5 साल की उम्र में ही खो दी आंखों की रोशनी, नहीं मानी हार, UPSC परीक्षा पास कर IAS बनीं पूर्णा

“कामयाबी” एक ऐसा शब्द है जिसे आप लोग अक्सर सुनते रहते हैं। हर कोई इंसान अपने जीवन में कामयाबी हासिल करना चाहता है। परंतु सिर्फ सोचने मात्र से ही कामयाबी नहीं मिलती है। इसके लिए जीवन में कड़ी मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है। कामयाबी के मार्ग में बहुत सी बाधाएं उत्पन्न होती हैं। जो इन बाधाओं को पार करते हुए लगातार कोशिश करता रहता है, उसको एक ना एक दिन कामयाबी जरूर मिलती है।

जहां ज्यादातर लोग अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों और असफलताओं से हार मान लेते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो बार-बार असफल होने के बावजूद भी अपनी कोशिश लगातार जारी रखते हैं। अक्सर ऐसा भी होता है कि जब इंसान को कामयाबी नहीं मिलती है तो वह अपनी किस्मत को कोसने लगते हैं परंतु सच तो यह है कि इंसान चाहे तो अपनी किस्मत खुद लिख सकता है।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से तमिलनाडु के मदुरई की रहने वाली पूर्णा सांथरी का एक ऐसा ही उदाहरण देने जा रहे हैं, जिन्होंने महज 5 साल की छोटी उम्र में ही अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी परंतु इसके बावजूद भी उन्होंने अपने जीवन में हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करती रहीं, जिसका नतीजा, उन्होंने आईएएस अधिकारी बनकर एक मिसाल कायम की है।

इस सफर में कई चुनौतियों का किया सामना

पूर्णा सांथरी ने अपने इस सफर में बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया है परंतु हर बार उनके माता-पिता उनके साथ खड़े रहे। उन्होंने 2019 में यूपीएससी की परीक्षा में 286वीं रैंक हासिल करके यह साबित कर दिखाया कि इंसान अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत के दम पर कुछ भी प्राप्त कर सकता है।

एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मीं पूर्णा सांथरी के पिताजी मार्केटिंग के क्षेत्र में सेल्स एग्जीक्यूटिव हैं और उनकी माताजी एक होम मेकर हैं। जब पूर्णा का जन्म हुआ था, तो माता-पिता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। वह अपनी बेटी को खूब पढ़ाना चाहते थे और अपनी बेटी की हर इच्छा पूरी करना चाहते थे।

5 साल की उम्र में चली गई आंखों की रोशनी

जब पूर्णा की उम्र महज 5 वर्ष की थी, तो उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। ऐसी स्थिति में माता-पिता अपनी बेटी के भविष्य को लेकर काफी चिंतित हो गए। परंतु पूर्णा ने कभी भी इस कमजोरी को अपनी सफलता के रास्ते में बाधा नहीं बनने दी। भले ही उनको अपने सफ़र में बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मगर, पूर्णा ने यह तय कर लिया था कि वह अपने माता-पिता का नाम रोशन जरूर करेंगी।

आपको बता दें कि पूर्णा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मदुरई पिल्लैमर संगम हायर सेकेंडरी स्कूल से प्राप्त की है। पूर्णा बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार थीं और वह बोर्ड परीक्षा में अपने स्कूल की टॉपर भी रही हैं। इसके बाद उन्होंने मदुरई के ही फातिमा कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में बैचलर डिग्री प्राप्त की, जिसके बाद वह यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं।

माता-पिता हर कदम पर खड़े रहे साथ

पूर्णा के लिए यह सफर इतना आसान नहीं था परंतु हर कदम पर उनके माता-पिता उनके साथ खड़े रहे। यूपीएससी की तैयारी के दौरान ऐसे कई मौके आए, जब कुछ स्टडी मैटेरियल ऑडियो फॉर्मेट में उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे। ऐसी स्थिति में पूर्णा के माता-पिता ने उनके कुछ दोस्तों के साथ मिलकर कई किताबों को ऑडियो फॉर्मेट में बदलने का कार्य किया।

आखिर में पूर्णा की मेहनत रंग लाई और उन्होंने आईएएस अधिकारी बनकर अपनी किस्मत खुद लिखी। पूर्णा अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता और दोस्तों को देती हैं, जिन्होंने उनके साथ यूपीएससी की तैयारी के लिए दिन-रात मेहनत की है।