Site icon NamanBharat

कलयुग में ये सास बनी दुनिया के लिए मिसाल, विधवा बहु को बेटी बना कर करवाई शादी, ऐसे किया विदा

कहते हैं अच्छे इंसान की पहचान उसके कर्मों से हो जाती है और जो इंसान अच्छा कर्म करता है उसका फल उसे कभी न कभी जरूर मिलता है. बहुत कम लोग ही होते हैं जो दूसरे के बारे में अच्छा सोचते हैं. दुनिया में आपने कईं तरह की सास बहुए देखी होंगी. सास-बहु का झगड़ा जग जाहिर है. लेकिन क्या आपने कभी एक सास को माँ के सभी फ़र्ज़ निभाते हुए देखा है? ऐसा हालाँकि फिल्मों में ही होता है. परन्तु, हाल ही में एक सच्ची घटना ने सास की परिभाषा बदल कर रख दी है. इस सास ने ना केवल अपनी विधवा बहु को बेटी की तरह प्यार दिया बल्कि एक माँ बन कर उसकी दूसरी शादी भी करवा कर उसे विदा किया. आईये जानते हैं इस पूरे माजरे को…

सास ने कराई विधवा बहू की शादी

बात दरअसल यूँ थी बहू की इस शादी पर सास सरला जैन ने यूँ बताया कि बहू की शादी इसलिए कराई कि उनके बेटे के गुजरने के बाद अब हम दोनों पति-पत्नी ही रह गए हैं. और हमारी उम्र भी हो चली है लेकिन बहू की उम्र तो पूरी बाकी ही है . हमारे चले जाने के बाद उसकी जिंदगी वो अकेले कैसे काट पाएगी, इसलिए सास ने बहू की शादी कराई है. अक्सर कहते है की अगर इरादे पक्के हो तो कोई परेशानी नहीं आती है ये शादी लॉक डाउन के दौरान हुयी है,और इस शादी को रोकने में कोरोना वायरस भी बीच में नहीं आ सका, ये शादी लॉक डाउन में ही हुयी पर सिर्फ 3 परिवारों के बीच में सिमित सदस्यों के साथ यह संपन्न हुई.

बहू को बेटी बनाकर किया विदा

जाहिर सी बात है आप सोच रहे होंगे की बहु को बेटी बनाकर विदा करने की नौबत क्यों आयी? बात दरअसल यह है कि काटजू नगर निवासी 65 साल की सरला जैन के बेटे मोहित जैन का आष्टा निवासी सोनम के साथ 6 साल पहले विवाह हुआ था लेकिन शादी के 3 साल बाद ही बेटा मोहित कैंसर से पीड़ित हो गया. तीन सालों तक मोहित कैंसर से जंग लड़ता रहा, पर वो हार गया. सोनम ने 3 साल तक पति की जी जान से सेवा की, पति के बाद भी सोनम, सास-ससुर के पास बेटी की तरह रहती रही,और उनकी सेवा भी सेवा करती रही.

फिर सास -ससुर ने अपनी ढलती उम्र को देख कर और बहु को इस तरह से देख कर उन्होंने ये फैसला लिया, फिर क्या था बिन देर किये अपनी बहू को बेटी की तरह पुर्नविवाह कर पूरी रीति-रिवाज के साथ उसका कन्या दान कर दिया. सास सरला जैन ने बताया कि बहू की शादी इसलिए कराई कि अब हम दोनों पति-पत्नी ही रह गए थे. हमारी उम्र भी हो चली लेकिन बहू के सामने तो पूरा जीवन पड़ा है. हमारे चले जाने के बाद उसकी जिंदगी वो अकेले कैसे काटती ये सोचकर हमने ये फैसला कर लिया, बहु को बिल्कुल बेटी की तरह ही विदा किया, दोनों की आंखे विदाई के समय नाम हो गई थी. बहू ने भी बेटी की खुद का फर्ज निभाया.

Exit mobile version