‘कपिल देव’ की माँ राजकुमारी निखंज थी ममता की मूर्त, अकेले ही 7 बच्चों की परवरिश करके बनाया था उन्हें काबिल

भारतीय क्रिकेट टीम नाम आज भले ही दुनिया की सबसे बेहतरीन क्रिकेट टीमों में पहुंच चुका है. लेकिन इस टीम को इस मुकाम पर पहुंचाने के लिए कई पूर्व खिलाड़ियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. विश्व क्रिकेट टीम में भारतीय टीम को पृष्ठ मुकाम तब मिला था जब साल 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व चैंपियन वेस्टइंडीज हराकर वर्ल्ड कप की ट्रॉफी अपने नाम की थी. जानकारी के लिए आप सभी लोगों को बता दे की विश्व कप की ट्रॉफी हासिल करने से पहले तक भारतीय क्रिकेट टीम की हालत वैसी ही थी जैसे आज के समय में बांग्लादेशी टीम की हालत है. लेकिन साल 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप की ट्रॉफी अपने नाम करते हुए एक अलग इतिहास रच दिया था. इस जीत के पीछे सबसे बड़ा हाथ उस समय भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी कर रहे खिलाड़ी कपिल देव का था.

गौरतलब है कि कपिल देव का पूरा नाम कपिल देव रामलाल निखंज है. इस दमदार प्लेयर का जन्म 6 जनवरी सन 1959 में पंजाब के चंडीगढ़ में हुआ था. इनके पिता का नाम रामलाल निखंज था और वही इनकी माता का नाम राजकुमारी लाजवंती था. जानकारी के लिए बता दें कि कपिल देव की पत्नी का नाम रोमी भाटिया है चंडीगढ़ में जन्मे कपिल देव ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था. उनकी मां राजकुमारी निखंज ने अकेले ही अपने सभी बच्चों का पालन पोषण किया था. उस समय राजकुमारी निकुंज के कपिल देव के अलावा 6 बच्चे और थे उन्होंने अपने सातों बच्चों का पालन पोषण अकेले ही किया. इतना ही -नहीं क्रिकेट के शुरुआती दिनों में कपिल देव की मां ने ही उनका मार्गदर्शन किया था और उनकी हिम्मत बढ़ाई थी. बता दे कि जिस समय खेलकूद को समय नष्ट करने वाला और पढ़ाई को सर्वोत्तम माना जाता था. उस समय कपिल देव की मां ने उन्हें क्रिकेट जगत में उनका करियर बनाने के लिए बढ़ावा दिया.

आप सभी को बता दे कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत 1975 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट के जरिए की थी. इसके 3 साल बाद वह 1978 में भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल हो गए. इस दमदार खिलाड़ी ने अपना पहला मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला. कपिल देव सचिन तेंदुलकर से पहले सबसे कम उम्र में क्रिकेट में अपनी पहचान बनाने वाले खिलाड़ी हुआ करते थे. कपिल टीम में तो पहले से ही अपनी पहचान बना चुके थे. लेकिन उन्होंने सबसे ज्यादा सुर्खियां तब विटोरी जब वेस्टइंडीज के खिलाफ 126 रनों की पारी खेली. नई दिल्ली में खेली गई इस दमदार पारी के बाद कपिल देव सभी के फेवरेट बन गए.

कपिल देव की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वह काफी अच्छी बल्लेबाजी की अकड़ थे. उस समय क्रिकेट की दुनिया पर करीब बोलोरो का राज था. उस दोरान यह खिलाड़ी एक ऐसे खिलाड़ी हुआ करते थे जिन्होंने न केवल वेस्टइंडीज के तेज़ गेंदबाजों बल्कि दूसरी टीमों के गेंदबाजों के खिलाफ भी अकर्मक पारी खेली. कपिल देव एक बेहतरीन बल्लेबाज होने के साथ-साथ एक अच्छे बॉलर भी हुआ करते थे उस समय इन्होंने 5000 से ज्यादा रन बनाने के साथ साथ 432 के आसपास विकेट भी ली थी. इतना ही नहीं कपिल देव के नेतृत्व में उस समय भारतीय क्रिकेट टीम ने नंबर वन पर चल रही वेस्टइंडीज को हराकर वर्ल्ड कप अपने नाम कर दुनिया में एक अलग ही इतिहास रचा था.