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सावधान: साइंस को मिला कोरोना का नया म्युटेंट N440K, जानिए इंसान के लिए है कितना घातक

इन दिनों दुनियाभर में कोरोना वायरस का खौफ बुरी तरह से समाया हुआ है. यह वायरस अब तक लाखों लोगों को संक्रमित कर चुका है और कईं लोग इसके चलते अपनी जान से भी हाथ धो बैठे हैं. हालाँकि देश की सरकारें इसको रोकने के लिए समय समय पर लॉकडाउन भी लगा रही हैं लेकिन इसके बावजूद भी बढ़ते मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. हालत अब बद से बदतर हो चुके हैं. वहीँ अब इस वायरस के एक और नए व खतरनाक म्युटेंट के बारे में पता चला है. जिसके बाद से WHO की परेशानियां और भी बढ़ चुकी हैं. ख़बरों की माने तो हाल ही में कोरोना वायरस का एक नया म्युटेंट पहचान में आया है जिसको N440K का नाम दिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि यह वायरस पहले से 10 गुना अधिक घातक है. वैज्ञानिकों का यह दावा है कि इस नए म्युटेंट के कारण अब तक कईं देशों में कोहराम फ़ैल चुका है.

पहले से हैं अधिक खतरनाक

हाल ही में ज़ारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत देश में 26 अप्रैल से लेकर 2 मई के बीच लगभग 26 लाख नए कोरोना मरीज मिले हैं. इन मरीजों में से 23,800 लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं. ऐसे में अब न्य म्युटेंट N440K सामने आने से हालात काफी चिंताजनक हो गए हैं. रिसर्च के अनुसार यह म्युटेंट पहले वाले म्युटेंट से 1000 गुना शक्तिशाली है और इसी के कारण देश के हिस्सों में कोरोना की आई दूसरी लहर अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुकी है.

भारत के इस हिस्से में पहुँच चुका है N440K

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना वायरस का यह म्युटेंट विदेश में ही नहीं बल्कि भारत देश में भी कोहराम मचाने के लिए आ चुका है. इसका पहला मामला आंध्र प्रदेश के कर्नूल शहर में पाया गया था. वहीँ अब यह म्युटेंट आंध्र प्रदेश से लेकर तेलंगाना तक अपनी जड़े फैला चुका है. शोधकर्ताओं का यह दावा भी है कि फ़िलहाल इन दोनों प्रांतों में जो भी कोरोना से संक्रमित मरीज मिल रहे हैं उनमे से एक तिहाई लोग इसी म्युटेंट से ग्रसित हैं और यह अभी भी लगातार फैलता चला जा रहा है.

सीसीएमबी और एसीएसआईआर के वैज्ञानिकों का ये है कहना

जानकारी के लिए बता दें कि पिछले दो महीनों में भारत देश में कोरोना के अधिकतर मामले चार राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ से सामने आए हैं ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यह वेरियंट अभी तक इन इलाकों में अपनी जगह बना चुका है. इस बात का पुष्टि हैदराबाद के सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) और गाजियाबाद के एकेडमी फॉर साइंटिफिक एंड इनोवेशन रिसर्च (एसीएसआईआर) के विशेषज्ञों ने मिलकर की है.

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