अपने अंतिम पलों में लता मंगेशकर ने वेंटीलेटर पर मंगवाया था ईयरफोन, जानिए आखिरी वक्त में किसके सुन रही थीं गीत

स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी 92 वर्ष की आयु में इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह कर चली गईं। आपको बता दें कि लता मंगेशकर जी को कोरोना हो गया था, जिसके बाद उन्हें निमोनिया भी हो गया था। इसी वजह से वह बीते एक महीने से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में एडमिट थीं परंतु आखिर में वह मृत्यु से जंग नहीं जीत पाईं। रविवार सुबह 8:12 बजे पर लता मंगेशकर जी ने अंतिम सांसे ली।

लता मंगेशकर जी की आवाज इतनी सुरीली थी कि आज भी कानों में मिश्री घोल देती हैं। लता मंगेशकर जी की सुरीली आवाज की दुनिया दीवानी है। लेकिन अब स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी की आवाज कभी सुनाई नहीं देगी। सिर्फ पुराने वीडियो या ऑडियो में ही हम उन्हें सुन पाएंगे। लता मंगेशकर जी पिछले काफी समय से फिल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध से दूर थीं और वह किसी से मिलती-जुलती नहीं थीं। उन्होंने गाना भी बंद कर दिया था।

लेकिन लता मंगेशकर जी अपने अंतिम समय में क्या कर रही थीं। इस बारे में वॉइसओवर आर्टिस्ट हरीश भिमानी ने बताया। जब लता जी का निधन हुआ तो वह काफी भावुक नजर आए। हरीश भिमानी में यह बताया था कि लता जी अपने आखिरी समय में वेंटिलेटर पर किसके गाने सुन रही थीं।

वेंटिलेटर पर सुन रही थीं पिता के गाने

आपको बता दें कि लता मंगेशकर जी अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर से बेहद प्यार करती थीं। वह अपने पिता की काफी इज्जत करती थीं और उन्हें गुरू मानती थीं। इसी वजह से अपने अंतिम समय में भी स्वर कोकिला ने अपने पिताजी को याद किया। हरीश को लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने यह बताया कि लता अपने अंतिम दिनों में पिता दीनानाथ मंगेशकर को याद कर रही थीं, जो एक नाट्य गायक थे।

लता अपने पिता की रिकॉर्डिंग्स मंगवा कर उन्हें सुन रही थीं और उसे गाने की कोशिश कर रही थीं। मृत्यु से 2 दिन पहले लता मंगेशकर ने अस्पताल में ईयरफोन मंगवाया था। उन्हें मास्क हटाने के लिए मना किया गया था परंतु इसके बावजूद भी वह मास्क हटाकर गाती थीं।

अपने गाने सुनने से घबराती थीं लता मंगेशकर

लता मंगेशकर जी ने अनगिनत गाने गाए हैं परंतु आपको यह जानकर हैरानी होगी कि वह खुद अपने गाने सुनना पसंद नहीं करती थीं। वह अपने गाने सुनने से घबराती थीं। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? इसके बारे में खुद हरीश भिमानी ने बताया था। उन्होंने यह बताया कि लता मंगेशकर अपने गाने जब सुनती थीं तो अपनी गलती पकड़ लेती थीं। जब वह अपने गाने में कोई गलती पकड़ती तो वह काफी दुखी हो जातीं। वह कहतीं कि बड़े-बड़े संगीतकार उनके गाने को सुनेंगे और कमियां निकालेंगे, तो जाने क्या सोचेंगे। वह ये सोचकर बेचैन हो जाती थीं।

2 दिन का कर दिया गया राष्ट्रीय शोक घोषित

हरीश ने यह बताया कि लता मंगेशकर हमेशा संगीत की एक छात्रा बन कर रहीं। लता की तारीफ बड़े बड़े सिंगर्स ने की और उन्हें कई सारे उपनाम मिले। लता जी को साक्षात सरस्वती माना जाता। लता मंगेशकर जी ने 36 भाषाओं में 30,000 से भी अधिक गाने गाए। लता मंगेशकर का कद संगीत की दुनिया में काफी बड़ा था लेकिन उनके जाने के बाद जो शुन्य पैदा हुआ है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती है। लता जी को बड़े-बड़े सिंगर्स अपना आदर्श मानते हैं। बता दें लता जी के निधन पर 2 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी शोक व्यक्त किया।