कभी फुटपाथ पर काटी रातें और मंगलसूत्र बेच कर करनी पड़ी पढ़ाई, अब ये महिला बन चुकी है करोड़ों की मालकिन

आपने सोशल मीडिया के कई सफलताओं की कहानियां पढ़ी होंगी. वो कहते हैना जहां पर लगन और मेहनत हो वहां पर सफलता मिल ही जाती है. आज हम आपको सफलता हासिल करने वाली एक ऐसी ही मेहनती महिला की कहानी सुनाने जा रहे हैं. इस महिला का नाम सुषमा कोलवणकर है. सुषमा एक ऐसी महिला है जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर कामयाबी हासिल की. जानकारी के लिए बता दें सुषमा का जीवन बचपन से ही बड़ा संघर्षशील रहा. सुषमा ने छोटी सी उमर में ही अपने पिता को खो दिया था.

गौरतलब है सुषमा पढ़ाई में काफी ज्यादा होशियार थी. दसवीं कक्षा में वह प्रथम आई थी. लेकिन पिता में होने के कारण उसकी पढ़ाई से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता था अगर वह पहले नंबर पर आ भी जाए तो उसे शाबाशी देने वाला कोई नहीं था. क्योंकि सुषमा का ना कोई भाई था और ना ही अब उसके पिता इस दुनिया में रहे थे इसलिए मां ने अपनी दोनों बेटियों की शादी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी करने का फैसला दिया. सुषमा की मां को रिश्तेदारों से ताने सुनने पड़ते थे कि जब बेटियों के पिता ही इस दुनिया में नहीं है तो इनको पढ़ा लिखा कर क्या करना है.

दसवीं क्लास में ही सुषमा के पास शादी के प्रस्ताव आने लगे उनको सुषमा ने ठुकरा दिया. लेकिन 12वीं कक्षा में फिर एक बार उसके लिए एक शादी का प्रस्ताव आया. घरवालों के दबाव के चलते सुषमा ने इस शादी को करने के लिए हामी भर दी. लेकिन यहां किस्मत ने सुषमा का साथ दिया और उसकी यहां शादी खुद ही टूट गई जिसके बाद सुषमा ने साइंस से 12वीं की कक्षा उत्तीर्ण की. सुषमा का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन रिश्तेदारों ने उसको ऐसे ताने देने शुरू कर दिए कि सपने अपनी औकात देखकर देखने चाहिए. क्योंकि सुषमा के शहर उम्ब्रज में कोई साइंस कॉलेज नहीं था इसके चलते सुषमा को घर से दूर कराड जाना पड़ा. घर के हालात खराब होने के कारण कोई भी रिश्तेदार कराड में सुषमा को अपने घर नहीं रखना चाहता था.

आखरी में सुषमा ने सतारा के आर्मी हॉस्टल में रियायती दर से दाखिला लिया. कॉलेज के शुरुआती दिनों में ही उसकी बहन ने कह दिया था कि कॉलेज पूरा होने के बाद आपकी शादी की व्यवस्था की जाएगी. हालांकि कॉलेज में कई लड़कों ने उस को प्रपोज किया लेकिन उसने सब का प्रपोजल ठुकरा दिया. लेकिन समाज में अपनी मां और बहन के दबाव के चलते आखिरकार उसने एक लड़के के साथ लव मैरिज की. जिसके बाद शादी के एक साल बाद वह एक बेटे की मां बनी. साथ ही सुषमा अपनी पढ़ाई भी पूरी करती रही लेकिन वह अभी अपने सपने से काफी दूर थी.

जिसके बाद उसने फिर से अपने सपने की ओर चलना शुरू किया. अपने 3 महीने के बच्चे को लेकर वह एक दुकान में अपना समय व्यतीत करने लगी वहां पीने के लिए गिलास पानी भी नहीं था. लव मैरिज करने के कारण उसके रिश्तेदारों में से किसी ने उसका साथ नहीं दिया. जिसके बाद उसने अपने घर गृहस्ती को संभालना शुरू किया उसके पड़ोसियों ने जरूरत का सामान दे उसकी काफी ज्यादा मदद की. उन्होंने खुद की एक छोटी सी दुकान डाली क्योंकि दुकान सही नहीं चल रही थी. इसलिए उसके पति कोई छोटी नौकरी करने लगे और सुषमा घर और दुकान संभाल ले लगी साथ ही अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए ट्यूशन मिले नहीं लगी.

गौरतलब है कि जिसके बाद सुषमा ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया और वह कपड़े सिलाई करने लगी लेकिन वह मुश्किल से ही 500 से 1000 रुपए कमा पाती थी. सभी के विरोध करने के बावजूद सुषमा ने एमबीए में एडमिशन लिया. एमबीए की पहली तब उसने पास कर ली लेकिन सेकंड टर्म के लिए उसके पास पैसे नहीं थे. इसके बाद उसने अपना मंगलसूत्र गिरवी रखा अपनी पढ़ाई को चालू रखा. बताते चलें की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुषमा की एक लाख प्रत्येक महीना वाली नौकरी लग गई लेकिन वह अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहती थी इसलिए उसने यह नौकरी छोड़ दी और दोनों पति-पत्नी पुणे आ गए. यहां पर उन्होंने सड़क पर रख ₹10 की डिब्बी मिसाला बेचना शुरू किया.

गौरतलब है कि सड़क पर टेबल रख ₹10 की डब्बी मसाला बेचने में सुषमा को कभी शर्म नहीं आई. 10 लाखों रुपए के पैकेज वाली सुषमा अब ₹10 की मसाले की डिब्बी बेच रही थी. धीरे धीरे सुषमा का काम बड़ा और उसने मसालों का खुद का कारोबार शुरू कर दिया. वह मसाले तैयार कर दूसरे देश भेजने लगी और साथ ही साथ उसने फलों और सब्जियों का निर्यात करना भी शुरू कर दिया. आज वह करोड़ों रुपए वाली कंपनी की मालिक है. टेबल और कुर्सी से अपना धंधा शुरू कर उसने सारे देश में अपनी कंपनियां फैला दी है. सुषमा अपने पति के साथ खुशहाल जिंदगी व्यतीत कर रही हैं.