पिता ने मजदूरी करके पढ़ाया, होनहार बेटे ने पढ़ाई से गरीबी को पीछे छोड़ किया परिवार का नाम रौशन, बनेगा अफसर

सभी लोग अपने जीवन में बहुत कुछ करना चाहते हैं परंतु सिर्फ चाहने मात्र से ही इंसान को अपनी मंजिल नहीं मिलती है। अगर अपनी मंजिल को हासिल करना है, तो इसके लिए जीवन में कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी और मार्ग में आने वाली कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। तभी आप वह हासिल कर सकते हैं जिसकी आप चाहत रखते हैं। आज हम आपको एक मजदूर परिवार में जन्मे मनोज जाटव की कहानी बताने वाले हैं, जो ग्वालियर जिले में डबरा इलाके की प्रेम नगर कॉलोनी के रहने वाले हैं।

मनोज जाटव ने SSC CGL 2019 की अंतिम परीक्षा में कुल 700 में से 632 अंक हासिल कर क्षेत्र के साथ-साथ अपने परिवार का भी नाम रौशन कर दिया है। जब परीक्षा के परिणाम घोषित हुए, तो जैसे ही मनोज की उपलब्धि की जानकारी परिजनों को मालूम हुई, तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा। भले ही मनोज जाटव ने सिर्फ एक परीक्षा पास की है परंतु उन्हें यह परीक्षा पास करने के लिए किन किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा? वह उनसे बेहतर कोई नहीं जान सकता।

जीवन की तमाम कठिनाइयों के बावजूद भी मनोज जाटव ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और अब रेल मंत्रालय के ग्रुप बी में असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर बनेंगे। जो लोग गरीबी के आगे घुटने टेक देते हैं और जीवनभर अपनी किस्मत को कोसते रहते हैं, उन लोगों के लिए मनोज जाटव की कहानी प्रेरणा है।

बेहद गरीब मजदूर परिवार में हुआ मनोज जाटव का जन्म

आपको बता दें कि मनोज जाटव का जन्म एक बेहद गरीब मजदूर परिवार में हुआ था। मनोज जाटव के पिताजी टीकाराम गल्ला मंडी में पल्लेदारी का काम करते थे। उनके पिताजी मेहनत मजदूरी करके जो भी पैसा कमाते थे, उससे जैसे तैसे ही घर का गुजारा चल पाता था। मनोज जाटव के घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी, जिसके चलते मनोज के पिता के लिए अपने बच्चे की पढ़ाई जारी रखना इतना आसान नहीं रहा। लेकिन उनकी मां चाहती थी कि उनका बेटा बाकी भाइयों की तरह खूब पढ़े-लिखे और उनकी घर की गरीबी दूर हो जाए।

लाइट ना रहने पर स्ट्रीट लाइट की रोशनी में पढ़ते

मनोज ने भी अपनी मां के सपने को साकार करने के लिए खुद को पूरी तरह से पढ़ाई में समर्पित कर दिया। मनोज नियमित रूप से स्कूल जाते। जब लाइट नहीं होती थी, तो वह ऐसी स्थिति में स्ट्रीट लाइट की रोशनी में पढ़ाई करते थे। कई बार तो वह अपने दोस्तों के यहां पर जाकर भी पढ़ाई करते थे। मनोज की जी तोड़ मेहनत और समर्पण भाव ने ही उनके कठिन मार्ग को सरल बना दिया। मनोज का ऐसा बताना है कि छोटी उम्र में ही उन्होंने जल्द से जल्द सरकारी नौकरी ज्वाइन करने का ठान लिया था।

मनोज जाटव चार भाइयों के बीच हैं सबसे छोटे

मनोज जाटव ने अपने जीवन में किस प्रकार से गरीबी को पीछे छोड़ा और परिवार का नाम रौशन किया। उन्होंने एक मीडिया से बातचीत के दौरान पूरी कहानी बताई थी। उन्होंने अपने इस सफर के बारे में बात करते हुए आगे यह कहा था कि उन्होंने परिवार और 3 बड़े भाइयों की मदद से खुद को इसके लिए तैयार किया और दसवीं के आधार पर रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा पास करने में कामयाबी हासिल की।

इस समय जब एसएससी सीजीएल 2019 का परीक्षा परिणाम आया और उनका चयन असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर के रूप में हुआ तब वह भोपाल में अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं। इस पद को छोड़कर अब वह आगे बढ़ेंगे और परिवार को मजबूत करेंगे। आपको बता दें कि मनोज जाटव अपने चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनके दो बड़े भाई मध्य प्रदेश पुलिस में कार्यरत हैं। वहीं एक भाई बीएड करने के बाद टीचिंग लाइन में हैं।

बातचीत के दौरान अंत में मनोज ने यह कहा कि “भाई साहब जब एसएससी सीजीएल 2019 का परीक्षा परिणाम की तरह जब रेलवे गुप डी के लिए मेरा चयन हुआ था और मां-पापा को इस बारे में पता चला था तो खुशी से उनकी आंखें नम हो गई थीं। उनके मुंह से बस यही निकला था कि मनोज बेटा हमें तुम पर गर्व है। आज मैं जो कुछ भी हूं, अपने पिता के संघर्ष, मां के विश्वास और तीनों भाईयों के सहयोग के कारण हूं।”

मेहनत मजदूरी करके पिता ने सभी को पढ़ाया

मनोज जाटव के पिताजी ने अपने चारों बच्चों को मेहनत-मजदूरी करके पढ़ाया है। जिस प्रकार से पिताजी ने अपने बच्चों को आर्थिक तंगी झेलते हुए स्कूल भेजा, वह समाज के लिए एक मिसाल है। मनोज के पिता ने विषम परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारी, जिसका परिणाम आज सभी के सामने है। उनके चारों बच्चे अपने परिवार का नाम रौशन कर रहे हैं।

वहीं पिता को भी अब मेहनत मजदूरी और पल्लेदारी का काम नहीं करना पड़ता है। वह अपने बच्चों की मां मुन्नी देवी के साथ हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अपने बच्चों की कामयाबी से माता-पिता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।