टर कंपनी में नौकरी मिल गई थी, लेकिन नौकरी करने से पहले ही नम्रता अपने चाचा और मामा के प्रोत्साहन पर दिल्ली जाकर यूपीएससी की पढ़ाई करने और आईएएस बनने का मन बना चुकी थीं। इसी वजह से उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और दिल्ली आकर वह तैयारी में लाफ गईं।

साल 2015 में नम्रता जैन ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी परंतु पहली बार उनको सफलता नहीं मिल पाई, वह प्रिलिम्स भी पास नहीं कर पाईं इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत और अधिक बढ़ा दी। दिन-रात खूब मेहनत की और साल 2016 में उन्होंने परीक्षा दी। इस बार उनको यूपीएससी परीक्षा में 99वां रैंक प्राप्त हुआ परंतु इस शानदार रैंक के बावजूद उनका आईएएस बनने का सपना पूरा नहीं हुआ। इस रैंक के साथ वह आईपीएस के लिए दंतेवाड़ा से चयनित होने वाली पहली कैंडिडेट बन गई थीं। उन्हें मध्य प्रदेश कैडर की आईपीएस अफसर नियुक्त किया गया।

नम्रता जैन का सपना आईएएस अफसर बनने का था और वह अपने इस सपने को किसी भी हाल में पूरा करना चाहती थीं। इसी वजह से वह सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल पुलिस अकैडमी, हैदराबाद में ट्रेनिंग करने के दौरान भी उन्होंने यूपीएससी की तैयारी नहीं छोड़ी थी। तैयारी के लिए 1 साल का अवकाश भी ले लिया था। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए एक बार फिर से यूपीएससी परीक्षा देने का विचार किया परंतु इस दौरान उन्हें यह खबर मिली कि उनके बड़े चाचा अमृत जैन का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है, जिसकी वजह से नम्रता को गहरा सदमा लगा।

जब नम्रता इस सदमे से बाहर निकली तो 6 महीने बाद ही उनके छोटे चाचा संतोष जैन का भी दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। इन दोनों ही घटनाओं ने उनको पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया था और उनकी तैयारी पर भी इसका असर पड़ा। वह खुद परीक्षा से कुछ दिन पहले महीना भर बीमार रही थीं परंतु इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में लगी रहीं। साल 2018 में उन्होंने फिर से अपनी किस्मत आजमाई और इस बार उनकी किस्मत और मेहनत रंग लाई। नम्रता ने ऑल इंडिया 12वां रैंक हासिल किया। इस तरह उनका IAS बनने का सपना साकार हुआ।