मिलिए महिला कुली संध्या से, 45 आदमियों के बीच अकेली करती हैं काम, इज्जत से कमाकर खाने में रखती हैं विश्वास

महिलाएं आज के ज़माने में बहुत समझदार है और अपने जिदंगी के फैसले खुद से ले भी पाती है और मेहनत करके अपना पेट भी भरना जानती है. ऐसी ही कहानी से आज हम आपको रूबरू कराने जा रहे है जो ना जाने कितने लोगो के लिए एक प्रेरणा है. यह स्त्री ना ही अपने बाल पर खुद कमाती है बल्कि अपने बच्चो और सास की भी बखूबी देखभाल करती है. यह स्टेशन पर कूली का काम बड़े ही स्वाभिमान के साथ करती है.

दरअसल संध्या नाम की 31 वर्षीय महिला कुली का काम करतीं हैं. उन्हें मजबूरी में यह काम अपनाना पड़ा है ताकि वह अपनी गरीबी दूर कर पाए. उन्हें यह काम करना पड़ रह है क्यूंकि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं रहे और वह ही थे जो मेहनत मजदूरी कर के घर का पेट भरते थे. वे कहती हैं कि “भले ही मेरे सपने टूट गए हैं, पर ज़िन्दगी ने मुझसे मेरा हमसफर छीन लिया है, लेकिन अब बच्चों को पढ़ा लिखाकर फ़ौज में अफसर बनाना चाहती हूँ. इसके लिए मैं किसी के आगे हाथ नहीं फैलाऊंगी. कुली नंबर 36 हूँ और इज़्ज़त का खाती हूँ.” बता दे कि संध्या मध्य प्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर काम करती है. उनके ऊपर एक बूढ़ी सास और तीन बच्चो की जिम्मेदारी है.

हालांकि 30 वर्ष की उम्र में पहले संध्या अन्य महिलाओं की तरह ही घर और बच्चों को संभाला करती थी मगर फिर उनकी जिंदगी में संघर्ष का दौर शुरू हो गया जब उनके पति भोलाराम बीमार हो गए और बीमारी से ही उनकी मौत हो गई. उनके पति भी मजदूरी करके घर का ख़र्च उठाते थे. पति के गुजर जाने के बाद सारी जिम्मेदारी संध्या ने ले ली. उन्होंने यह ठान लिया कि पैसों के लिए वे किसी के सामने हाथ नहीं फैलाएंगी और खुद ही मेहनत करेंगी. संध्या को जब कोई अन्य नौकरी ना मिल पाई तो उन्होंने कुली की नौकरी ही कर ली.

वहीं संध्या के तीन बच्चे हैं. जिनमें शाहिल उम्र 8 वर्षका ही, हर्षित 6 साल का और एक छोटी पायल 4 वर्ष की है. वह चाहती है कि उनके बच्चे आर्मी में ऑफिसर बने इसीलिए वो इन तीनों बच्चों के पालन और अच्छी शिक्षा के बोझ उठाकर अपने बच्चों को पढ़ाती हैं. वे चाहती हैं कि उनके बच्चे बड़े होकर देश की सेवा के लिए फ़ौज में अफसर बनें. बच्चों के प्रति ऐसी ममता देख कर हर कोई दंग रह जाता है हम इस देश की महिला को उनके स्वाभिमान और संघर्ष के लिए सलाम करते है.