नवाजुद्दीन सिद्दीकी जिन्होंने कई संघर्षों का किया सामना, इस तरह अपने सपनों को किया साकार

हिंदी फिल्मों के जाने माने अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बॉलीवुड की कई महत्वपूर्ण फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा बिखेरा है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से अपने दर्शकों का दिल जीत लिया है। उन्होंने निरंतर प्रयत्न और मेहनत के दम पर बॉलीवुड इंडस्ट्री में अच्छा खासा नाम कमाया है। मौजूदा समय में नवाजुद्दीन सिद्दीकी बॉलीवुड के बेहतरीन एक्टर्स में से एक माने जाते हैं।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने यह मुकाम पाने के लिए काफी लंबा संघर्ष किया है। एक समय ऐसा भी था जब नवाजुद्दीन सिद्दीकी के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं हुआ करता था, जिसके चलते उनके शरीर में कमजोरी आ गई थी और वह चल भी नहीं पाते थे परंतु इसके बावजूद भी उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी और लगातार प्रयास करते रहे। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से नवाजुद्दीन सिद्दीकी के संघर्ष भरे जीवन के बारे में बताने वाले हैं।

आपको बता दें कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर जिले के एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता किसान हैं। नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जन्म एक छोटे मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी सात भाइयों और दो बहनों में सबसे बड़े हैं। नवाज़ुद्दीन सिद्धकी ने गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी, हरिद्वार, उत्तराखंड से विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है, जिसके बाद वह केमिस्‍ट के तौर पर एक पेट्रोकेमिकल कंपनी में काम करने लगे। उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से थिएटर में अपना स्‍नातक किया है।

अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने फिल्म “शूल” और “सरफरोश” जैसी फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की थी परंतु इन फिल्मों में उनका किरदार बहुत कम समय के लिए था। इसके बाद उन्हें कई छोटी-बड़ी फिल्मों में काम करने का मौका मिला और उनके कार्य की लोगों ने खूब तारीफ भी की। नवाजुद्दीन सिद्दीकी को असली पहचान “पीपली लाइव”, “कहानी”, “गैंग्स ऑफ वासेपुर”, “द लंचबॉक्स” जैसी फिल्मों से मिली है। लगातार संघर्षों के बाद नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक सफल अभिनेता बन चुके हैं। उन्होंने बहुत सी फिल्मों में अपनी बेहतरीन एक्टिंग का लोहा मनवाया है।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए कहा था कि “जब मैं मुंबई आया तो मुझे मालूम था कि मेरे पास पर्सनैलिटी नहीं है। मेरे पापा दादा इस फिल्म इंडस्ट्री से कोई है ही नहीं।” उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि “मुंबई में जब मैं आया तो मेरे पास 10-12 साल तक कोई काम नहीं था। सिर्फ 10 सेकेंड के कभी-कभी रोल मिल जाया करते थे लेकिन मैंने कभी अपनी हिम्मत नहीं हारी।

उन्होंने आगे बताया कि “मैं हमेशा यह सोचता था कि मैं तो trained भी नहीं हूं। मैं हमेशा लोगों को ध्यान से देखा करता था। फिर मुझे यह समझ आया कि जब भी मुझे कोई रोल मिलेगा तो जिन लोगों को मैं ध्यान से देखता था उन्हीं में से एक इंसान होगा। उसी में वह बाला साहेब ठाकरे, मंटो, गणेश गायतोंडे, फैजल खान जैसे किरदार थे।” नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने आगे बताया कि “15 साल के बाद जो मेरी जिंदगी थी उसमें खाने तक को भी नहीं मिलता था। मैं कभी कभी बहुत उदास हो जाया करता था।” अभिनेता ने आगे यह बताया कि “मैं यह भी कहूंगा। जब आप संघर्ष कर रहे होते हैं तो वह एक मौका जरूर देती है। आपको अपने आप को प्रूफ करने के लिए।”