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हनुमान जी के इस चमत्कारिक मंदिर में भक्तों की हर मन्नत जरूर होती है पूरी, कोई नहीं लौटता निराश

राम भक्त हनुमान जी सभी देवताओं में सबसे शक्तिशाली देवता माने जाते हैं। यह भगवान शिव जी के 11वें रुद्रावतार हैं और यह चिरंजीवी माने गए हैं। कलयुग में भी महाबली हनुमान जी की पूजा सबसे ज्यादा की जाती है। मौजूदा समय में हनुमान भक्तों की कोई कमी नहीं है। हनुमान भक्त पूजा-अर्चना करके बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इतना ही नहीं बल्कि हनुमान मंदिरों में जाकर अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना भी करते हैं। वैसे देखा जाए तो भारत में हनुमान जी के कई प्राचीन और चमत्कारी मंदिर स्थित हैं, जिनका अपना कोई ना कोई खास महत्व है। इन मंदिरों से कई चमत्कार जुड़े हुए हैं।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से महाबली हनुमान जी के एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जो देवभूमि में मौजूद है, जिसके बारे में ऐसा दावा किया जाता है कि अगर कोई व्यक्ति यहां पर सच्चे मन से दर्शन करने के लिए आता है। अगर व्यक्ति पूरी आस्था और विश्वास के साथ जो भी मनोकामना रखता है। वह अवश्य पूरी हो जाती है। हम आपको जिस मंदिर के बारे में बता रहे हैं, उस मंदिर का नाम हनुमान गढ़ी मंदिर है। महाबली हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर नैनीताल में स्थित है और यह मंदिर यहां पर सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है।

आपको बता दें कि हनुमान जी का यह प्रसिद्ध मंदिर नैनीताल के तल्लीताल से वेधशाला मार्ग पर लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर मौजूद है। यह मंदिर समुद्र की सतह से 1951 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हनुमान जी के इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि यह मंदिर नीम करोली बाबा के द्वारा 1950 में बनाया गया था। यहां पर इस मंदिर के अलावा शीतला माता मंदिर और लीलाशाह बापू का आश्रम पहाड़ी की दूसरी तरफ स्थित है। इस मंदिर परिसर में 70 चरणों की चढ़ाई के पश्चात यहां पर पहुंच सकते हैं।

हनुमान गढ़ी मंदिर सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसके बारे में ऐसा बताया जाता है कि 1950 में एक स्थानीय संत नीम करोली बाबा द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। वह नियमित रूप से भगवान हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिर का दौरा भी करते हैं। हनुमान जी का यह मंदिर भक्तों की आस्था का विशेष केंद्र बना हुआ है। दूर-दराज से यहां पर लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।

हनुमानगढ़ी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। इस मंदिर से खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। पर्वत और हिमालय के कई सुंदर दृश्य इस मंदिर से नजर आते हैं। यहां के स्थानीय लोगों का ऐसा बताना है कि पहले इस जगह पर घना जंगल हुआ करता था और जंगल में एक मिट्टी का टीला था, जिसके समीप बैठ कर बाबा नीम करोली ने एक साल तक राम नाम जपा था। उनको देखकर वहां पर मौजूद पेड़ पौधे भी भगवान राम का नाम जपने लगे थे। जब बाबा ने यह अद्भुत दृश्य देखा तो उन्होंने कीर्तन करवाया और कीर्तन कराने के बाद भंडारा भी करवाया परंतु जब प्रसाद बनाते वक्त घी कम पड़ गया तो बाबा ने पानी का एक कनस्तर कढ़ाई में डाल दिया था और ऐसा चमत्कार हुआ कि पानी घी में बदल गया।

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