चना बेचते थे पिता, खुद लिट्टी का ठेला लगाया, कैसेट बेचने के लिए खाई गालियां, बेहद दर्द भरी रही खेसारी की जिंदगी

मौजूदा समय में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री किसी पहचान की मोहताज नहीं है। बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री की तरह आज भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का नाम भी विश्व भर में फेमस है। वहीं भोजपुरी फिल्म के कलाकारों ने भी अपने अभिनय से दुनियाभर के लोगों को अपना दीवाना बना लिया है। उन्हीं कलाकारों में से एक खेसारी लाल यादव हैं। मौजूदा समय में खेसारी लाल यादव किसी पहचान के मोहताज नहीं है। आज उनका देशभर में डंका बजता है।

खेसारी लाल यादव इंडस्ट्री के पॉपुलर सितारों में से एक हैं और उनकी पॉपुलैरिटी और स्टारडम किसी से छुपी हुई नहीं है। खेसारी लाल यादव भोजपुरी अभिनेता होने के साथ-साथ गायक और डांसर भी हैं। यह भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार कहे जाते हैं। इनका कोई भी गाना या फिल्म रिलीज होते ही तुरंत सुपरहिट हो जाती है। दुनियाभर में खेसारी लाल यादव को करोड़ों लोग चाहते हैं।

15 मार्च 1986 को को छपरा (बिहार) के रसूलपुर चट्टी धनाड़ी गांव में जन्मे खेसारी लाल यादव ने आज जो मुकाम हासिल किया है उसके लिए उन्होंने अपने जीवन में काफी मेहनत और संघर्ष की है। खेसारी लाल यादव का जन्म मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने भोजपुरी सिनेमा के जरिए फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है। आज हम आपको खेसारी लाल यादव से जुड़ी हुई कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।

खेसारी लाल यादव ने देखे हैं गरीबी के दिन

शायद ही बहुत कम लोगों को इस बात का पता होगा कि खेसारी लाल यादव का असली नाम शत्रुघ्न कुमार यादव है लेकिन फिल्मों में आने से पहले उन्होंने अपना नाम खेसारी कर लिया था। भले ही खेसारी लाल यादव आज एक बड़े सितारे और सफल एक्टर बन चुके हैं परंतु एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने अपने जीवन में बहुत कठिनाइयों का सामना किया था। खेसारी लाल यादव का शुरुआती जीवन कठिनाइयों से भरा रहा था।

खेसारी लाल यादव के चचेरे भाइयों के साथ मिलकर सात भाई थे। उनके घर की माली हालत बेहद ज्यादा खराब थी। उन्होंने गरीबी के दिन देखे हैं। खेसारी लाल यादव को बचपन से ही गायकी का शौक रहा था। इसी वजह से वह बचपन से ही काफी मेहनत करते रहते थे। बहुत कम उम्र में ही खेसारी लाल यादव को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हो गया था और अपने पिता का साथ देने लगे।

चने बेचते थे खेसारी लाल यादव के पिता

खेसारी लाल यादव के पिता ने चने बेचकर सभी की परवरिश की थी। खेसारी लाल यादव के पिता दिन में चने बेचने का काम करते थे और रात के समय गार्ड की नौकरी भी करते थे। इतना ही नहीं बल्कि मंडी में जो भी सड़ा हुआ प्याज फेंक दिया जाता था, उसे वह लाकर साफ प्याज निकाल लेते थे और उसी से चना बनाकर बेचा करते थे। जब खेसारी लाल यादव ने होश संभाला तो सेना में भी भर्ती हो गए लेकिन उनके जेहन में तो कुछ और था।

खेसारी लाल यादव ने लगाया लिट्टी-चोखा का ठेला

खेसारी लाल यादव ने अपने जीवन में बहुत सी कठिनाइयों का सामना किया है। खेसारी लाल यादव ने बचपन से ही सिंगर बनने का सपना देखा था, तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी और दिल्ली में आकर लिट्टी-चोखा का ठेला लगाने लगे थे। इस दौरान उनकी शादी भी हो गई थी। खेसारी लाल यादव के संघर्ष के दिनों में पत्नी चंदा देवी ने उनका पूरा साथ दिया। खेसारी लाल यादव ने लिट्टी-चोखा का ठेला लगाने के दौरान ही कुछ पैसे का इंतजाम कर लिया और उन्होंने अपनी एक कैसेट रिकॉर्ड किया।

जब खेसारी लाल यादव ने अपनी पहली कैसेट बनाई, तो उसे बेचने के लिए दुकानों पर दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी। इतना ही नहीं लोग उनको गालियां भी देते थे। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और ना ही उनका हौसला टूटा। खेसारी लाल यादव लगातार संघर्ष करते रहे क्योंकि उनको अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा था। खेसारी लाल यादव आगे बढ़ते गए और इंडस्ट्री में अपने पैर जमा लिए। खेसारी लाल यादव के कई एल्बम हिट रहे।

खेसारी लाल यादव ने बतौर अभिनेता फिल्म “साजन चले ससुराल” से शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस फिल्म में अभिनेत्री स्मृति सिन्हा साथ थीं और दोनों की जोड़ी को दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया गया था। मौजूदा समय में खेसारी लाल यादव ने खूब शोहरत के साथ अच्छी खासी दौलत भी कमाई है। आज वह करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। आज उनके जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं है।