पैर नहीं हैं फिर भी हालात से नहीं मानी हार, भारत के पहले व्हीलचेयर फूड डिलीवरी बॉय बने गणेश मुरुगन

ऐसा कहा जाता है कि अगर आपके हौसले बुलंद हों और नियत साफ है, तो जीवन में आपको कोई भी बाधा रोक नहीं सकती है। इंसान का हौसला ही उसका सबसे बड़ा हथियार होता है। मजबूत हौसले के दम पर इंसान अपने जीवन में हर कुछ हासिल कर सकता है, जो वह चाहता है। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपने जीवन में बहुत कुछ करने की सोचते हैं परंतु वह अपने जीवन के हालातों के आगे हार मान जाते हैं और कोशिश करना छोड़ देते हैं।

वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपनी जिंदगी के हालातों से लड़ते हुए लगातार कोशिश करते रहते हैं और वह अपनी मंजिल हासिल कर लेते हैं। कुछ ऐसे ही लोगों में शामिल हैं, चेन्नई के रहने वाले 37 वर्षीय गणेश मुरुगन। जी हां, गणेश मुरुगन व्हीलचेयर के सहारे लोगों तक खाना पहुंचाने का कार्य करते हैं। वह अपने बुलंद हौसले और आत्मविश्वास से कई लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं। गणेश मुरुगन देश के पहले व्हीलचेयर डिलीवरी ब्वॉय हैं।

जैसा कि हम लोग जानते हैं हर इंसान को अपने जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। किसी के हालात उसे जिंदगी में हार मानने के लिए बेबस करते हैं। लेकिन जिनके हौसले बुलंद होते हैं, वह हालात को अपने मुताबिक ढाल लेते हैं। इन दिनों गणेश मुरुगन की कहानी सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रही है। दिव्यांग लोगों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी गणेश मुरुगन की कहानी प्रेरणा देने वाली है।

चेन्नई के रहने वाले गणेश मुरुगन ने लाचारियों का रोना रोने के बजाय अपने लिए कठिन लेकिन आत्मसम्मान दिलाने वाली राह चुनी। पैरों से लाचार होने के बावजूद भी व्हीलचेयर से फूड डिलीवरी का काम करके आत्मनिर्भर बने। उनकी कहानी को आईपीएस अधिकारी दीपांशु काबरा ने अपने ट्विटर अकाउंट से साझा किया है।

आईपीएस ऑफिसर ने शेयर की कहानी

आपको बता दें कि आईपीएस अधिकारी दीपांशु काबरा ने अपने ट्विटर एकाउंट से दिव्यांग गणेशन मुरूगन की कहानी शेयर की है और उन्होंने यह लिखा है कि “मिलिए भारत के पहले व्हीलचेयर फूड डिलीवरी बॉय गणेश मुरुगन से। वे अपनी व्हीलचेयर पर फ़ूड डिलीवरी करते है। चेन्नई के दिव्यांग गणेश मुरुगन ने परिस्थितियों से समझौता किए बगैर रास्ता निकाला और आत्मनिर्भरता की राह थामी। वे उन सभी के लिए प्रेरणा हैं जो मुसीबतों से लड़ने की जगह झुक जाते हैं।”

IIT मद्रास ने दी व्हीलचेयर

दीपांशु काबरा ने अपनी पोस्ट में कमेंट करते हुए यह बताया कि गणेश मुरुगन की इस खास व्हीलचेयर को IIT मद्रास में एक स्टार्टअप की ओर से डिजाइन किया गया है। टू इन वन मोटर से चलने वाली व्हीलचेयर को एक बटन दबाने पर अलग किया जा सकता है। इसके बाद इसका पिछला हिस्सा एक साधारण व्हीलचेयर में बदल जाता है।

अब तक स्टार्टअप की ओर से ऐसे 1300 व्हीलचेयर बनाए जा चुके हैं। यह 4 घंटे चार्ज होने के बाद 25 किलोमीटर तक सफर कर सकते हैं। लोग गणेश मुरुगन की कहानी को जानने के बाद उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं और अपनी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देते नजर आ रहे हैं।

लोग कर रहे हैं जज्बे को सलाम

एक यूजर ने यह लिखा है कि “आत्म विश्वास होना चाहिए। आदमी हर चुनौती पार कर लेते हैं ऐसे लोगों को ग्रैंड सलूट।” वहीं एक और यूजर ने यह लिखा “हमारे देश को ऐसे ही मेहनत करने वाले लोगों की ज़रूरत है, वरना आज एकदम स्वस्थ होने के बावजूद भी कई लोगों को भीख मांगते हुए देखा जा सकता है।”

इतना ही नहीं बल्कि एक और यूजर ने यह लिखा “क्या बात है सर, सेल्यूट है आपके जज्बे को।” वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा “जज्बे को सलाम।”