एक मिस्ड कॉल की वजह से हाथ से चलने वाले दिव्यांग को लड़की दे बैठी दिल, फिर ऐसे बनी दोनों की जोड़ी

ऐसा कहा जाता है कि जब किसी को प्यार होता है तो वह अपने प्यार को पाने के लिए सारी दुनिया से लड़ने को तैयार हो जाता है। अक्सर आप लोगों ने यह तो सुना ही होगा कि प्यार और जंग में सब कुछ जायज होता है। लोग ऐसा भी कहते हैं कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं। आपको भी यह बात अच्छी तरह से मालूम है कि प्यार में रंग, उम्र या कुछ देखा नहीं जाता। जब प्यार होना होता है तो खुद ब खुद हो जाता है। इसी बीच एक मामला सामने आया है जहां पर प्यार में दीवानी लड़की हाथ से चलने वाले दिव्यांग को अपना दिल दे बैठी।

जी हां, आप लोग बिल्कुल सही सुन रहे हैं। एक लड़की ने एक दिन गलती से रॉन्ग नंबर पर मिस्ड कॉल कर दिया था। इसके बाद यह मिस्ड कॉल उसकी जिंदगी का राइट नंबर बन गया। रॉन्ग नंबर से शुरू हुई इस लव स्टोरी का अंत नहीं हुआ बल्कि यह जीवन भर के लिए अमर हो गई। इन दोनों ने एक दूसरे से विवाह कर लिया। तो चलिए जानते हैं आखिर यह पूरा मामला क्या है।

मिस्ड कॉल से शुरू हुई प्रेम कहानी

दरअसल, आज हम आपको जिस मामले के बारे में बता रहे हैं यह मामला इन दिनों खूब चर्चा का विषय बना हुआ है। सुपौल में एक जोड़ी की खूब चर्चा हो रही है। इस जोड़ी की प्रेम कहानी एक मिस्ड कॉल से शुरू हुई थी। चंद पलों में ही जाने क्या बातचीत हुई कि गौरी दोनों पैरों से दिव्यांग हाथों पर चलने वाले मुकेश को अपना दिल दे बैठी। कुछ दिनों तक मोबाइल पर ही इन दोनों की प्रेम भरी बातचीत होती रही, जिसके कुछ दिनों के बाद ही गौरी अपने भाई को लेकर मुकेश के पास पहुंची और मुकेश के साथ रजिस्‍ट्रार ऑफिस में बकायदा कानूनी रूप से विवाह कर लिया।

खबरों के अनुसार, जब झारखंड की राजधानी रांची की रहने वाली गौरी को मुकेश से प्यार हुआ तो इन दोनों की बातचीत फोन पर ही कुछ दिनों तक होती रही। इसके बाद गौरी का प्यार आसमान की बुलंदियों पर छू रहा था। उसने सीधा ही मुकेश को प्रपोज कर दिया और शादी करने के लिए कहा। जब मुकेश ने गौरी की यह बात सुनी तो वह स्तब्ध रह गया और उसने शादी के लिए साफ मना कर दिया।

मुकेश ने उससे कहा कि मैं दिव्यांग हूं, पैरों के सहारे खड़ा नहीं हो सकता, हाथों से चलता हूं। जब गौरी ने मुकेश की यह बात सुनी तो वह एक बार के लिए चौंक गई। लेकिन प्यार तो अंधा था। दिव्यांग होने के बावजूद भी गौरी ने कहा कि मैं शादी करूंगी, तो तुमसे ही करूंगी, वरना किसी से भी नहीं करूंगी।

रजिस्ट्रार कार्यालय में दोनों की हुई शादी

गौरी किसी भी तरह से इस प्रेम संबंध से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थी। वह मुकेश से बहुत प्यार करने लगी थी। गौरी ने यह निर्णय ले लिया था कि शादी तो मुकेश से ही करेगी। इसके बाद उसने ट्रेन पकड़ी और सुपौल के लिए निकल गई। गौरी के साथ उसका भाई भी था। बहन के साथ झारखंड से सुपौल पहुंच कर उसने मुकेश को दोनों पैरों से दिव्यांग देखा तो उसने गौरी को अपने साथ वापस चलने के लिए कहा था। लेकिन गौरी इसके लिए तैयार नहीं हुई थी।

गौरी ने कहा कि मुकेश के पैर नहीं है, तो क्या हुआ। वह शादी तो उसी से करेगी। जीवन में दोनों साथ होंगे तो मिलकर हंसी-खुशी सुख-दुख कट जाएंगे। मुकेश ने बताया कि उसकी मां का बचपन में ही निधन हो गया था। उसके बाद पिता बाहर रहकर मजदूरी करते थे। मुकेश ने अपनी मौसी के साथ सुपौल कोर्ट पहुंचकर गौरी और उसके भाई से मुलाकात की। फिर गौरी के जिद के आगे घुटने टेकते हुए इस शादी के लिए राजी हो गया। सुपौल के रजिस्ट्रार ऑफिस में दोनों की शादी हुई।