बहू ने दिया बेटी को जन्म तो ऐसे किया स्वागत, दुल्हन की तरह डोली पर बिठाकर लाए ससुराल वाले, देखें फोटोस

आजकल के समय में बेटा और बेटी में कोई भी फर्क नहीं है। बेटियां भी बेटों को कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। बेटियां विभिन्न क्षेत्रों में अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं। लेकिन आजकल के जमाने में भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो बेटियों से ज्यादा बेटों की चाह रखते हैं। जब बेटी का जन्म होता है तो कुछ लोग खुश होने के बजाय उदास हो जाते हैं।

भले ही समाज बेटियों के जन्म पर सवाल उठाए परंतु यकीन मानिए हालात अब बदलने लगे हैं। जी हां, जैसे-जैसे वक्त बदल रहा है लोगों की सोच भी बदल रही है। बेटियों के जन्म पर जश्न मन रहा है, जो समाज बेटियां जनने पर ताना मारता है उसी समाज से एक तस्वीर सामने आई है। बेटी के जन्म से जुड़ी यह तस्वीर बदलते सोच, समाज और मानसिकता की अपने आप में एक कहानी है।

दरअसल, बिहार के कटिहार जिला में जब पहली संतान के रूप में बेटी पैदा हुई, तो उसके बाद एक बहू और नवजात का ऐसा स्वागत हुआ जो पूरे समाज के लिए मिसाल बन गया। इलाके के लोगों का भी ऐसा बताना है कि घर में बेटी होने पर ऐसा स्वागत और जश्न देखने को पहली बार मिला है, जो बदलते समाज की निशानी है। हर कोई इस परिवार की प्रशंसा कर रहा है।

आपको बता दें कि बिहार के सबसे पिछड़े इलाके सीमांचल के कटिहार जिले में जब एक बेटी का जन्म हुआ तो जमकर जश्न मनाया गया। बहू ने बेटी को जन्म दिया तो उसे ठीक उसी तरह घर लाया गया जिस प्रकार शादी के बाद कोई दुल्हन आती है। जी हां, स्नेहा को उसके ससुराल वाले डोली पर बैठाकर घर लेकर आए और नई मेहनमा का दिल खोलकर स्वागत किया गया।

स्नेहा और मयंक की शादी लगभग डेढ़ साल पहले हुई थी। कोरोना के दौरान दोनों परिवार ने मिलकर आदर्श विवाह रचाया था। बच्ची के दादा सुमन मिश्रा पत्रकार और सामाजिक कार्य करता हैं। वहीं बच्ची की दादी ममता कुमारी भी पोती के जन्म और इस आयोजन से बहुत ज्यादा खुश हैं।

आपको बता दें कि बच्ची के पिता मयंक आर्यन मनरेगा में कार्यपालक सहायक हैं। जबकि बच्ची की मां स्नेहा कुमारी हाउसवाइफ हैं। उत्सवनुमा माहौल में परिवार के लोगों ने अपनी पौत्री और पुत्र वधू का स्वागत किया। बच्ची का नाम प्रांजल सुमन रखा गया है।

स्नेहा की सास ममता कुमारी का कहना है कि सरकार जो बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा बुलंद कर रही है, वह इसी संदेश को आगे बढ़ाना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि इस अनोखे अंदाज में स्वागत के पीछे उनका मकसद यह है कि समाज में भ्रूण हत्या जैसे अपराध को रोका जा सके।

वहीँ सुमन मिश्रा की पुत्र वधू स्नेहा का कहना है कि वह एक बार पहले बहू बनकर डोली में इस घर में आ चुकी है और अब अपनी पुत्री के साथ घर में आने पर फिर से ऐसे स्वागत से वह बेहद खुश है। स्नेहा ने कहा कि हर किसी को ऐसा ससुराल और हर बच्चे को ऐसे सोच रखने वाले परिजनों का अगर आशीर्वाद मिले, तो सच में हर कोई यही कहेगा कि बार-बार लाडो इस देश में ऐसे आंगन में जरूर आना।

वहीं जिला परिषद अध्यक्ष रश्मि देवी ने इस आयोजन को लेकर यह कहा कि आज तक समाज में महिलाओं को परेशानी को लेकर कई पंचायती का हिस्सा बनने और उसे निदान करने का मौका मिला था लेकिन आज किसी के घर में बेटी जन्म होने पर इस तरह का स्वागत, वाकई समाज के सामने एक बड़ा संदेश है। उन्होंने कहा कि अगर किसी के घर में बेटी पैदा होने पर इस तरह से स्वागत और जश्न मनाया जाए तो समाज में सच में बेटियों के लिए नजरिया बदलेगा।